किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ रहने के लिए उसका कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम सही होना जरूरी है। इससे हार्ट हेल्थ बढ़िया रहता है। इससे शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम कर पाते हैं। कार्डियोवैस्कुलर एनडयोरेंस सही रहने पर शरीर की फिटनेस भी बरकरार रहती है। आइये जानते हैं कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम और उसे मेंटेन रखने के तरीकों के बारे में।
कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस के तहत कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर अच्छा प्रभाव छोड़ने वाले कार्डियो एक्सरसाइज करना चाहिए। इसके तहत किसी भी प्रकार के व्यायाम या मूवमेंट को लगातार अच्छी तरह से कर पा रही हैं, तो यह कार्डियोवैस्कुलर एनडयोरेंस है। यह आम तौर पर 20 से 30 मिनट तक हो सकता है। इसे एरोबिक एनडयोरेंस भी कहा जा सकता है। इसके लिए हमने बात की वेलनेस एक्सपर्ट डॉ. विनोय कुमार से।
ऐसे एक्सरसाइज, जिसे करने की क्षमता आपमें है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर कामकाजी मांसपेशियों को कितनी प्रभावी ढंग से ऑक्सीजन प्रदान कर सकता है । यह निर्धारित करता है कि दिल और फेफड़े कितनी अच्छी तरह अपना काम कर सकते हैं । दिल नसों के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाने वाले ब्लड को पंप करता है। फेफड़ों का काम ऑक्सीजन का परिवहन करना है।
डॉ. विनोय कुमार के अनुसार, किसी भी प्रकार की गति के लिए मांसपेशियों की कोशिकाओं को एटीपी एनर्जी मॉलिक्यूल की आवश्यकता होती है। यहां ऑक्सीजन मुख्य रूप से काम करता है। चलना, दौड़ना या साइकिल चलाने के लिए मांसपेशियों को एटीपी में परिवर्तित करने के लिए ऑक्सीजन की एक स्थिर आपूर्ति की आवश्यकता होती है। इसलिए इसका सही तरीके से काम करना जरूरी है।
कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज दिल और फेफड़ों के कार्य में सुधार कर सकता है। यह कुछ बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है। इससे हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम कम होता है। बेहतर नींद मिलती है। तनाव में कमी, वजन कम करना आसान, मजबूत हड्डियां, बेहतर प्रतिरक्षा स्वास्थ्य भी होता है।
चूंकि हड्डियों, मांसपेशियों और संयोजी ऊतकों (टेंडन और लिगामेंट्स) की तुलना में हृदय कठिन व्यायामों को तेजी से अपनाता है। धीरे-धीरे अपनी फिटनेस रेजीम में कठिनाई वाले एक्सरसाइज को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। अन्यथा, चोट लग सकती है।
आप व्यायाम की अवधि को हर हफ्ते केवल 10 प्रतिशत बदायें। यदि एक सप्ताह चलने वाले कुल एक्सरसाइज में 80 मिनट लगता है, तो इसे अगले सप्ताह केवल 90 मिनट तक करने की कोशिश करें।
अपनी रूटीन में कुछ हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग भी जोड़ सकती हैं। इसमें वैकल्पिक अंतराल शामिल हैं। यह कार्डियो क्षमताओं को बढ़ावा देने का एक अत्यधिक प्रभावी तरीका है। यह बहुत तेज़ी से किया जाता है। हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग वर्कआउट को प्रति सप्ताह अधिकतम दो बार ही करें।
आप बिना किसी विशेष प्रयास के कितनी देर तक व्यायाम कर सकती हैं। इसका समय निर्धारित करके अपनी प्रगति की जांच कर सकती हैं। उदाहरण के लिए कुछ हफ्ते पहले आप ट्रेडमिल पर 20 मिनट के लिए पांच मील प्रति घंटे पर जॉगिंग कर सकती थी, तो जाहिर है अगले हफ्ते तक इसे 25 कर सकते हैं।
कभी कभार मेहनत के बावजूद आप मनचाहा रिजल्ट नहीं पा सकती हैं। आपका वजन पूर्व की तरह बना रहता है। अकेले पसीना बहाकर निश्चित रूप से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि आप वेट लॉस नहीं कर प रही हैं, या अन्य स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रही हैं तो मदद के लिए निजी प्रशिक्षक या कोच को भर्ती की जा सकती है।
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