तिल का तेल बालों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों में सबसे पुराना और कारगर है। तिल भारतीय रसोई और व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। तिल अपने एंटी इन्फ्लेमेट्री और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर है। इसलिए आयुर्वेद में इसे औषधियों गुणों वाला बताया गया है। ये विभिन्न प्रकार की दवाओं में भी इस्तेमाल होता आया है। पर क्या आप जानती हैं कि ये आपके बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। ये न केवल बालों को पोषण देता है, बल्कि बालों में होने वाली कई समस्याओं से भी निजात दिलाता है।
तिल का तेल त्वचा, बालों और स्वास्थ्य के लिए सबसे पुराने उपचारों में से एक है। इसमें बालों और स्कैल्प के संक्रमण के खिलाफ काम करने, जहरीले तत्वों से छुटकारा पाने और यूवी किरणों से सुरक्षा जैसे कई फायदे हैं।
तिल के तेल में बालों को काला करने के गुण होते हैं। यह बालों को समय से पहले सफेद होने से रोकने में मदद करता है। यह आपके बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में भी मदद करता है। बालों का सफेद होना अक्सर उम्र के कारण होता है। कई बार यह तनाव और चिंता से संबंधित होते हैं, जबकि बाहरी कारक ज्यादातर प्रदूषण से संबंधित होते हैं। तिल का तेल, अपने सभी एंटीऑक्सिडेंट के साथ, इन मुक्त कणों (free radicals) से लड़ने में मदद करता है।
यदि आप बालों के पतले होने और गंजेपन से पीड़ित हैं, तो नियमित रूप से तिल के तेल को स्कैल्प पर रगड़ने से बालों की वृद्धि तेज होगी और आपको घने और मजबूत बाल मिलेंगे।
कई लोगों द्वारा बालों के झड़ने के उपचार के रूप में तिल के तेल की मालिश की जाती है। बालों में तिल के तेल की मालिश से रक्त परिसंचरण में भी सुधार होता है, जो बालों के विकास में योगदान करता है।
सिर की जूं किसी को पसंद नहीं होती। वे सचमुच खून चूसते हैं और गंदे होते हैं। बाजार में कई उत्पाद उपलब्ध हैं। जिनके इस्तेमाल के साइड इफेक्ट भी हैं। तिल के तेल के साथ ऐसा नहीं है। यह प्रकृति में एंटिफंगल और जीवाणुरोधी है और बालों की जूं से बालों से छुटकारा दिलाता है। बालों से जूं दूर करने के लिए इसे अन्य एसेंशियल ऑयल के साथ मिक्स कर इस्तेमाल किया जा सकता है।
गर्मी और ड्राईनेस आपके बालों को प्रभावित करते हैं, जिससे यह सुस्त और कमजोर हो जाते हैं। इनकी देखभाल में भी तिल का तेल कारगर है। इसमें कंडीशनिंग गुण होते हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि आपके बाल अत्यधिक गर्मी से प्रभावित न हों। तिल का तेल यह भी सुनिश्चित करता है कि नमी आपके बालों के शाफ्ट में लॉक हो जाए। यह एक सुरक्षात्मक परत बनाता है, जिससे प्रदूषण आपके बालों को प्रभावित नहीं कर पाता।
यूवी किरणें त्वचा और बालों दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। बालों को धूप से बचाने के लिए भी तिल का तेल कारगर है। यह एक प्राकृतिक सूर्य-अवरोधक एजेंट है। जो बालों के चारों ओर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है और यह सुनिश्चित करता है कि यह सूर्य की किरणों से सुरक्षित रहें। यह बालों को प्रदूषण से बचाने में भी मदद करता है।
तिल का तेल प्रकृति में एंटिफंगल और जीवाणुरोधी है। इसका मतलब यह है कि यह स्कैल्प के संक्रमण के खिलाफ भी प्रभावी है, जो परतदार त्वचा और रूसी का कारण बनता है। यह त्वचा को शांत करने में भी मदद करता है।
इस प्रकार खुजली को नियंत्रित करता है। तिल का तेल यह सुनिश्चित करता है कि स्कैल्प संक्रमण और खुजली से मुक्त हों।
बालों के झड़ने को रोकने में भी तिल का तेल बेहद फायदेमंद है। बालों के झड़ने में योगदान देने वाले दो प्रमुख कारक तनाव और चिंता हैं। तिल के तेल की मालिश तंत्रिकाओं को शांत करने में सहायक होती है। यह तनाव को कम करने में मदद करता है, जिससे बालों का झड़ना कम होता है। आप तिल के तेल को नीलगिरी के तेल के साथ मिलाकर इस्तेमाल करा जाए तो यह माइग्रेन और नींद न आना जैसी स्थितियों के इलाज में भी मदद करता है।
कुछ ऐसे तरीके भी हैं जिनसे आप तिल के तेल का उपयोग कर सकते हैं ताकि आपको इसका सर्वोत्तम लाभ मिल सके। आप इसे तेल के रूप में या उपचार के रूप में उपयोग कर सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस समस्या का इलाज कर रही हैं। आप इसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए अन्य तेलों के साथ इसे मिला कर भी इसका उपयोग कर सकती हैं।
थोड़ा सा तिल का तेल गर्म करें और इससे अपने बालों और स्कैल्प की मालिश करें। इसे लगभग 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर इसे माइल्ड शैम्पू से धो लें। ऐसा आप हफ्ते में दो बार कर सकते हैं।
दवा की दुकान से रासायनिक युक्त कंडीशनर का उपयोग किए बिना गहरी कंडीशनिंग चाहते हैं? ताे तिल का तेल आपकी समस्या का समाधान है। नारियल के तेल में तिल का तेल मिलाएं, इसे लगाएं और लगभग 40 मिनट के बाद धो दें।
यह गहरी कंडीशनिंग के लिए इस्तेमाल होने वाला एक और मिश्रण है। इसे धोने से पहले 30 मिनट के लिए छोड़ दें। यह ड्राई और डैमेज बालों को पोषण और डीप कंडीशनिंग देता है।
नीम अपने एंटिफंगल गुणों के लिए जाना जाता है और परतदार और संक्रमित खोपड़ी के खिलाफ बहुत अच्छा है।
यह जूं और रूसी से छुटकारा पाने में भी मदद करता है। तिल के तेल के साथ मिलकर यह और भी गुणकारी होता है। दोनों तेलों को बराबर भाग में मिलाकर आधे घंटे के लिए लगाकर छोड़ दें। माइल्ड क्लींजर से धो लें।
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