आज कल हम जिस तरह के स्ट्रेस (stress) और लाइफ में व्यस्त है उसके कारण कई लोगों की नींद पूरी तरह से पूरी नहीं हो पाती है। कई लोग रात तर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते है जिसके वे लेट सोते है और सुबह काम पर जाने के लिए जल्दी उठने की वजह से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है। हमने अपना लाइफस्टाइल ऐसा बना लिया है जिसमें हमारे लिए सब चीज का समय है केवल स्वस्थ रहने का ही समय नहीं है।
हृदय संबंधी समस्याएं भारत में बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण हैं। हालांकि हम ये पहले से ही जानते है कि खराब आहार, कम व्यायाम और धूम्रपान जैसे कारक हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन खराब नींद भी आपके हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक स्टडी के मुताबिक सोने में परेशानी, सोते रहना और बहुत कम नींद महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है। हाइपरटेंशन के नवंबर 2023 के एक अध्ययन में 16 साल तक 66,122 महिलाओं के स्वास्थ्य पर नज़र रखी गई। जब 2001 में अध्ययन शुरू हुआ, तो महिलाओं की उम्र 25 से 42 वर्ष के बीच थी और उन्हें उच्च हाइपरटेंशन नहीं था।
इस अध्ययन मे पाया गाया कि जिन महिलाओं ने 7 से 8 घंटो की पूरी नींद ली उन्हे हाइपरटेंशन की समस्या नहीं थी। लेकिन जो महिलाएं 5 से 6 घंटे की नींद लेती थी या जिन्हें कोई नींद की समस्या थी उनमें हाइपरटेंशन की समस्या देखी गई।
इस अध्ययन के लेखक बताते है कि खराब नींद सीधे तौर पर हृदय रोग से नहीं जुड़ी है बल्कि खराब नींद तनाव और हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकते है। जिससे आपको हार्ट की समस्या हो सकती है।
अपर्याप्त या खराब गुणवत्ता वाली नींद हाइपरटेंशन का कारण बन सकती है। समय के साथ, उच्च रक्तचाप हृदय और रक्त वाहिकाओं पर दबाव डाल सकता है, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
लगातार नींद की कमी या खराब नींद की क्वालिटी का खराब होना हृदय रोग के बढ़ते हुए जोखिम का कारण बन सकता है। इसमें कोरोनरी धमनी रोग, दिल का दौरा और हार्ट फेल जैसा समस्या हो सकती है।
नींद की कमी से शरीर में सूजन बढ़ सकती है, जो हृदय रोग की समस्या का कारण बन सकती है। यह सूजन आपके हार्ट हेल्थ को भी प्रभावित कर सकती है। इससे आपका हार्ट पूरे शरीर में ठीक तरह से ब्लड नहीं पहुंचा पाएगा।
आपकी नींद भूख, मेटाबॉलिज्म और इंसुलिन में परिवर्न से संबंधित हार्मोन को रेगुलेट करने में काफी मदद करता है। नींद की कमी इन हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती है। जिससे वजन बढ़ना, इंसुलिन में परिवर्तन और मधुमेह जैसी स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है।
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