अक्सर आफिस में कुर्सी पर घंटों बिताने के बाद मांसपेशियों में खिंचाव और पीठ में अकड़न महसूस होने लगती है। लंबे वक्त तक बैठने से कभी-कभार पैरों में भी सूजन रहने लगती है। मगर बावजूद इसके हम इन तकलीफों को नज़रअंदाज़ करते चले जाते हैं और अपने रोज़मर्रा के कामों में मसरूफ हो जाते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, ये छोटी-छोटी परेशानियां या दर्द स्थायी दर्द यानि क्रानिक पेन (chronic pain) का रूप धारण कर लेते हैं। तात्कालिक रूप से भले ही हम बाम या पेन किलर से काम चला लें। मगर लंबे समय तक इसका रहना, हमारे स्वास्थ्य के लिए जोखिमकारक है। हेल्थ शॉट्स के इस लेख में जानिए कैसे करना है क्रोनिक पेन (how to deal with chronic pain) का सामना।
क्राेनिक पेन यानि शरीर के किसी भी अंग में उठने वाला दर्द, जो कभी तीव्र, तो कभी हल्का हो जाता है। ये दर्द चोट, सर्जरी, सूजन या फिर किसी दुर्घटना के कारण उत्पन्न हो सकता है। जो समय-समय पर बढ़ता और घटता रहता है। इस दर्द के बढ़ने का मुख्य कारण है, इसे नज़रअंदाज़ करना।
पुराने दर्द का अगर समय रहते उपचार न करवाया जाए, तो ये उम्र के साथ बढ़ने लगता है। साथ ही ये अस्थाई दर्द की तुलना में ज्यादा वक्त तक रहता है। क्राेनिक पेन एक प्रकार का पुराना दर्द होता है, जो मांसपेशियों में उठता है और फिर कंधों, पीठ, कमर और शरीर के अन्य भागों में पहुंचता है। क्राॅनिक पेन से शरीर में हर दम नींद न आने की समस्या और थकान बनी रहती है।
अगर हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होगी, तो हमें कोई भी रोग आसानी से अपनी चपेट में ले लेगा। जैसे किसी मरीज के संपर्क में आते ही संक्रमण हमारे शरीर में प्रवेश कर जाएगा। इसके अलावा धूल मिट्टी या फिर किसी चीज़ को खाने से होने वाली एलर्जी होना आम बात है। इससे हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम प्रभावित होता है और बाहरी विषैले तत्वों का आक्रमण शुरू हो जाता है। जो हमारी किडनी और फेफड़ों पर असर डालता है और फिर आगे चलकर शरीर के किसी भी हिस्से में क्रानिक दर्द यानि स्थायी दर्द का कारण साबित हो सकता है।
आर्थराइटिस भी क्रॉनिक पेन से जुड़ी एक बीमारी है, जिससे व्यक्ति उम्र भर जूझता रहता है। दरअसल, इस बीमारी में शरीर में यूरिक एसिड बढ़ता है, जो सिर से लेकर पांव तक शरीर के सभी जोड़ों में दर्द पैदा करता है। बहुत से लोगों में उम्र के साथ गठिया का दर्द बनने लगता है। ये क्रोनिक पेन का ही एक हिस्सा है, जो पुराने र्दद की तरह वक्त बेवक्त शुरू हो जाता है।
लंबे वक्त तक बैठने से कई बार गर्दन और कमर के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है। अधिकतर लोग इसका इलाज नहीं करवाते हैं, जो अब क्राेनिक पेन में बदल जाता है। ऐसी हालत में डॉक्टरी सलाह से फिज़ियोथेरेपी करवाना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
4 सिर में दर्द
दिन रात काम में व्यस्त रहने के चलते तनाव और चिंता के कारण सिरर्दद या माइग्रेन की समस्या पैदा हो जाती है। इसमें सिर के किसी भी हिस्से में कभी भी दर्द उठने लगता है। ऐसे में ज्यादातर लोग दवाओं से अपने दर्द को दूर करने का प्रयास करते हैं।
मगर एक वक्त के बाद दवाएं भी बहुत प्रभावी साबित नहीं होती है। दवा से ये समस्या कुछ देर के लिए थम ज़रूर जाती है, पर जड़ से खत्म नहीं होती है। अगर इसका सही इलाज न करवाया जाए, तो ये समस्या क्रानिक पेन का रूप धारण कर सकती है।
कई बाद हम किसी दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं, मगर डॉक्टरी चेकअप की बजाय घर पर ही अपना इलाज कर लेते हैं। ऐसे में हमारी चोट ज्यों की त्यों बनी रहती है। ऐसी स्थ्ति में हमारे शरीर में र्दद रहने लगता है। आमतौर पर सर्दी का मौसम आते ही ऐसे र्दद ज्यादा उभरने लगते हैं।
अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। शरीर को नींद की उतनी ही आवश्यकता है, जितनी की खाने की। मगर सही नींद न मिलने से है।
क्रोनिक पेन से निपटने के लिए मरीज़ के खानपान का ध्यान रखना आवश्यक है। मील में नॉन स्टार्च सब्जियों के साथ साथ कैल्शियम और विटामिन डी रिच फूड लेना ज़रूरी है।
एक यां दो दिन पुराने पके खाने की बजाय ताज़ा पकाकर ही खाएं। इसके अलावा प्रिज़रव फूड खाने से भी बचें। बासी खाने में बैक्टिरिया पनपने लगता है और उसे बार बार गरम करने से उसके कम्पाउंड में बदलाव आने लगते है, जो आपके पाचनतंत्र को बिगाड़ने का काम करते हैं।
नियमित रूप से योग और एक्सासाईज़ करने से भी शरीर मज़बूत बनता है। कंधे, कमर सहित अन्य मांसपेशियों में होने वाले दर्द को संभालने में योगासन मदद कर सकते हैं।
सरसों, जैतून और नारियल तेल से मालिश करने से भी काफी हद तक क्राेनिक पेन से राहत मिल सकती है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है।
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