क्या आप भी जब सो कर उठते हैं, तो आपके हाथ-पैर में असहनीय दर्द के साथ सूजन दिखाई पड़ती है या जब भी आप ट्रैवल करते हैं तो लंबे समय तक पैर लटका कर रखने के कारण आपके पैर सूज जाते हैं? अगर इन दोनों सवाल का जवाब हां है, तो आपकी इस समस्या का कारण पानी हो सकता है।
दरअसल, शरीर के आंतरिक भागों में पानी भरने की इस समस्या को वाॅटर रिटेंशन (Water Retention) कहते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की एक रिसर्च के मुताबिक़ वॉटर रिटेंशन के तमाम कारणों में से हॉर्मोनल बदलाव, खाने-पीने में अनियमितता और लंबे समय तक बैठे रहना भी है।
आमतौर पर हम सभी को पता है कि हमारा शरीर मुख्यतः पानी से बना होता है। यदि शरीर में पानी का स्तर संतुलित नहीं है, तो आपका वजन भी बढ़ सकता है और यह वाटर रिटेंशन का एक लक्षण भी होता है।
आम भाषा में समझें तो वाटर रिटेंशन एक ऐसी परिस्थिति हैं, जिसमें किसी भी व्यक्ति के शरीर के आंतरिक भागों, सर्कुलेटरी सिस्टम या टिशूज़ में पानी भर जाता है और उसके कारण हाथों, पैर के पंजों, टखनों और पैरों में सूजन जैसे चिंताजनक लक्षण पैदा होने लगते है। यह एक प्रकार की आम स्वास्थ्य समस्या है और आए दिन होती रहती है।
वॉटर रिटेंशन के बारे में बात करते हुए सीनियर न्यूट्रिशनिस्ट एंड वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट डॉ. शिप्रा माथुर बतातीं हैं कि वॉटर रिटेंशन की समस्याएं पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखी जातीं हैं।
उनके मुताबिक़ महिलाओं में पीरियड्स के दौरान हॉर्मोन्स वैरिएशन होता है, जिसके कारण वाटर रिटेंशन हो सकता है। इसके साथ ही अन्य कई कारण भी हैं, जिनसे वाटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है।
महिलाओं के हार्मोन नियंत्रण के परिवर्तन, जैसे कि मासिक धर्म के समय, गर्भावस्था, और प्रजनन तंत्र के विभिन्न चरण वाटर रिटेंशन को बढ़ा सकते हैं। इन परिवर्तनों के कारण, अत्यधिक पानी जमा हो सकता है, जिससे वाटर रिटेंशन का खतरा होता है।
डॉ. माथुर के अनुसार गर्भावस्था के दौरान भी महिलाओं में वॉटर रिटेंशन की समस्या बढ़ जाती है। वास्तव में शिशु के विकास के लिए मां के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। हार्मोनल परिवर्तन और रक्त की बढ़ती मात्रा के कारण, महिलाओं में वॉटर रिटेंशन का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि ज्यादातर महिलाओं को प्रेगनेंसी में सूजन का सामना करना पड़ता है।
PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) महिलाओं के हार्मोन्स को प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप वॉटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है। PCOS के रूप में, शरीर में अधिक इंसुलिन उत्पन्न होता है, जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण, शरीर के अंदर ग्लूकोज का सामान्य से अधिक स्तर बना रहता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक पानी जमा हो जाता है।
महिलाओं में किडनी समस्याएं, जैसे कि किडनी स्टोन, किडनी इंफेक्शन, या किडनी की बीमारियां , वाटर रिटेंशन की समस्या को बढ़ा सकती हैं। किडनी समस्याओं के कारण, अल्बुमिन (एक प्रमुख प्रोटीन) की कमी हो सकती है, जिससे रक्त के वायुमंडलीय दाब में वृद्धि होती है और वॉटर रिटेंशन होता है।
इसके साथ ही यदि किसी महिला में किडनी संबंधी समस्याएं हैं तो उन में अल्डोस्टेरोन नामक हार्मोन की अधिक उत्पादन हो सकता है, जिससे नाट्रियम (सॉडियम) के स्तर में बढ़ोतरी होती है और वाटर रिटेंशन होता है।
वाटर रिटेंशन की समस्या को कम करने के लिए आप यह तरीके अपना सकते हैं।
वॉटर रिटेंशन को कंट्रोल करने के लिए अपनी दिन भर की पानी की खपत को नियंत्रित करना जरूरी है। पानी की कमी भी आपके शरीर को अधिक पानी रिटेन करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे वॉटर रिटेंशन का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।
आमतौर पर जब भी हम खाना खाते हैं तो उसका स्वाद बढ़ाने के लिए ऊपर से नमक, चाट मसाला या बुकनू डाल लेते है लेकिन इन सभी चीज़ों में सोडियम होता है और सोडियम (नाट्रियम) की अधिक मात्रा खाने से वाटर रिटेंशन का खतरा बढ़ सकता है।इसलिए चिकित्सक सलाह देतें हैं कि खाने में सोडियम को कम करना चाहिए ।
अगर आप दिन भर बाहर रहती हैं, और जंक फूड का सेवन करती हैं, तो इससे भी वॉटर रिटेंशन का जोखि बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए घर के बने हेल्दी खाने की आदत डालें। इनमें सही मात्रा में फल, सब्जियां, और पूरे अनाज को शामिल करें। ये सभी पोटैसियम के अच्छे स्रोत हैं, जो वॉटर रिटेंशन से निपटने में आपकी मदद करेंगे।
कभी-कभी जिस समस्या को हम साधारण समझ रहे होते हैं, वह गंभीर भी हो सकती है। इसलिए अगर उपरोक्त उपाय अपनाने के बाद भी आपको राहत नहीं मिलती है, तो आपको इसे गंभीरता से लेना होगा। यह किसी अंतर्निहित समस्या की ओर इशारा करता है। गंभीर वॉटर रिटेंशन की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, क्योंकि डॉक्टर आपकी हर परिस्थिति को देखकर आपको सही सलाह देगा।
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