हार्मोनल संबंधी समस्याएं, इनफर्टिलिटी, ओबेसिटी, कांस्टीपेशन, पाइल्स, इरिटेबल वावेल सिंड्रोम और लीवर संबंधी समस्याओं की स्थिति में बॉडी में आयरन का स्तर गिर जाता है (iron deficiency)। जिसकी वजह से हीमोग्लोबिन लेवल कम होने लगता है। बॉडी में हीमोग्लोबिन का स्तर एक खास महत्व रखता है। यह कई शारीरिक फंक्शंस को रेगुलेट करता है, जिससे कि बॉडी सही से कार्य करती है। बॉडी में हीमोग्लोबिन का स्तर मेंटेन करने के लिए शरीर में उचित मात्रा में आयरन होना जरूरी है।
वहीं आयरन की आवश्यकता को पूरा करने में आयुर्वेद आपकी मदद कर सकता है। आयुर्वेद एक्सपर्ट और हेल्थ कोच चैताली राठौड़ ने शरीर में आयरन की मात्रा को बनाए रखने के लिए कुछ खास आयुर्वेदिक टिप्स दिए हैं। तो चलिए जानते हैं, आखिर ये नुस्खे किस तरह से काम करते हैं (ayurvedic tips to maintain iron level in body)।
आंवला और शहद दोनो ही विटामिन सी और आयरन का एक समृद्ध स्रोत हैं। इसके साथ ही आंवला में कई अन्य महत्वपूर्ण गुणवंताएं हैं, जो शरीर में आयरन की मात्रा को बढ़ाते हैं और उन्हें बने रहने में मदद करते हैं। यदि आपके हीमोग्लोबिन का स्तर हमेशा कम रहता है, तो रोजाना अपनी डाइट में आंवला लें।
इसके लिए या तो आंवला को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें, यदि आप चाहें तो आंवला का रस और शहद को एक साथ मिलाकर भी ले सकती है। बेहतर परिणाम के लिए रोजाना इसे खाली पेट लें।
मेथी के दानों को रात भर पानी में भिगो दें। इन्हें चावल के साथ पकाकर सुबह अपनी डाइट में शामिल करें। आप चाहें तो के भिगोए हुए पानी को फेंकने की जगह इसे पी सकती हैं। यह आपकी बॉडी में आयरन लेवल को मेंटेन रखते हुए रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है। इससे बॉडी में पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन बना रहता है और शरीर के सभी अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचता है, इससे आपकी बॉडी सही से कार्य कर पाती है।
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कद्दू के बीज, तिल के बीज, सूरजमुखी के बीज का मिश्रण लें, यह आयरन से भरपूर होते हैं, और शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा में सुधार करते हैं। नाश्ते के रूप में कद्दू के बीज को आहार में शामिल करने से रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन बढ़ता है। कद्दू के बीज हो या सूरजमुखी के सभी की गुणवत्ताएं अलग-अलग हैं और सभी अपने ढंग से बॉडी को रिस्पांस करते हैं।
इन सब में जो सबसे कॉमन हैटी, वे है इनके आयरन का स्तर। ये शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन प्रदान करते हैं। सभी बीजों को बराबर मात्रा में मिला लें और रोजाना सुबह इस मिश्रण के एक चम्मच लें।
रात के समय में इन बीजों को भिगोकर छोड़ सकते हैं और आप सुबह इन्हें इंजॉय कर सकती हैं। यहां तक लोग इन्हें सब्जियों में इस्तेमाल करने लगे हैं, तो आप चाहे तो इनकी सब्जियां भी तैयार कर सकती हैं।
मोरिंगा की पत्तियों में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है और ये आयरन डिफिशिएंसी की स्थिति में बेहद कारगर साबित हो सकती है। वहीं इसमें विटामिन ए, विटामिन सी और मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है। यह सभी शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, इसका नियमित सेवन बॉडी में आयरन की मात्रा को बनाए रखते हुए हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ावा देता है, जिससे कि शारीरिक संतुलन बरकरार रहता है।
रोज सुबह एक चम्मच मोरिंगा की पत्तियों से बने पाउडर के सेवन से एनीमिया से राहत प्राप्त करने में मदद मिलेगी साथ ही साथ सेहत में कई अन्य सुधार भी नजर आएंगे।
व्हीटग्रास में भरपूर मात्रा में बेटा कैरोटीन, विटामिन के, फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी और विटामिन बी जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह सभी बॉडी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। खासकर इसमें मौजूद आयरन की मात्रा आयरन डिफिशिएंसी से लड़ने में आपकी मदद करती है और बॉडी में हीमोग्लोबिन के स्तर को मेंटेन रखती है। इसमें कई ब्लड बिल्डिंग फैक्टर पाए जाते हैं, जो इसे एनीमिया की स्थिति के लिए बेहद खास बनाते हैं। आपको केवल इन्हें अपनी मॉर्निंग स्मूदी में ऐड करना है। यदि आप चाहे तो नियमित रूप से एक चम्मच व्हीटग्रास पाउडर ले सकती हैं।
नोट: सभी उम्र के लोग इसे ले सकते हैं। यदि आपको गठिया की समस्या है, तो उन्हें आंवले से परहेज करना चाहिए और जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल कम रहता है उन्हें अधिक मेथी से परहेज करना चाहिए।
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