मौसम में परिवर्तन और असंतुलित लाइफ स्टाइल हमारे शरीर में संक्रमणों के पनपने का कारण बन सकता है। रेसपिरेटरी इंफैक्शन(respiratory infection) के चलते शरीर में थकान, गले में दर्द, चेस्ट कंजेशन और रनिंग नोज़ की समस्या बढ़ने लगती है। दरअसल, ड्राई इनडोर एटमॉसफेयर (Dry indoor atmosphere), पानी की कमी और गलत खानपान से म्यूकस बढ़ने लगता है। इससे संक्रमण फैलने लग जाता है। ऐसे में खुद को हेल्दी रखने के लिए इन तरीकों से खुद को रखें स्वस्थ (respiratory infection home remedies)।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक सर्दी और फ्लू के वायरस खांसने और छींकने के दौरान फैली बूंदों के माध्यम से फैलते हैं। दरअसल, संक्रमित व्यक्ति वायरस युक्त बूंदें हवा में छोड़ देता हैं। जो हमारे हाथों को संक्रमित कर सकती हैं और जब आप अपने हाथों को चेहरे, आंख या नाक से छूते हैं, तो आप संक्रमण (Infection) का शिकार हो जाते हैं। ये वायरस बेहद आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाते हैं।
हर्ब्स सदियों से हमारी सेहत के लिए लाभदायक साबित हाेते रहे हैं। इनकी मेडिसिनल प्रोपर्टीज इम्यून सिस्टम मज़बूत बनाती हैं। ऐसे में रेस्पिरेटरी सिस्टम को स्ट्रांग बनाए रखने के लिए अदरक, लौग और पुदीने की चाय पीने से शरीर में मौजूद संक्रमण डिटॉक्स होने लगते हैं। साथ ही पुदीने की मदद से बंद नाक और गले को ठण्डक का एहसास होता है। वहीं अदरक में पाया जाने वाला जिंजरोल कंजेशन की समस्या को हल करने में मददगार है।
नीलगिरी बाम लगाने से आपकी छाती को आराम मिलता है और जमा कफ भी धीरे धीरे निकलने लगती है। इसके अलावा इससे बंद नाक की समस्या दूर होने लगती है। साथ ही खांसी की समस्या भी हल हो जाती है। नीलगिरी के तेल में यूकेलिप्टॉल (eucalyptus) नाम का एक तत्व पाया जाता हैए जिसमें डिकॉन्गेस्टेंट गुण होते हैं और जो कफ को मेल्ट करने में सहायता करता है। इसके अलावा नाक और चेस्ट में मौजूद बैक्टीरिया को भी दूर करने में लाभदायक साबित होता है।
गले को गर्माहट देने के लिए गर्म पानी से गरारे करें। एक गिलास पानी में दो चम्मच नमक मिला लें और फिर गार्गल करें। इससे गले में मौजूद बैक्टीरिया और कफ अपने आप निकल जाते है। साथ ही गले में होने वाली दर्द और खांसी से भी छुटकारा मिल जाता है। कुछ दिनों तक लगातार गार्गल करने से भी बेहद फायदा मिलता है।
वॉटर इनटेक बढ़ाने से गले में जमा होने वाली बलगम से बचा जा सकता है। थ्रोट और चेस्ट को क्लीयर रखने के लिए हल्के गुनगुने पानी का सेवन करें। इसके अलावा निर्जलीकरण से बचने के लिए भी पानी बहुत आवश्यक है। पानी की कमी के चलते चेस्ट कंजेशन बढ़ने लगता है। अगर आप नियमित तौर पर उचित मात्रा में पानी पीती है, तो शरीर में मौजूद वायरस अपने आप डिटॉक्स होने लगते हैं।
खुद को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन सी सन्लीमेंटस को नियतिम तौर पर लें। इसके अलावा खुद को हेल्दी बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फलों और सब्जियों को आहार में शामिल करें। आंवला, नींबू, संतरा, कीवी और स्ट्रॉबेरी समेत खट्टे फलों का सेवन करें।
बीमार लोगों के नज़दीक जाने सें बचें और उनसे ज्यादा देर तक बातचीत भी न करें।
इंफैक्टिड लोगों के संपर्क में आने के बाद तुरंत हाथों और चेहरे को धो लें। इससे संक्रमण का प्रभाव अपने आप कम होने लगता है।
फ्लू शॉटस लगवाना न भूलें। इससे आपका इम्यून सिस्टम मज़बूत रहता है और कोई भी इंफैक्शन आसानी से आपको अपनी चपेट में नहीं ले पाता है।
पब्लिक प्लेस पर जाकर, खिड़की, दरवाज़ों और चेयर्स समेत अन्य चीजों को छूने से बचें। साथ ही हाथों को क्लीन करें या फिर सेनिटाइज़ कर सकते हैं।
दूसरों की इस्तेमाल की गई बॉटल और गिलास से पानी न पीएं। इससे रोग फैलने क खतरा बढ़ जाता है।
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