दुनिया भर में एक बार फिर से उन भारतीय उपचार पद्धतियों का प्रयोग बढ़ा है, जो बना दवाओं के व्यक्ति को स्वस्थ बनाने में मदद करती हैं। इनमें योगाभ्यास, ध्यान, प्राणायाम और मंत्र आदि शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तकनीकें शामिल हैं। प्राचीन भारतीय योग पाठ, हठ योग, छह सफाई तकनीकों का वर्णन करता है। सफाई तकनीकों का उद्देश्य योगासन और ध्यान के अभ्यास के लिए शरीर को शुद्ध करना और तैयार करना है। त्राटक इन तकनीकों में से एक है। त्राटक (Tratak kriya) को कई प्राचीन ग्रंथो में काफी अच्छी तरह से समझाया गया है, जो आपकी आंखों को रिलैक्स कर सकती है।
त्राटक क्रिया, जिसे अक्सर त्राटक के रूप में जाना जाता है, योगा द्वारा सफाई का अभ्यास करना है, जिसमें ध्यान केंद्रित करना या एकाग्रता शामिल है। यह एक प्रकार की ध्यान तकनीक है जो हठ योग प्रथाओं का हिस्सा है। त्राटक को एकाग्रता, मानसिक स्पष्टता और अंदर से खुद को जानने में सुधार करने के लिए बनाया गया है। “त्राटक” शब्द संस्कृत के शब्द “त्राटक” से आया है, जिसका अर्थ है “टकटकी लगाना” या “स्थिर रूप से देखना।”
इस तकनीक में मोमबत्ती की लौ को फोकस की वस्तु के रूप में उपयोग किया जाता है। व्यक्ति ध्यान मुद्रा में मोमबत्ती को आंखों के स्तर पर, लगभग दो से तीन फीट की दूरी पर रखकर बैठते हैं। फिर मोमबत्ती की लौ को एक निश्चित समय तक बिना पलक झपकाए लगातार देखा जाता है। दृष्टि स्थिर रहती है, और मन पूरी तरह से लौ पर केंद्रित है। यह अभ्यास एकाग्रता में सुधार, आंखो की रोशनी को बढ़ाने और मन को शांत करने में मदद करता है।
इस अभ्यास में, एक छोटे बिंदु या डोट का उपयोग फोकस की वस्तु के रूप में किया जाता है। बिंदी को अक्सर कागज के टुकड़े पर या दीवार पर आंख के स्तर पर लगाया जाता है। व्यक्ति अटूट फोकस के साथ बिंदु को देखते हैं, बिन्दु त्राटक मानसिक स्पष्टता को बढ़ाने, और अजना (तीसरी आंख) चक्र को उत्तेजित करता है।
आयुर्वेद और इंटिग्रेटिड मेडिकल साइंस के जर्नल त्राटक और उसके फायदों में बारे में बताया गया है। उसमें बताया गया है कि योग में त्राटक के तीन प्रकार माने गए हैं। पहला है बहिरंग त्राटक (बाह्य त्राटक)। दूसरा है अंतर त्राटक (आंतरिक त्राटक)। त्राटक का तीसरा प्रकार अधो त्राटक है, जिसका अभ्यास आधी खुली और आधी बंद आंखों से किया जाता है।
त्राटक का नियमित अभ्यास करने से आपकी आंखों की मांसपेशियों मजबूत होती है। ये आंखों में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाकर और आंखों के तनाव को कम करके आंखों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इससे आपकी आंखो की रोशनी में सुधार हो सकता है, आंखों की थकान कम हो सकती है और आंखों से संबंधित समस्याएं विकसित होने का खतरा कम हो सकता है।
त्राटक मन को ध्यान केंद्रित करने और फोकस के एक बिंदु, जैसे मोमबत्ती की लौ या बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास करवाने में मदद करता है। यह बढ़ी हुई एकाग्रता आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। अगर आप कोई निरंतर ध्यान देने वाला काम करते है या पढ़ते है तो ये उन कामों में फायदेमंद हो सकती है।
त्राटक आपके आराम और आंतरिक शांति को बनाने में मदद करता है, जिससे यह तनाव और एंग्जाइटी को कम करने की एक प्रभावी तकनीक बन जाती है। त्राटक करते समय एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने से मन को शांत करने, दिमाग को आराम देने और शरीर में तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
त्राटक ध्यान मस्तिष्क में रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाकर यादाश्त और कोगनेटिव कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। जो लोग इसका रोज अभ्यास करते है त्राटक ध्यान ने उन्हें अंतर्ज्ञान और कल्पना करने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है।
आंखो की शुद्धि और एकाग्रता-आधारित क्रिया, त्राटक के लिए अधिक चीजो की आवश्यकता नहीं होती है। बस अपनी पसंद की कोई वस्तु या एकाग्रता बिंदु चुनें और इसे शुरू करें।आप दीया/मोमबत्ती की लौ ले सकते है।
त्राटक का अभ्यास करने के लिए एक अंधेरे और शांत कमरे में बैठे। एक दीया या मोमबत्ती लें और इसे आंखों के स्तर पर 50-100 सेमी की दूरी पर रखें। अपनी रीढ़ सीधी रखकर आराम से बैठें। यदि आप चश्मा या लेंस पहनते हैं, तो त्राटक का अभ्यास करने से पहले उन्हें हटा दें।
मोमबत्ती जलाएं और आंखें बंद कर लें। अपने शरीर के अंगों को महसूस करें। कुछ गहरी सांसों से शुरुआत करें। महसूस करें कि हवा आपकी नाक के माध्यम से अंदर आ रही है और बाहर जा रही है।
अपनी आंखें खोलें और अपनी दृष्टि लौ पर स्थिर करें। अपनी आंखें आपको नही झपकानी है। आपका सारा ध्यान लौ पर होना चाहिए। अपनी आँखें तब तक बंद न करें जब तक उनमें दर्द न होने लगे या पानी न आने लगे।
अपनी आंखें बंद करें और उस लौ की परछाई को देखें जो शायद आपके दिमाग में अंकित हो गई है। उस छवि को अपनी भौंहों के बीच, तीसरी आंख चक्र पर स्थिर करें, और तब तक देखते रहें जब तक वह गायब न हो जाए।
एक बार जब लौ की परछाई गायब हो जाए, तो अपनी आंखें दोबारा खोलें और इस प्रक्रिया को कम से कम दो बार दोहराएं।