दिनभर स्किन धूल, मिट्टी, सनलाइट, पसीना और पाल्यूटेंटस के संपर्क में आती है। जो त्वचा के ग्लो और इलास्टिसिटी को प्रभावित करती है। ऐसे में स्किन को मुलायम और हेल्दी बनाने के लिए मॉइश्चराइजर को डे केयर रूटीन में शामिल करना बेहद ज़रूरी है। अब सवाल ये उठता है कि क्या हर मॉइश्चराइज़र हर तरह की स्किन को फायदा पहुंचा सकता है। किसी की स्किन ऑयली है, तो कोई त्वचा के रूखेपन से परेशान है। ऐसे में स्किन को हेल्दी बनाए रखने के लिए मॉइश्चराइजर एक बेहतरीन विकल्प है। इससे त्वचा हाइड्रेट और मुलायम बनी रहती है। जानते हैं मॉइश्चराइजर क्यों है ज़रूरी और इसे कैसे चुनें (Way to select a perfect moisturizer)।
त्वचा का रूखापन बढ़ने के कारण सर्दियों में खासतौर से मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल किया जाता है। इससे स्किन की लेयर्स में नमी बरकरार रहती है। जो त्वचा के लचीलेपन को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। इस बारे में एमडी, एमबीबीएस, डर्माटोलॉजिस्ट डॉ नवराज सिंह विर्क का कहना है कि केवल सर्दियों में ही नहीं इसका इस्तेमाल आप सालभर कर सकते हैं। जो चेहरे की लेयर को कवर करके उसकी नमी को बरकरार रखती है। त्वचा को मॉइश्चराइज करने के लिए सिंपल कोकोनट ऑयल भी प्रयोग किया जा सकता है।
एक्सपर्ट के अनुसार मॉइश्चराइजर दो प्रकार के होते हैं। एक चेहरे के लिए और दूसरा ओवरऑल बॉडी के लिए। अगर आप चेहरे के लिए उचित मॉइश्चराइजर की तलाश कर रही हैं। तो उसका नॉन कोमेडोजेनिक होना ज़रूरी है। इसके इस्तेमाल से चेहरे के पोर्स ब्लॉक और क्लॉग नहीं होते है। एक्सपर्ट के अनुसार 18 से 30 साल के लोगों को एक्ने की समस्या बनी रहती है। तो ऐसे में नॉन कोमेडोजेनिक मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता हैं।
पानी, ग्लिसरीन, स्टीयरिक एसिड, प्रोपलीन ग्लाइकोल और लैनोलिन से मॉइस्चराइज़र तैयार किया जाता हैं। इसके अलावा त्वचा को हेल्दी बनाए रखने के लिए कोकोनट ऑयल, जोजोबा तेल और लिनोलिक एसिड का इस्तेमाल किया जाता है। इससे त्वचा की बाहरी परत को मुलायम और ग्लोई बनाया जा सकता है। हर प्रकार की स्किन के लिए माइश्चराइज़र का प्रयोग आवश्यक होता है। इससे त्वचा पर होने वाली झुर्रियों से लेकर डार्क स्पॉटस सभी प्रकार की स्किन संबधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
अगर मौसम बदलने के साथ आपकी त्वचा रूखी और खुरदरी होने लगी है, तो ग्लीसरिन कॉंटेंट का ख्याल रखें। मॉइश्चराइज़र में ग्लीसरिन और ऑयल की उचित मात्रा होने से त्वचा की नमी बनी रहती है। इसके अलावा ये स्किन के लिए एक कवरिंग एजेंट की भूमिका निभाता है। जो त्वचा को वॉटर लॉस से बचाने में मदद करता है। इसके लिए नहाने के बाद स्किन को पैट करें और फिर माश्चराइज़़र को अप्लाई करें। इससे स्किन हेल्दी रहती है।
अगर आपकी त्वचा पर हर थोड़ी देर में तेल जमा होने की समस्या बनी रहती हैं। तो ऐसे में नॉन कोमेडोजेनिक मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा पर अतिरिक्त तेल की समस्या से बचा जा सकता है। जो चेहरे पर होने वाले मुहांसों से हमारी रक्षा करता है। इससे स्किन क्लीन और क्लीयर बनी रहती है और पोर्स में होने वाली ब्लॉकेज से बचा जा सकता है। दरअसल, ब्लॉक पोर्स ब्लैकहेड्स का कारण बनने लगते हैं।
किसी भी प्रोडक्ट को लगाने से अगर आप इचिंग रैशेज और रूखेपन के शिकार हो जाते हैं। इसका अर्थ है कि आपकी स्किन बेहद संवेदनशील है। ऐसे में हाइपोएलर्जेनिक और फ्रैगरेंस फ्री मॉइश्चराइजर का प्रयोग आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे स्किन हाइड्रेट रहती है। साथ ही इचिंग से भी मुक्ति मिल जाती है।
सामान्य स्किन के लिए क्रीमी मॉइश्चराइज़र को अप्लाई कर कसते हैं। इससे त्वचा का लचीलापन बढ़ने लगता है। त्वचा पर मॉइश्चराइज़र का असर 4 से 5 घंटों तक बना रहता है। ऐसे में यूवी रेज़ से खुद को बचाने के लिए सनस्क्रीन के अलावा मॉइश्चराइज़र अप्लाई करना भी ज़रूरी है। एंटी एजिंग एजेंट के रूप में काम करने वाले मॉइश्चराइज़र को रात में सोने से पहले भी अप्लाई करें। इससे चेहरे की स्किन के टैक्सचर को बेहतर बनाया जा सकता है।
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