समय के साथ हमारे शरीर में कई सारे परिवर्तन होते रहते हैं। एजिंग उनमें से एक है। एजिंग ऐसी चीज़ है, जो हमारे शरीर के परिवर्तन का अहम हिस्सा है। हम सभी इससे गुजरते हैं, लेकिन इसके बारे में बहुत कम समझ पाते हैं। उम्र के साथ शरीर में कई सारे परिवर्तन आते हैं – मेमोरी लॉस, रिंकल, लीन मसल्स का नुकसान। उम्र बढ़ने को रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन उसे समझकर उससे बचाव के उपाय (how to slow down aging process) किये जा सकते हैं, ताकि इसके लक्षणों को शरीर पर कम देखा जा सके।
उम्र बढ़ने को समय के साथ हमारे शरीर में होने वाली घटना के रूप में देखा जा सकता है। इसके तहत कई सारी प्रक्रिया शामिल होती है, जिनसे मानव शरीर उम्र बढ़ने के साथ गुजरता है। (उम्र बढ़ने के संकेत मिलने लगते हैं। हालांकि बीमारी या किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण जैसे सफेद बाल, दांत और आंख कमजोर होना जैसी समस्या सामने आती है।
अत्यधिक धूप में रहने के कारण त्वचा की क्षति की शुरुआत। दूसरी तरफ उम्र बढ़ने के साथ शरीर विकसित होता है।जैसे कि बचपन से किशोरावस्था की तरफ जाने पर बच्चे का शरीर विकसित होता है।
हम यह मानते हैं कि उम्र बढ़ने को धीमा करने पर दीर्घायु हुआ जा सकता है। इसके मूल में यह है कि आयु बढ़ने पर शरीर के परिवर्तन स्वाभाविक हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप बचाव के लिए क्या करती हैं। जो बदलाव आपके शरीर में होने वाले हैं, वे होकर रहेंगे। उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति 20 साल से अधिक का हो जाता है, तो दांत पर से मसूढ़ों की पकड़ कमजोर होने लगती है। सम्भव है कि आस-पास के गम खराब होने लगे हों । इस तरह से पूरे शरीर की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है।
इसी तरह, उम्र बढ़ने के साथ-साथ एंजाइमों का उत्पादन धीमा हो जाता है। यह शरीर में पोषक तत्वों को अवशोषित करने के तरीके और किस प्रकार से भोजन को पचाया जाता है, यह भी प्रभावित होने लगता है।
जैसे-जैसे महिलाएं मेनोपॉज़ के करीब आती हैं, योनि के तरल पदार्थ कम हो जाते हैं। एस्ट्रोजन की हानि के कारण सेक्सुअल टिश्यू नष्ट होने लगते हैं। पुरुषों में लीन मांसपेशियां पतली हो जाती हैं। टेस्टोस्टेरोन लेवल में कमी के कारण स्पर्म प्रोडक्शन कम हो जाता है।
बुढ़ापे को टाला नहीं जा सकता है। लेकिन उम्र बढ़ने को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारकों को कम करने के लिए 5 उपाय किये जा सकते हैं:
एडेड शुगर, नमक और सैचुरेटेड फैट शरीर पर कहर बरपाती है। इससे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने से संबंधित चिंताओं से बचने के लिए फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट और लो फैट वाले मांस और मछली का सेवन बढ़ाया जा सकता है।
पैकेज्ड खाद्य पदार्थ लेने पर सोडियम सेवन को प्रति दिन 1,500 मिलीग्राम से कम, चीनी का सेवन लगभग 25 मिलीग्राम प्रति दिन और संतृप्त वसा का सेवन 10% से कम तक सीमित रखना चाहिए।
सिगरेट छोड़ने से ब्लड सर्कुलेशन और ब्लड प्रेशर में सुधार होता है, जबकि कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। इस आदत से छुटकारा पाने के लिए कई बार छोड़ने के प्रयास करना पड़ता है। इसे रोकने के लिए कई प्रभावी उपाय मौजूद हैं।
बढ़िया स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए प्रति सप्ताह 5 दिन लगभग 30 मिनट का मध्यम से कठिन व्यायाम करना जरूरी है। व्यायाम न करने की तुलना में प्रति दिन 15 मिनट की मीडियम गतिविधि एजिंग प्रक्रिया में सुधार कर सकती है।
लगातार नींद की कमी खराब स्वास्थ्य और कम जीवन अवधि से जुड़ी हुई है। नींद में सुधार करके प्रति रात लगभग 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें । आप न केवल बेहतर महसूस कर सकती हैं, बल्कि लंबे समय तक जीवित रह सकती हैं।
लंबे समय तक स्ट्रेस शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि कोर्टिसोल सूजन संबंधी तनाव हार्मोन के स्राव को ट्रिगर करते हैं। रिलैक्स तकनीकों और मन-शरीर उपचारों के साथ तनाव को नियंत्रित करना सीखने से कोशिकाओं पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष सूजन के दबाव को कम करने में (how to slow down aging process) मदद मिल सकती है।
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