मौसम बदलते ही गले में खराश और कभी कभार दर्द महसूस होने लगती है। इसके चलते खाना निगलने और पानी पीने में भी परेशानी का अनुभव होने लगता है। गले में होने वाले टॉन्सिल्स और अन्य कारण इस पेन और इचिंग की वजह साबित होते हैं। गले खराब की वजह से जुकाम की समस्या होने लगती है। साथ ही शरीर का तापमान बढ़ने लगता है, जो बुखार का रूप ले लेता है। आइए जानते हैं थ्रोट इंफेक्शन (sore throat) की वजह और इससे निपटने के कुछ आसान घरेलू उपाय।
इसे बारे में अपोलो स्पेक्टरा अस्पताल के ई एन टी स्पेशलिस्ट डॉ हरिहरा मूर्ति का कहना है कि अधिकतर टॉनसिल्स के बनने से गले में दर्द और खराश जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। अधिकतर मामलों में कई अन्य कारण भी सोर थ्रोट के लिए जिम्मेदार साबित होते हैं। डेविएटिड सेप्टम, नेज़ल प्रोब्लम और नोज़़ में ग्रोथ की समस्या से आपको गले में खराश का अनुभव हो सकता है।
डॉ हरिहरा मूर्ति के मुताबिक सनोरिंग की समस्या के कारण लोग मुंह से सांस लेने लगते हैं। इससे गल में जमा होने वाले बैक्टिरिया से भी गला दर्द होने की समस्या पनपने लगती है।
डॉ हरिहरा मूर्ति बताते हैं कि कई बार गले का सूखापन भी दर्द का कारण बढ़ सकता है। सफिशेंट पेय पदार्थ न लेने से गले में रूखापन आने लगता है।
मौसम बदलने के साथ संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण ये संक्रमण आसानी से शरीर पर अटैक करता है। जो बढ़ते बढ़ते गले में खराश, सिरदर्द, और बुखार कारण बढ़ जाता है।
हालांकि खाने में खट्टी चीजों को शामिल करना फायदेमंद होता है। पर यह सिर्फ नेचुरली खट्टे आहार जैसे आंवला और इमली के बारे में ही कहा जा सकता है। जबकि अमचूर, सिरका आदि के सेवन से भी कुछ लोगों को गले में एलर्जी हो सकती है। इससे गले में छोटे छोटे लाल दाने बनने लगते हैं और आपको परेशानी होने लगती है।
आप जब सामान्य ध्वनि में बोलते हैं, तब आपका वॉइस बॉक्स के एक रिद्म में काम करता है। पर किसी भी तरह के तनाव में जब आप ज़ोर-ज़ोर से बोलते हैं या चिल्लाते हैं, तब आपके थ्रोट में दर्द महसूस होने लगता है। सूजन होने पर भी सॉर थ्रॉट की समस्या हो सकती है।
तुलसी की पत्तियों को धोकर उबाल लें और उससे गार्गल करें। इसके अलावा एक रिसर्च में पाया गया है कि तुलसी के पत्तों की स्टीम लेने में गले दर्द से राहत मिल जाती है। दरअसल, तुलसी के पत्ते एडाप्टोजेन के रूप में कार्य करते हैं। एडाप्टोजेन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में संक्रामक तनाव के प्रभावों को कम करने में मददगार साबित होता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि अपने एंटी.बैक्टीरियल और एंटी.इंफ्लेमेटरी गुणों के चलते बेसिल लीव्स का इस्तेमाल घरेलू उपचार के तौर पर खांसी और जुकाम के लिया किया जाता रहा है।
इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच नमक का मिलाएं। इस पानी से दिन में दो से तीन बार गरारे करें। गले के दर्द से राहत मिलती हैं। साथ ही गले में पनपने वाला इंफेक्शन भी दूर हो जाता है। इसमें मौजूद एंटी वायरल प्रापर्टीज गले को नुकसान से बचाती हैं।
एक गिलास हल्का गर्म पानी लें और उसमें एक स्पून सॉल्ट मिलाएं और एक स्पून विनेगर डाल दें। अब इसे घूंट घूंट कर गार्गल करें। आपने गले का राहत मिलने लगेगी। इसमें पाए जाने वाले एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी प्रार्प्टीज़ गले और नाक के संक्रमण को दूर करने का काम करता है।
एक चम्मच शहद में एक लौंग को रातभर भिगोकर रख दें। अगले दिन लौंग का निकालकर अलग कर लें। अब उस शहद को चाट लें। इससे गले दर्द में राहत मिल जाती है।
600 एमएल दूध में एक इंच अदरक को पीसकर डालें। उसके बाद दो लौंग, एक छोटा चम्मच दालचीनी और पाल्म शुगर मिलाकर हल्की आंच पर रख दें। आधा घंटा पकने के बाद इस दूध को थोड़ा थोड़ा कर दिन में दो से तीन बार पी लें। आपके गले तें मौजूद एलर्जी अपने आप दूर हो जाएगी
इसे बनाने के लिए एक बर्तन में एक गिलास पानी लें। उसमें एक चम्मच मुलेठी पाउडर डालें। इसके बाद उसमें दो लौंग, दो मोटी इलायची, तुलसी की पत्तियां और एक चुटकी काली मिर्च की मिलाकर कुछ देर तक उबालें। अब इसे हल्का ठंडा होने के बाद घूंट घूंट करके पी लें। इससे गले का राहत मिलती है।
दो इंच अदरक को कस कर उसे निचोड़ लें। उसके रस को एक चम्मच शहद में मिला दें। इसके बाद इसमें एक चुटकी काली मिर्च भी डालें। अब इसे थोड़ा थोड़ा कर के चाट लें।
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