बदलते समय के साथ लोगों की लाइफ स्टाइल भी बहुत तेजी से बदल रही है। वहीं कई लोग ऐसे हैं जो बदलते समय के साथ खुद को उस स्थिति में ढाल लेते है, तो कुछ लोग ऐसे हैं जो वहीं कहीं पीछे छूट जाते हैं। परंतु इस बदलते समय के साथ खुद को बदलना भी जरूरी है। जेनरेशन गैप सबसे ज्यादा किसी रिश्ते को प्रभावित करता है, तो वह है मां बाप के साथ बच्चे का रिश्ता। बदलता लाइफस्टाइल पेरेंट्स और बच्चों के बीच दूरी बनाता जा रहा है। ऐसे में सबसे जरूरी है अपने बच्चों का दोस्त बनना (how to be your child’s best friend)। जानिए यह कैसे संभव हो सकता है।
लगभग सभी माता-पिता के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों हमारे बच्चे हमसे चीजें छुपाते हैं? परंतु आपने कभी सोचा है कि इसमें बच्चों के साथ-साथ आपकी भी गलती हो सकती है। क्या आपने कभी उनका दोस्त बनने की कोशिश की है? अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम ऐसा क्या करें कि वह हमारे दोस्त बन पाएं। चिंता न करें हम लेकर आए हैं, ऐसे 4 टिप्स जो आपको अपने बच्चों के साथ घुलने मिलने में मदद करेंगे। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
बच्चों का दोस्त बनने का सबसे आसान तरीका है उन्हें पर्याप्त समय देना। हालांकि, आजकल के ज्यादातर माता-पिता दोनों ही वर्किंग होते हैं, ऐसे में बच्चों को अकेले रहने की आदत पड़ जाती है। इसलिए पेरेंट्स को अपने व्यस्त कार्यक्रम से कुछ समय निकालकर बच्चों के साथ समय व्यतीत करना चाहिए। यदि आप उनके साथ समय नहीं बिता पा रही है, तो यह आपके बच्चों के मन में एक गलत अवधारणा बना सकता है। ऐसे में उनके साथ बैठे और उनसे बातचीत करने की कोशिश करें।
यदि ज्यादा समय नहीं निकाल पाती हैं, तो कम से कम नियमित रूप से एक समय आधारित कर लें जहां आप उनसे उनके पूरे दिनचर्या की बातें करें और अपनी बातें भी बताएं। इससे उन्हें आपके साथ घुलने मिलने में आसानी होगी और वह आपसे अधिक कंफर्टेबल हो पाएंगे।
बच्चों के ग्रोथ को लेकर जागृत रहना बहुत जरूरी है। साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी की क्या वह एक सही दिशा में जा रहे हैं या नहीं। परंतु इन सब के बीच उनको लेकर ओवरप्रोटेक्टिव हो जाना भी गलत है। कभी-कभी बच्चों को निर्णय लेने की आजादी दें। वह गलतियां करेंगे और खुद ब खुद उन गलतियों से सीखेंगे। ऐसा करने से उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। अन्यथा उन्हें आपकी बताई गई चीजों पर चलने की आदत हो जाएगी और आगे चलकर यही बातें उनके ग्रोथ पर भारी पड़ सकती है।
वहीं ज्यादातर ओवरप्रोटेक्टिव पैरंट्स अपने बच्चों के दोस्त नहीं बन पाते, क्योंकि बच्चे चीजों को छिपाना शुरू कर देते हैं। इसलिए बच्चों के साथ जितना हो सके उतना फ्रेंडली रहने की कोशिश करें।
आजकल के पेरेंट्स के लिए सबसे जरूरी है ओपन माइंडेड होना। बदल रहे इस दौर में यदि आप बच्चों से सब कुछ पहले जैसा चाहेंगी, तो यह होना मुश्किल है। क्योंकि आपके समय और इस समय में काफी अंतर आ चुका है और जो चीजें आप किया करती थीं, जरूरी नहीं कि आपके बच्चे भी वही करें। ऐसे में बच्चों द्वारा लिए गए निर्णय को लेकर उन्हें जज न करें। ऐसा करने से बच्चे आपसे चीजें छुपाने लगते हैं और आपके साथ कंफर्टेबल नहीं हो पाते।
ऐसे में बच्चों का दोस्त बनने के लिए आज की आधुनिक दुनिया को समझें और अपने बच्चों को निर्णय लेने की आजादी दें। साथ ही उनके साथ खड़ी रहें। यदि आपको बच्चे की कोई बात अच्छी नहीं लग रही है तो उनके पॉइंट को सुने और उसके बाद अपना जजमेंट दें।
एक अच्छे श्रोता बनने का मतलब यह है कि यदि आपका बच्चा किसी तरह की गलती कर दें, तो ऐसे में उन्हें डांटने और उनकी गलतियां बताने से पहले आखिर उन्होंने यह गलती कैसे और क्यों कर दी इस बात को शांति से सुनने और समझने की कोशिश करें।
यदि मां-बाप केवल अपनी सुनाते हैं और बच्चों की बातों को बिल्कुल भी तबस्सुम नही देते ऐसे में बच्चे डर जाते हैं और आपसे कुछ भी बताने से पहले सौ बार सोचते हैं। इसलिए एक बेहतर श्रोता होना ही एक अच्छे दोस्त की निशानी है। तो यदि आप भी अपने बच्चों की मित्र बनना चाहती हैं, तो सबसे पहले उनकी बातों को सुनने की आदत डालें।
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