शरीर से दुर्गंध आना एक आम समस्या है। यह किसी व्यक्ति के लाइफ की क्वालिटी को प्रभावित कर सकता है। अक्सर हाइजीन रूल फ़ॉलो नहीं करने पर शरीर से दुर्गंध आती है। कुछ मामलों में ऐसा गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है। यह एक मिथ है कि पसीना शरीर की दुर्गंध का कारण बनता है। इंसानों का पसीना तो लगभग गंधहीन होता है।शरीर से दुर्गंध तब आती है जब किसी व्यक्ति की त्वचा पर बैक्टीरिया पसीने के भीतर प्रोटीन अणुओं को तोड़ते हैं। इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप गंध ((Body Odour) पैदा होते हैं।
शरीर की गंध किसी व्यक्ति से निकलने वाली प्राकृतिक गंध के लिए यह शब्द इस्तेमाल किया जाता है। मानव शरीर विभिन्न प्रकार के पदार्थों का प्रोड्क्शन कर सकता है जिनमें गंध होती है। इन्हें ओडरेंट्स (odorants) कहा जाता है। इनमें से कई नियमित शारीरिक कार्य के लिए जरूरी हैं। ये दुर्गंध पैदा नहीं करते हैं। शरीर की गंध आमतौर पर एडल्टहुड के दौरान अधिक स्पष्ट हो जाती है। इस समय हार्मोन और पसीने की ग्रंथियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं। मोटापे से ग्रस्त लोगों और मधुमेह होने पर शरीर से दुर्गंध आने की संभावना अधिक हो जाती है।
मनुष्य के लिए पसीना गंधहीन होता है। बैक्टीरिया के तेजी से बढ़ने और पसीने के एसिड में टूटने से अप्रिय गंध पैदा हो सकती है। जिन लोगों को बहुत अधिक पसीना आता है – जैसे कि हाइपरहाइड्रोसिस वाले लोग- उनमें शरीर से दुर्गंध आने की संभावना अधिक हो सकती है। पैर, कमर, आर्म पिट, प्राइवेट पार्ट्स, पयूबिक हेयर, एनस, कान के पीछे अधिक पसीना आटा और दुर्गंध देता है। आहार, प्रसव, स्वास्थ्य स्थिति और दवा भी शरीर की अलग गंध पैदा कर सकती है।
व्यक्ति की त्वचा में एक्राइन और एपोक्राइन दोनों पसीने के ग्लैंड हैं। एपोक्राइन ग्रंथियां युवावस्था में काम करना शुरू कर देती हैं और अंडरआर्म्स और ग्रोइन में बालों के रोम से जुड़ी होती हैं। ये ग्रंथियां चिपचिपा, प्रोटीन युक्त पसीना उत्पन्न करती हैं, जो शुरू में गंधहीन होता है। जैसे ही बैक्टीरिया प्रोटीन को तोड़ते हैं, वे हाई कंसंनट्रेशन वाले ओडर अणुओं का उत्पादन करते हैं। इससे शरीर में गंध पैदा होती है।
इसके विपरीत एक्राइन पसीने की ग्रंथियां मुख्य रूप से पसीने के माध्यम से शरीर के तापमान को नियंत्रित करती हैं। यह शरीर की गंध से जुड़ी नहीं होती हैं।
शरीर की दुर्गंध का कोई सही उपचार नहीं है। कुछ उपाय इसे नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
नियमित रूप से साबुन से शरीर को साफ़ करना चाहिए। खुद को अच्छी तरह से सुखाना भी जरूरी है।
आर्म पिट और प्राइवेट पार्ट के बाल से पसीने का वाष्पीकरण धीमा हो सकता है। इससे बैक्टीरिया को प्रोटीन तोड़ने और गंध पैदा करने के लिए अधिक समय मिलता है। बालों की सफाई से शरीर की गंध को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
एंटीपर्सपिरेंट्स पसीने की मात्रा को बदलकर और गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया की मात्रा और गतिविधि को बदलकर के शरीर की गंध की तीव्रता को कम कर सकते हैं।
कपड़ों को धोते समय इन क्षेत्रों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए जहां पसीना अधिक आते हैं। कपड़े पहनने से पहले वे पूरी तरह से सूखे हों। कॉटन पहनने से पसीने के वाष्पीकरण में मदद मिल सकती है और बैक्टीरिया के निर्माण को कम करने में मदद मिल सकती है।
मिर्च, प्याज, लहसुन और अन्य गुणकारी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भी कुछ लोगों का पसीना अधिक दुर्गंध वाला हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन करता है, तो इसका असर उसके शरीर की गंध पर भी पड़ सकता है।
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