जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे हमारे आसपास मच्छरों की तादाद भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में कोरोना के बीच डेंगू का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। डेंगू होने के बाद सबसे ज्यादा खतरनाक होता है प्लेटलेट्स काउंट का गिरना। डॉक्टर इसी पर नजर रखने की सलाह देते हैं। दुर्भाग्य से कोई भी दवा इन्हें बढ़ाने में कारगर नहीं है। पर आयुर्वेद में इसका उपचार है। आइए जानते हैं कैसे आप डेंगू होने पर अपना प्लेटलेट्स काउंट (How to increase platelets counts) घर पर रहकर भी बढ़ा सकते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, डेंगू एक वायरल बुखार है, जो मच्छरों के काटने से लोगों में फैलता है। ये बीमारी दुनिया भर में फैल चुकी है। डेंगू का वायरस मुख्य रूप से मादा एडीज इजिप्टी प्रजाति (Female Aedes aegypti species) के मच्छरों के काटने पर फैलता है। इसके आलावा कुछ लोगों में एडीज अल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) के जरिए भी यह वायरस फैल सकता है।
फ्लेविवाइरिडी फैमिली (Flaviviridae family) के एक वायरस के कारण लोगों में डेंगू बुखार होता है। आपस में काफी मिलते-जुलते ये वायरस चार तरह के हैं। इस वायरस का सेरोटाइप DENV-1, DENV-2, DENV-3 और DENV-4 डेंगू बुखार के लिए जिम्मेदार होता है। इनमें से किसी एक सेरोटाइप से संक्रमित होने और उससे उबरने के बाद मरीज के शरीर में उस सेरोटाइप के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाती है। जो आजीवन उसके दोबारा संक्रमण से बचाने का काम करती है।
मगर इसके दूसरे सेरोटाइप से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। एक के संक्रमण के बाद
दूसरे तरह के सेरोटाइप से संक्रमित होने पर (secondary infection) गंभीर किस्म के डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। जो कुछ लोगों की जान तक ले लेता है।
नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुमोल रत्ना (एमडी,मेडिसिन) बताते हैं कि डेंगू बुखार की चपेट में आने के बाद मरीज के शरीर में प्लेटलेट काउंट तेजी से घटने लगता है। उसका टीएलसी काउंट भी घट जाता है। इस वजह से मरीज की इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है। साथ ही डेंगू के मरीजों को डिहाइड्रेशन भी होने लगता है। इन सब कारणों की वजह से मरीज में सेकेंडरी इन्फेक्शन यानी अन्य बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार ज्यादातर डेंगू के मामलों में मरीज के शरीर में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं या मरीज के शरीर में इसके हल्के-फुल्के लक्षण नजर आते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डेंगू को दो तरह का बताया है – एक डेंगू (जिसके लक्षण नजर आ भी सकते हैं और नहीं भी) और दूसरा गंभीर डेंगू।
डेंगू के लक्षण नजर आने और न आने दोनों ही हालात में डॉक्टर को तय करने में सहूलियत मिल जाती है कि मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाए या नहीं। अगर मरीज भर्ती हो जाता है, तो उसकी देखरेख करने में आसानी हो जाती है। ऐसा करके डेंगू के खतरें को काफी हद तक रोकने में मदद मिलती है।
आमतौर पर डेंगू बुखार की चपेट में आने के 3 से 7 दिन बाद ही एक मरीज इस क्रिटिकल फेज में प्रवेश करता है। इस क्रिटिकल फेज के शुरुआती 24 से 48 घंटे के बीच, अचानक कुछ मरीजों की हालात तेजी से बिगड़ने लगती है। ऐसे समय में, उनमें सिवेयर डेंगू के लक्षण नजर आने शुरु हो जाते हैं।
जब मरीज के शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट से कम होने लगे तो आपको एलर्ट हो जाना चाहिए, क्योंकि इस तरह के लक्षण सिवेयर डेंगू के हो सकते हैं। सिवेयर डेंगू की चपेट में आने के बाद मरीज के शरीर में काफी खतरनाक जटिलताएं नजर आती है। जिनमें शरीर में प्लाज्मा लीक होने, लिक्विड इकट्ठा होने, मरीज को सांस लेने में तकलीफ, जगह-जगह से खून निकलने या कुछ अंगों के काम करने की क्षमता में कमी भी हो सकती है।
डेंगू के कारण मरीज के शरीर में तेजी से प्लेटलेट की संख्या घटती है। ऐसे में मरीजो को चाहिए कि वह उन घरेलु उपायों को शामिल करें, जिससे प्लेटलेट की घटती संख्या एक बार दोबारा फिर से बढ़ने लगे।
पपीते के पत्ते में एक बेदह खास औपधि गुण मौजूद है। दरअसल इसमें एसिटोजेनिन नाम का एक यूनिक फाइटोकेमिकल पाया जाता है, जो डेंगू से जूझ रहे मरीजों के घटते प्लेटलेट की संख्या को तेजी से बढ़ाने में कारगर है।
इसके आलावा इन पत्तियों में फ्लेवोनॉयड्स और कैरोटीन जैसे कई नेचुरल कंपाउंड मौजूद होते हैं, जो सूजन को कम करने और बतौर एंटीऑक्सीडेंट काम करते हैं। आप घर पर पपीते के पत्तियों का रस आसानी से तैयार कर सकती हैं। बस इसके लिए आपको 4 से 5 पत्तों को तोड़ना होगा फिर उसे पानी में उबालकर काढ़ा बनाना होगा। और एक बार काढ़ा तैयार कर लेने के बाद आप उसे 1 कप सुबह और एक कप शाम के समय ले सकती हैं।
डेंगू के मरीजों को रातभर पानी में मुट्ठी भर मुनक्का भिगोकर सुबह खाना चाहिए। ऐसा करने से इस दौरान शरीर में घट रही प्लेटलेट की संख्या वापस बढ़ने लगती है। दरअसल मुनक्का में आयरन की प्रचुर मात्रा मौजूद होती है और यह एनीमिया के मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
इस बीमारी में मरीजों को विटामिन सी (Vitamin C) की अधिकता वाले फूड्स को अपने खाने में शामिल करना चाहिए। विटामिन सी आपके शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है। विटामिन सी के लिए आप संतरा, आंवला, नींबू, शिमला मिर्च खा सकती हैं, क्योंकि इन फलों और सब्जियों में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा मौजूद है। डेंगू के दौरान और सामान्य दिनों में भी इसे अपने आहार में शामिल करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
अनार में कई जरूरी मिनरल्स जैसे आयरन और इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले न्यूट्रिएंट जैसे एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। डेंगू के मरीजों को नियमित अनार का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से निश्चित तौर पर उनके शरीर में प्लेटलेट की संख्या में इजाफा होगा।
इस विदेशी फल में पोटैशियम और विटामिन सी की भरपूर मात्रा मौजूद होती है। ये दोनों न्यूट्रीएंट आपके शरीर में प्लेटलेट की संख्या को तेजी से बढ़ाने में मदद करते हैं। यही कारण है कि ज्यादातर डॉक्टर डेंगू के मरीजों को कीवी खाने की सलाह देते हैं। यह फल डेंगू के मरीजो को एनर्जेटिक बनाए रखने में भी मदद करता है।
चुकंदर में मौजूद न्यूट्रीएंट प्लेटलेट्स को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इसलिए डेंगू के मरीज को रोजाना सलाद में चुकंदर खाने की सलाह दी जाती है। आप इसे सूप या जूस में भी शामिल कर सकती हैं। इस बुखार से उबरने के बाद भी वह अपने आहार में इसे शामिल कर सकते हैं, क्योंकि इससे ढेर सारे स्वास्थ लाभ मिलते हैं।
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पालक में विटामिन K भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ये विटामिन प्लेटलेट को बूस्ट करने का काम करता है। इसलिए डेंगू के मरीजों को ज्यादातर पालक खाने की सलाह दी जाती है। विटामिन K के आलावा पालक में फोलेट भी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो शरीर में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने और कोशिकाओं के वृद्धि में मदद करता है। बस ध्यान रहे कि आप इसे कच्चा न खाएं और न ही इसका जूस पिएं। पालक को हमेशा पकाकर खाना ही फायदेमंद होता है।
डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट की संख्या तेजी से घट रही है, तो उन्हें मेथी के बीजों का पानी भी दिया जा सकता है। इसके लिए उन्हें रात में एक चम्मच मेथी को एक गिलास पानी में भिगोकर रखना होगा। और अगली सुबह छानकर, फिर उसे हल्का सा गरम करके लेने से लाभ मिलेगा।
अगर रात में मेथी के बीज भिगोना भूल गए हैं, तो दिन में भी इन्हें 3 से 4 घंटे भिगोकर लेने से लाभ मिल सकता है। अगर आपको लो ब्लड शुगर की समस्या है, तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही मेथी के बीज का सेवन करें।
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