यह स्‍टडी कहती है, आपकी शराब पीने की आदत बढ़ा रही है आपका डिमेंशिया का जोखिम

क्या दोस्तों के साथ अक्सर ड्रिंक करने जाती रहती हैं? शराब पीकर पास आउट होना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
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एल्कोहल के सेवन से आपकी चर्बी भी अधिक बढ़ सकती है।। चित्र: शटरस्‍टॉक
Updated On: 10 Dec 2020, 12:43 pm IST
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हम में से ज्यादातर लोग अपनी ड्रिंकिंग(Drinking) हैबिट को पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं क्योंकि हम कभी-कभी ही ड्रिंक करते हैं। है ना? लेकिन शराब से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा सिर्फ उन्हें ही नहीं है जो रोज शराब का सेवन करते हैं। कभी कभी शराब पीना भी आपकी सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है।

अगर आप हफ्ते में एक-दो बार भी शराब पीती हैं, लेकिन हर बार पीने के बाद होश खो बैठती हैं और पास आउट हो जाती हैं, तो आपका डिमेंशिया का रिस्क दोगुना बढ़ जाता है।

क्या है डिमेंशिया?

डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि एक से अधिक मानसिक बीमारियों और समस्याओं का डिसॉर्डर है। अमेरिकन एकैडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन (AAFP) के अनुसार अमेरिका भर में ही 65 वर्ष के अधिक उम्र वाले 4.7 मिलियन लोग डिमेंशिया के शिकार हैं।

तनाव के बहुत से कारण हो सकते हैं, पर अब हम आपको इससे छुटकारा पाने के उपाय बता रहे हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
डिमेंशिया एक से अधिक मानसिक बीमारियों और समस्याओं का डिसॉर्डर है। चित्र- शटरस्टॉक।

इसमें से कोई भी लक्षण डिमेंशिया को दर्शा सकते हैं-

1. याद्दाश्त कम हो जाना, खासकर नई जानकारी याद न रहना

2. लोगों या चीजों के नाम में हमेशा कंफ्यूज होना

3. चश्मा, चाभी जैसी चीजों को उनकी जगह पर न रखना या यह भूल जाना कि कहां रखा गया है

4. पैसों का हिसाब न लगा पाना

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

5. जबरदस्त मूड स्विंग होना या हर वक्त चिड़चिड़ापन रहना

6. अवसाद और तनाव

7. छोटे-छोटे काम करने में घबराने लगना या नर्वस होना

8. हर वक्त अकेले रहना पसंद करना

इन लक्षणों में से दो भी अगर किसी व्यक्ति में नजर आ रहे हैं, तो वह डिमेंशिया का शिकार हैं। अल्जाइमर डिसीज भी डिमेंशिया के अंतर्गत आती है।

क्या कहती है यह स्टडी?

जर्नल JAMA नेटवर्क ओपन में प्रकाशित यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की इस स्टडी में डिमेंशिया का शराब के सेवन से सम्बन्ध को स्टडी किया गया।
इस स्टडी में एक लाख तीस हजार प्रतिभागियों के डेटा को पढ़ा गया और उनकी मानसिक स्थिति का आंकलन भी किया गया। इस स्टडी में 30 से 80 वर्ष तक के लोग शामिल थे।

कहीं आपकी कमजोर याददाश्त का कारण शराब तो नहीं, जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक। चित्र- शटरस्टॉक।

UK, फ्रांस, फिनलैंड और स्वीडन के प्रतिभागियों से उनकी ड्रिंकिंग हैबिट पर सवाल पूछे गए जिसके आधार पर उन्हें चार किस्मों में बांट दिया गया। वह चार कैटेगरी थीं-

· कभी कभी शराब पीने और होश खो देने वाले
· कभी कभी शराब पीने मगर होश ना खोने वाले
· अक्सर शराब पीने और होश खो देने वाले
· अक्सर शराब पीने मगर होश ना खोने वाले

इस स्टडी की हेड डॉ माइका कविमाकी बताती हैं, “शराब दिमाग पर बुरा प्रभाव डालती है, यह तो हम सभी जानते हैं। लेकिन हम जानना चाहते थे कि क्या शराब की मात्रा ज्यादा मायने रखती है या शराब पीने का ढंग। इस विषय पर बहुत से शोध मौजूद हैं, लेकिन सभी लैब तक सीमित थे। पहली बार इतने अधिक प्रतिभागियों को लेकर कस विषय पर कोई रिसर्च की गई है। और परिणाम वही हैं जो हमने सोचा था।”

क्या है इस स्टडी का निष्कर्ष?

इस स्टडी में पाया गया कि शराब का दिमाग पर दुष्प्रभाव शराब की मात्रा से नहीं, बल्कि ड्रिंकिंग पैटर्न से अधिक पड़ता है। यानी कि जो रोज पीते हैं लेकिन होश में रहते हैं उनके दिमाग पर कभी-कभी पीकर होश खो देने वालों जितना ही प्रभाव पड़ता है। यहां कभी-कभी से अर्थ है हफ्ते में एक से दो बार। अगर आप उससे कम पीते हैं, तो आपके लिए प्रभाव अलग होगा।

शराब पीकर पास आउट होना आपके दिमाग को ज्यादा हानि पहुंचाता है। इससे दिमाग के रिसेप्शन सेल खराब हो जाते हैं जिससे उम्र के साथ आप डिमेंशिया का शिकार हो जाते हैं।
पास आउट होने वालों में होश में रहने वालों के मुकाबले डिमेंशिया ग्रस्त होने की दो गुनी अधिक संभावना है।

इसके साथ-साथ शराब के आपकी सेहत के लिए अन्य नुकसान भी हैं-

मस्तिष्क कमजोर हो जाना
लिवर खराब होना
कैंसर का रिस्क बढ़ना
हृदय रोग
आंखों की रोशनी कम होना
हड्डियां कमजोर होना
डायबिटीज

यह सभी वे लॉन्ग टर्म नुकसान हैं जो शराब आपके शरीर पर डालती है। ऐसे में आपको यह समझना जरूरी है कि आपकी सेहत के लिए क्या अच्छा है और क्या खराब।
शराब का सेवन अगर करती हैं तो बहुत सीमित शराब पियें। आपके स्वास्थ्य का ख्याल आपको ही रखना होगा।

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लेखक के बारे में
विदुषी शुक्‍ला
विदुषी शुक्‍ला

पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते।

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