गर्मियों का मौसम हो या सर्दियों का कहीं भी धूप में जाने से पहले आपको सनस्क्रीन लगाना बेहद जरूरी होता है। चाहे आप महिला है या पुरूष फर्क नहीं पड़ता है आपको सनस्क्रीन की लगाना बहुत जरूरी है। सर्दियों में हम सनस्क्रीन लगाना भूल जाते है क्योंकि धूप अच्छी लगती है लेकिन गर्मियों में धूप चूभती है तो सनस्क्रीन लगाना याद रहता है। सूरज की हानिकारक किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है। लेकिन त्या आपको पता है आपको समस्क्रीन खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सनस्क्रीन में फिल्टर होते हैं जो सूर्य के कुछ यूवी विकिरण को अवशोषित या प्रतिबिंबित करने का काम करता हैं। सनस्क्रीन दो प्रकार के होते हैं रासायनिक और खनिज। रासायनिक सनस्क्रीन यूवी विकिरण को अवशोषित करके काम करता है और इसे सूरज की सुरक्षा प्रदान करने के लिए गर्मी में परिवर्तित करता है, जबकि खनिज सनस्क्रीन त्वचा से यूवी किरणों को दर्शाता है। दोनों प्रकार प्रभावी सूर्य संरक्षण प्रदान करते हैं।
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सभी सनस्क्रीन यूवीबी (UVB) किरणों से सुरक्षा प्रदान करते हैं जो सनबर्न और त्वचा के कैंसर के पीछे मुख्य कारण हैं। लेकिन यूवीए (UVA) किरणें भी हैं जो त्वचा के कैंसर और समय से पहले एजिंग के लक्षणों को पैदा कर सकती हैं। सभी सनस्क्रीन इनसे बचाव नहीं करते हैं। केवल कुछ सनस्क्रीन इस परीक्षण को पास करते हैं और उन्हें ‘ब्रॉड-स्पेक्ट्रम’ के रूप में लेबल करने की अनुमति है।
एसपीएफ़ सनस्क्रीन की यूवीबी सुरक्षा (नुकसान या सनबर्न के कारण आवश्यक सौर ऊर्जा की मात्रा) का पैमाना है। खरीदने से पहले, सुनिश्चित करें कि सनस्क्रीन कम से कम SPF30 या अधिक हो। एसपीएफ़ संख्या जितनी अधिक होगी, यूवीबी किरणों से बेहतर सुरक्षा होगी।
कुछ लोगों का मानना है कि जिनकी त्वचा में का रंग गहरा होता है यानि मेलेनिन की मात्रा अधिक होती है उन्हें सनस्क्रीन लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मेलेनिन यूवीबी किरणों को फैलाने का काम करता है और कुछ हद तक सनबर्न से बचा सकता है।
डार्क स्किन वाले लोग धूप से अधिक सुरक्षित रहते हैं, फिर भी उन्हें एक पूर्ण स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लगानी चाहिए। यूवीए क्षति मेलेनिन द्वारा अवरुद्ध नहीं होती है और समय से पहले त्वचा की उम्र बढ़ने और झुर्रियों का कारण बन सकती है।
मेलेनिन त्वचा को अत्यधिक धूप के संपर्क से भी नहीं बचाएगा, जैसे कि धूप में लंबे समय तक असुरक्षित रहना। जिनकी त्वचा का रंग गहरा होता है वो लोग भी त्वचा के कैंसर से सुरक्षित नहीं होते हैं।
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सनस्क्रीन उम्र बढ़ने के दिखाई देने वाले संकेतों, जैसे फाइन लाइन, काले धब्बों से आपकी रक्षा करता है। सूर्य के संपर्क में कोलेजन और इलास्टिन फाइबर कम हो जाते हैं, इसलिए त्वचा बेजान और सुस्त दिखाई दे सकती है। जो लोग रोजाना सनस्क्रीन नहीं लगाते हैं, उनमें उम्र बढ़ने के संकेत उम्मीद से बहुत पहले दिखाई देने लगते हैं। जर्मनी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ क्वालिटी एंड एफिशिएंसी इन हेल्थ केयर के मुताबिक, सिर्फ 5 से 10 मिनट धूप में बिताने के बाद यूवी रेडिएशन हानिकारक होने लगती है।
जल-प्रतिरोधी सनस्क्रीन बहुत जरूरी है खासकर जब आप कोई पानी की गतिविधि करने जा रहे हों, क्योंकि वे आपको तैरते समय या मानसून के दौरान भीगने पर भी सूरज की हानिकारक किरणों से बचा सकते हैं।
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार, पानी प्रतिरोधी सनस्क्रीन गीली त्वचा पर कम से कम 40 से 80 मिनट तक रह सकते हैं और साथ ही इसे फिर से लगाना चाहिए। सामान्य सनस्क्रीन जो जलरोधक नहीं होते हैं वे पानी में हट जाते हैं और आप टैनिंग, रेडनेस और सनबर्न के शिकार हो जाते है।
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