क्या है दिल्ली-यूपी में बच्चों में बढ़ता जा रहा वायरल फीवर, जानिए इस बारे में सब कुछ

पिछले कुछ दिनों में ही यूपी में वायरल फीवर के 1000 से ज्यादा मामले आ गए हैं। दिल्ली-एनसीआर में भी ये अपने पांव पसार रहा है।
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बच्चों के बीमार पड़ने के जोखिम को कम करने के लिए पेरेंट्स और केयर करने वालों को सतर्क रहना चाहिए। चित्र : शटरस्टॉक

मानसून का मौसम अपने साथ बारिश और बीमारियां दोनों लेकर आता है। कोरोना वायरस के कहर के साथ – साथ यह मौसम सर्दी, खांसी, जुकाम और फ्लू का है। एक और समस्या है जो इन दिनों सबसे ज़्यादा परेशान करती है, वह है वायरल फीवर।

कभी – कभी वायरल फीवर के लक्षणों को समझना मुश्किल हो जाता है और हम इसे मामूली बुखार समझकर खुद इलाज करते रहते हैं जिससे स्थिति बिगड़ सकती है। आपको बता दें कि बीते दिनों नोएडा, फिरोजाबाद और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में वायरल फीवर के मामले देखने को मिले हैं – खासकर बच्चों में। इन शहरों में महज दो दिन में 100 से भी ज़्यादा लोग वायरल फीवर कि चपेट में आए हैं।

वायरल फीवर के मामलों और कोरोना की तीसरी लहर की बढ़ती गंभीरता को देखते हुये, इस लेख में आपको वायरल फीवर से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे, जिससे आप अपने अपनों का ख्याल रख सकें।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, दिल्ली के डायरेक्टर और जनरल पीडियाट्रिक्स, डॉ. नितिन वर्मा का कहना है कि हम इन दिनों वायरल फीवर के प्रकोप से जूझ रहे हैं। आज हमारे लगभग 25 प्रतिशत ओपीडी में बच्चे हैं जिन्हें सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षण हैं।

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वायरल फीवर के बढ़ रहे हैं मामले।चित्र -शटरस्टॉक

उन्होंने कहा, ”कुछ मामले साधारण वायरल के हैं जबकि कुछ।, H3N2 के मामले हैं जो, स्वाइन फ्लू का एक रूप है।”

जीआईएमएस नोएडा के निदेशक डॉ (ब्रिगेडियर) राकेश गुप्ता ने बताया कि वायरल बुखार से पीड़ित छह बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें एक मामला डेंगू का है।

उन्होंने कहा, ‘हमें ओपीडी में रोजाना लगभग 30 मरीज ऐसे मिल रहे हैं जिन्हें वायरल फीवर है।’

रोहिलखंड क्षेत्र के बरेली, बदायूं, मुरादाबाद और पीलीभीत जिलों जैसे नए क्षेत्रों से वायरल बुखार के मामले सामने आ रहे हैं। बदायूं जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) विजय बहादुर राज ने कहा कि उन्हें हर दिन 1,100 से 1,400 मरीज मिल रहे हैं और उनमें से ज्यादातर वायरल बुखार जैसे लक्षणों की शिकायत करते हैं।

मुरादाबाद में मंगलवार को वायरल फीवर के करीब 400 नए मरीज सामने आए।

आखिर क्या होता है वायरल फीवर?

वायरल फीवर ऐसा बुखार है जो वायरल संक्रमण के कारण होता है। वायरस छोटे कीटाणु होते हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाते हैं। जब आप सर्दी या फ्लू जैसी वायरल समस्या से ग्रसित होते हैं, तो आपका इम्युनिटी सिस्टम प्रतिक्रिया करता है।

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वायरल बीमारियां एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक नहीं होती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

बैक्टीरियल संक्रमण के विपरीत, वायरल बीमारियां एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक नहीं होती हैं। साथ ही, संक्रमण के प्रकार के आधार पर बुखार उतरने में एक सप्ताह या उससे अधिक समय लग सकता है।

क्या हैं वायरल फीवर के लक्षण

तेज़ सरदर्द
रैश
तेज रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
गर्दन में अकड़न
बार-बार उल्टी होना
सांस लेने में कठिनाई
छाती या पेट दर्द

यदि आपके बच्चे का बुखार 103°F (39°C) या इससे अधिक है, तो अपने चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें। साथ ही, अगर आपका बच्चा छोटा है तो, बुखार 101°F होने पर डॉक्टर से सलाह लें।

जानिए आप अपने बच्चे को वायरल फीवर की चपेट में आने से कैसे बचा सकती हैं

वायरल बुखार से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए यहां कुछ सरल उपाय दिए गए हैं:

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हाथ धोते रहना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

– बार-बार हाथ धोने को कहें, बच्चा छोटा है तो आप भी बार-बार हाथ धोती रहें। खासतौर से बच्चे को छूने या खाना खिलाने से पहले।
– बाहर जाते समय हर 20-30 मिनट में हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें
– बाहर जाते समय बच्चे को फेस मास्क जरूर पहनाएं। मास्क बच्चे की फिटिंग का होना चाहिए। न बहुत छोटा और न ही बड़ा।
– घर में आने वाला और घर से बाहर जाने वाला व्यक्ति मास्क पहनने के नियम का पालन करे।
– खांसते या छींकते समय अपनी कोहनी या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें
– संतुलित आहार लें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें

यदि बच्चा वायरल फीवर की चेपेट में आ गया है तो क्या करें

1. वायरल फीवर आपके शरीर को सामान्य से ज्यादा गर्म कर देता है। इससे आपके शरीर को ठंडा करने के प्रयास में पसीना आता है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। वायरल फीवर होने पर जितना हो सके उतना पानी पीने की कोशिश करें। ताकि खोए हुए तरल पदार्थ की पूर्ति हो सके। आप बच्चे को हर्बल चाय या सूप भी पी दे सकती हैं।

2. वायरल बुखार एक संकेत है कि शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। इसलिए, जितना हो सके बच्चे को आराम करवाएं और बाहर खेलने न जानें दें।

इसके अलावा, खुद से इलाज करने या बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई लेने से बचें, इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

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लेखक के बारे में

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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