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क्या मेनोपॉज के साथ आपका भी वजन बढ़ने लगा है? तो अब वक्त है इससे जुड़े कुछ मिथ्स को दूर करने का

अगर आपको लग रह है कि पीरियड खत्म होने के बाद सभी का वजन बढ़ता है, तो आप बिल्कुल गलत हैं। असल में वजन बढ़ने के लिए मेनोपॉज के अलावा और बहुत सारे फैक्टर जिम्मेदार होते हैं।
Published On: 4 Feb 2024, 08:00 pm IST
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Hip fat ke kaaran
मेनोपॉज के बाद शरीर में कुछ बदलाव होते है जो वजन बढ़ने का कारण बनते है। चित्र : शटरकॉक

मेनोपॉज का सामना हर स्त्री को अपने जीवन में करना पड़ता है। इसके बावजूद अब इसके बारे में बहुत ज्यादा बात नहीं हो पाती। यही वजह है कि मेनोपॉज के साथ कुछ भ्रामक अवधारणाओं को भी टैग कर दिया गया है। यही वजह है कि बहुत सारी महिलाएं मेनोपॉज से पहले ही यह सोचकर घबराने लगती हैं, कि इसके बाद उनकी फिटनेस बर्बाद होने वाली है। पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आज मेनोपॉज से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथ्स दूर करते हैं।

समझिए मेनोपॉज की स्थिति

कई सालों तक आप पीरियड से गुजरते है और उसके बाद वो एक दम से बदल जाती है और इसके साथ ही आपकी पहले वाली आदत भी बदल जाती है, शरीर में भी कई तरह के बदलाव होते है जो की नॉर्मल है वो होते ही है। लेकिन ऐसे कई मिथ है जो कई लोगों में फैले है कि मेनोपॉज के बाद वजन कम करना मुश्किल है या वजन नहीं बढ़ता है। तो चलिए नजर डालते है इसी तरह के कुछ मिथ पर।

menopause mei vajan badhna
प्रीमेनोपॉज़ के दौरान सेक्स हार्मोन में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

मिथ 1: मेनोपॉज में वजन बढ़ता खतरनाक है

ऐसा नहीं है कि मेनोपॉज के बाद बिल्कुल वजन नहीं बढ़ता है। मेनोपॉज के बाद शरीर में कुछ बदलाव होते है जो वजन बढ़ने का कारण बनते है। मेनोपॉज के दौरान औसतन 5-10 पाउंड वजन बढ़ते हुए देखा जा सकता हैं। आपने ऐसी कुछ महिलाओं को देखा होगा जिनके वजन में बहुत ज्यादा बदलाव होता है, कई डेटा भी सामने आए हैं जो ये बताते हैं कि 50 से 60 की उम्र के बीच बहुत महिलाओं का वजन प्रति वर्ष औसतन 1.5 पाउंड बढ़ता है।

प्रीमेनोपॉज़ के दौरान सेक्स हार्मोन में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है। प्रीमेनोपॉज़ के दौरान, प्रोजेस्टेरोन का स्तर आम तौर पर कम हो जाता है, जिससे एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ जाता है। माना जाता है कि इस असंतुलन का वजन बढ़ने पर प्रभाव पड़ता है। मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्तर काफी कम हो जाता है, जिससे महिलाओं में कूल्हों और जांघों के बजाय पेट पर चर्बी बढ़ने की संभावना अधिक होती है।

अगर आपको यह लग रहा है कि आपके कपड़े टाइट हो रहे है, लेकिन आपका स्वास्थ्य वजन बढ़ने के बाद भी ठीक है तो इससे आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब ये है कि ये वसा आपको सुरक्षित करने के लिए है। इस वजन परिवर्तन के साथ मुख्य समस्या यह है कि यह आम तौर पर वजन घटाने तकनीकों के प्रति अधिक प्रतिरोधी है, और इससे खतरनाक, सूजन संबंधी आंट का वसा बढ़ता है।

मिथ 2: मेनोपॉज में खाना कम कर देना चाहिए

वजन बढ़ने के साथ, कई महिलाएं पारंपरिक आहार और व्यायाम विशेषकर कार्डियो को वापस से शुरू कर देती है। इससे आपकी मांसपेशियां कम होने के साथ-साथ आपको कमजोरी, थकान और भूख महसूस करा सकती है।

मांसपेशियां वसा की तुलना में मेटाबॉलिज्म की दृष्टि से अधिक सक्रिय होती हैं, मांसपेशियों के कम होने से आप आराम करने में जो ऊर्जा बर्न करते है वो भी कम हो जाती है। अधिक मांसपेशी होने से फैट बर्न करके कैलोरी की कमी को आसान बनाने में मदद मिलती है।

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इस दौरान फैट बरन करने के लिए आपको तनाव कम करना, नींद पर्याप्त लेना, पर्याप्त प्रोटीन और फाइबर खाना, भारी वजन उठाना और कुछ जोरदार प्रशिक्षण करने की जरूरत होती है।

premature menopause ke lakshan menopause aise hi hote hain.
अधिक मांसपेशी होने से फैट बर्न करके कैलोरी की कमी को आसान बनाने में मदद मिलती है। चित्र- अडोबी स्टॉक

मिथ 3: हार्मोनल बदलाव ही वजन बढ़ाते है

आपका लाइफस्टाइल कैसा है यो मेनोपॉज के साथ आने वाली वजन बढ़ने की कुछ चिंताओं से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। और जीवनशैली केवल हार्मोन ही नहीं सबसे पहले वजन बढ़ने को भी प्रभावित करते हैं।

एक डेटा दिखाता है कि आपके मध्य भाग के आसपास वसा 30 के दशक में शुरू होने वाले पुरुषों और महिलाओं दोनों में बढ़ने लगता है और 40 और 60 के बीच चरम पर होता है।

लेकिन साइंस में छपे 2021 के एक अध्ययन में पाया गया कि वजन में यह बदलाव धीमे मेटाबॉलिज्म के कारण नहीं है। इससे पता चलता है कि पर्यावरणीय कारकों का प्रभाव जैसे हाई कैलोरी फूड, कम व्यायाम, तनाव की प्रतिक्रिया और खराब नींद की गुणवत्ता मध्य आयु में वजन बढ़ने में कहीं अधिक योगदान देने वाला कारक हो सकते है।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
संध्या सिंह
संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं।

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