बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कई सारे बदलाव आते हैं, खासकर 40 वर्ष के बाद हमारे शरीर को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। एजिंग केवल आपकी त्वचा पर ही नजर नहीं आती, बल्कि यह आपकी हड्डियों, शरीर के अन्य अंदरूनी अंग और पाचन क्रिया में भी बदलाव लेकर आती है। हालांकि, पाचन संबंधी समस्या आपको किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकती है, परंतु 40 की उम्र या इससे अधिक उम्र के व्यक्ति में इन समस्याओं के लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। बढ़ती उम्र के साथ खुदको स्वस्थ रखने के लिए पाचन क्रिया पर विशेष ध्यान देना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर जेन मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल मुंबई की डायरेक्टर और गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ रॉय पांडेकर से बात की। डॉक्टर ने बढ़ती उम्र के साथ पाचन क्रिया पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा करते हुए डाइजेशन को स्वस्थ रखने के कुछ प्रभावित टिप्स दिए हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर 40 की उम्र के बाद अपने पाचन प्रक्रिया को किस तरह स्वस्थ रखा जा सकता है (how to improve digestion in old age)।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है पाचन प्रक्रिया की गति धीमी होना शुरू हो जाती है, जिससे कि खाद्य पदार्थ बेहद धीमी गति से आंतों कब पहुंच पाते हैं। वहीं पाचन क्रिया की गति धीमी होने से यह फूड वेस्ट के पानी को अधिक अवशोषित कर लेती है और कॉन्स्टिपेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे अन्य शारीरिक समस्याएं भी बढ़ना शुरू हो जाती हैं, जिसके कारण हमें तरह तरह की दवाइयों का सेवन करना पड़ता है और अधिक मात्रा में दवाइयां लेने पर भी पाचन क्रिया पर नकारात्मक असर पड़ता है। ऐसे में कब्ज, अपच जैसी पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है
शारीरिक स्थिरता बढ़ती उम्र की एक सबसे बड़ी समस्या है, जैसे ही हमारा उम्र बर्तन शारीरिक रूप से अस्थाई बैठना चाहते हैं जिसके परिणामस्वरूप पाचन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही साथ अन्य शारीरिक समस्याओं के जोखिम भी बढ़ जाते हैं। इसलिए डॉक्टर हमेशा बढ़ती उम्र के साथ खुद को सक्रिय रखने की सलाह देते हैं।
यह तो आप सभी को मालूम होगा कि फाइबर पाचन क्रिया के लिए कितना महत्वपूर्ण है, ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ जब पाचन क्रिया धीमी हो जाती है तो यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। सॉल्युबल फाइबर पानी को अवशोषित करता है और आपके स्टूल को मुलायम बनाता है, ताकि कब्ज यादी जैसी समस्याएं न हो। इसके साथ ही यह टूथब्रश की तरह काम करते हुए डायजेस्टिव ट्रैक को बिल्कुल क्लियर रखता है।
ओट्स, बर्ले और फलियां सॉल्युबल फाइबर का एक बेहतरीन स्रोत होती हैं, वहीं नट्स, सीड्स, अनाज आदि में इनसोल्युबल फाइबर मौजूद होते हैं। इतना ही नहीं फल और सब्जियों में सॉल्युबल और इनसोल्युबल दोनों ही प्रकार के फाइबर मौजूद होते हैं। ऐसे में इन खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
डाइजेशन की शुरुआत आपके मुंह से ही हो जाती है। दांत खाद्य पदार्थों को छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं जिससे डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में मौजूद एंजाइम इन्हें आसानी से और अधिक छोटे टुकड़ों में तोड़ पाएं। ऐसे में खाद्य पदार्थों को पचाना बेहद आसान हो जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार खाने को अच्छी तरह से नहीं चबाने से पोषक तत्व पूरी तरह से शरीर में अवशोषित नहीं हो पाते हैं। इसलिए खाद्य पदार्थों को चबाकर खाएं।
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नियमित एक्सरसाइज डाइजेशन को संतुलित रखने का एक सबसे अच्छा तरीका है, परंतु बढ़ती उम्र के साथ हो सकता है आप पहले की तरह खुद को एक्टिव न रख पाए। ऐसे में जरूरी नहीं कि आप नियमित रूप से जिम जाएं या भारी एक्सरसाइज और योग का अभ्यास करें। खुद को सक्रिय रखने के लिए पूरे दिन में समय निकालकर खुले वातावरण में वॉक पर जा सकती हैं, इसके अलावा कुछ आसान से योगाभ्यासों में भाग ले पाचन क्रिया को संतुलित और खुद को पूरी तरह से फिट रख सकती हैं।
हिंदी डाइजेशन के लिए आपको पर्याप्त मात्रा में हेल्दी फ्लैट लेना जरूरी है हेल्दी सेट आपको खाद्य पदार्थों को खाने के बाद संतुष्टि प्रदान करते हैं साथ ही विटामिन ए विटामिन बी विटामिन ए और विटामिन की जैसे पोषक तत्व को अवशोषित करने में मदद करते हैं
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ओमेगा 3 फैटी एसिड इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज के खतरे को कम कर देती हैं। शरीर में ओमेगा 3 फैटी एसिड की पर्याप्त मात्रा को बनाए रखने के लिए डाइट में फ्लैक्स सीड्स, चिया सीड्स, अखरोट, सालमन आदि जैसे हेल्दी फूड्स को शामिल करें।
शरीर में फ्लूइड की कमी होने से कब्ज जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ आपके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह पाचन क्रिया को संतुलित रखने के साथ ही आपके स्किन एजिंग प्रोसेस को भी धीमा करता है। डाइट में फ्लाइट की मात्रा बढ़ाने का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप शुगर और कैलोरी युक्त ड्रिंक का सेवन करें।
खुदको हाइड्रेट रखने के लिए, प्लेन वॉटर पियें, साथ ही हर्बल टी जैसे कि अजवाइन, जीरा, सौंफ आदि का पानी पिएं, जो आपके पाचन क्रिया को अधिक सक्रिय रहने में मदद करती हैं। इसके अलावा खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए डाइट में फल और सब्जियां जैसे कि खीरा, शिमला मिर्च, ब्रोकली, स्ट्रौबरी, सेव और संतरे को शामिल करें।
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