स्वामी विवेकानंद की आज जयंती (Swami Vivekananda Jayanti) है। उनके जन्मदिन को हम युवा दिवस (Youth Day) के रूप में मनाते हैं। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन और कार्यों के माध्यम से कई सीख दी। उनकी ये सीख युवाओं के लिए प्रोफेशनल फ्रंट पर बहुत उपयोगी हैं। युवा यदि उनकी बातों का अनुसरण करें, तो उन्हें कभी बॉस की डांट या कूलीग के गलत व्यवहार पर क्रोध नहीं आएगा। वे अपनी कमियों में सुधार कर अपने लक्ष्य को पा सकेंगे। साथ ही प्रमोशन भी मिलता चला जायेगा। विवेकानंद की युवाओं के लिए प्रोफेशनल लाइफ (vivekananda motivational quotes hindi) के लिए उपयोगी बातों को जानने से पहले युवा दिवस के बारे में जानते हैं।
स्पिरिचुअल गुरु स्वामी विवेकानंद 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में पैदा हुए थे। वर्ष 1984 में भारत सरकार ने 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित कर दिया। तब से लेकर आज तक भारत में हर साल युवाओं को उनकी बातों से प्रेरित और जागरूक करने के लिए 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष उनकी 150 वीं जयंती मनाई जा रही है।
अक्सर ऑफिस में हम कई बातें जैसे-समय पर ऑफिस आना, डेडलाइन पर काम पूरा करना, नये आइडियाज पर काम करना आदि जैसी चीजें दूसरों से अपेक्षा करते हैं। लेकिन खुद वे सारे काम नहीं करते हैं।
‘द मास्टर एज आई साउ हिम’ में सिस्टर निवेदिता स्वामी विवेकानंद के बारे में लिखती हैं कि स्वामी जी जो भी बार लोगों से कहते, पहले खुद पर लागू करते। अपने शरीर की परवाह न करते हुए खुद रोगियों की सेवा-सुश्रूषा करते। स्वयं सफाई करते। आवश्यक कार्यों को समय पर पूरा करते। इसतरह लोगों के सामने अपना उदाहरण पेश करते।
‘द लाइफ ऑफ़ विवेकानंद’ किताब में उल्लेख है, ‘एक बार एक युवा स्वामी विवेकानंद के पास गया। उसने उनसे कहा- मैं अब ये काम नहीं कर सकता। मुझे दूसरे कई काम के बहुत सारे अनुभव हैं। विवेकानंद ने कहा, ‘आपको जीवन भर सीखते रहना होगा। चींटी नहीं जानती है कि सामने का रास्ता ऊबड़-खाबड़ होगा या सपाट। तुरंत अपने को तैयार कर या सीख कर आगे बढ़ना शुरू कर देती है।
स्वामीजी मानते थे कि किसी भी कला या चीज को जाने बिना उसे नकारने की बजाय उसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ नया सीखने की चाह जीवन भर बनी रहनी चाहिए। सीखने से न केवल हमारे पूर्वाग्रह टूटते हैं, बल्कि वह आगे के जीवन में भी फायदेमंद साबित होता है। युवाओं के लिए उनकी यह सीख बड़े काम की है कि भले ही आपको किसी ख़ास फील्ड की बहुत नॉलेज हो, लेकिन नई तकनीक और नया काम आपको हमेशा सीखते रहना पड़ेगा।
एक बार किसी ने स्वामी विवेकानंद से कहा, ‘ स्वामीजी मुझे गीता समझा दीजिए। उन्होंने उससे पूछा- ‘क्या आपने कभी फुटबॉल खेला है? यदि नहीं, तो जाइए घंटे भर खेल-कूद लीजिए। गीता समझने का वास्तविक क्षेत्र फुटबॉल का मैदान है। आप स्वयं समझ जाएंगे। किसी भी काम के बारे में सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान जरूरी है। यदि आप किसी क्षेत्र में कामयाब होना चाहते हैं, तो उसके बारे में सतही नहीं, पूरी जानकारी हो।
रामधारी सिंह दिनकर की किताब ‘संस्कृति के चार अध्यायÓ में यह बताया गया है कि स्वामी विवेकानंद मानसिक स्वास्थ्य के लिए खेलकूद को जरूरी मानते थे। विवेकानंद बचपन से ही कुश्ती, बॉक्सिंग, दौड़, घुड़दौड़ में दक्ष थे। वे कुशल तैराक भी थे। इन सब के अलावा, वे संगीत के भी प्रेमी थे।
तबला बजाने में उस्ताद थे। वे बार-बार कहा करते थे कि यदि आपको लगता है कि काम करने में आपकी मानसिक शक्ति अधिक खर्च होती है, तो किसी न किसी खेल से जुड़े रहें। दिमाग को मजबूत बनाने के लिए यह बहुत जरूरी है।
अक्सर हम प्रोफेशनल फ्रंट पर दोनों पक्षों को जाने-बिना अपनी धारणा बना लेते हैं। किसी व्यिक्तिे या कार्य के बारे में जाने बिना ही यह बोल उठते हैं कि फलां गलत है और फलां सही। ऐसी परिस्थितियों से विवेकानंद भी दो चार हुए थे। जब वे युवा थे, तो उस समय किसी एक ख़ास विचार को श्रेष्ठ बताने के लिए दूसरे विचारों की निंदा की जा रही थी। इतिहासकार रोमा रोलां की किताब ‘विवेकानंद की जीवनीÓ के अनुसार, स्वामीजी जिज्ञासु प्रवृति के थे।
उन्होंने निंदकों के सुर में सुर मिलाने की बजाय खुद प्रमाण खोजने की कोशिश की। उन्होंने कई देशी-विदेशी दार्शनिकों की किताबों का गहन अध्ययन किया। खुद आंखों से सत्य जानना चाहा। प्रोफेशनल फ्रंट पर जुटे हर व्यक्ति को उनकी तरह जिज्ञासु होना होगा। तभी सफलता मिल पाएगी।
रोमा रोलां के अनुसार, स्वामी विवेकानंद स्वयं संन्यासी थे, लेकिन वे घर-ऑफिस से जुड़े व्यक्ति से स्पष्ट कहते थे। मानसिक शान्ति और अपना लक्ष्य पाने के लिए उन्हें रोज की दिनचर्या से पांच मिनट समय निकालकर मन एकाग्र करना चाहिए।
इससे उन्हें सफलता मिलने में मदद मिलेगी।
भूख और भोज के बीच विवेकानंद किताब में विवेकानंद को भोजन का प्रेमी बताया गया है। इस किताब में यह स्पष्ट बताया गया है कि स्वस्थ जीवन सफलता की पहली शर्त है। भोजन स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक होना भी जरूरी है। लेकिन भोजन ध्यानपूर्वक खाने के लिए समय निकालें। इससे आप हर तरह के तनाव से मुक्त होंगे और आपका शरीर स्वस्थ होगा।
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