आपका बच्चा दूसरे बच्चों को बुली करता है? तो इस तरह लाएं उसके व्यवहार में बदलाव

मनोविज्ञान के विशेषज्ञ कहते हैं कि जो बच्चा बुलिंग का शिकार हो रहा है, उसके साथ-साथ उन बच्चों पर ध्यान देना भी जरूरी है, जो दूसरे बच्चों को बुली करते हैं।
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यदि आपका बच्चा दूसरों को 'बुली' करता है, तो अच्छी पैरेंटिंग करके आप उसे सुधार सकते है। चित्र- अडोबीस्टॉक

किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे अहम और संवेदनशील हिस्सा बचपन ही होता है। अक्सर लोग बचपन में जिस चीज़ के बारे में ज्यादा सोचते समझते हैं या जिस चीज़ से ज्यादा प्रभावित होते हैं, वही चीज़े उन्हें पूरे जीवन याद रहती है। आजकल के बदलते परिवेश में बचपन की ‘परिभाषा’ भी बदल गई है। एक समय पर एक-दूसरे की जरूरतों से लेकर नादानियों तक में बिना कुछ सोचे-समझे साथ देने वाला बचपन अब कहीं खो गया है।

बढ़ते सोशल मीडिया प्रभाव और कम होती फिजिकल एक्टिविटी ने बच्चों के मानसिक विकास और व्यवहार पर भी असर डाला है। इससे कुछ बच्चे अप्रत्याशित रूप से शैतान और हिंसक हुए हैं। ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों को अकसर बुली करते नजर आते हैं। हालांकि हर बच्चा मासूम होता है। इसलिए अगर आपका बच्चा भी इस तरह की हरकतों में शामिल हो रहा है, तो इसे इग्नोर न करें। न ही उसका बचाव करें। यहां कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं, जो बच्चे के इस व्यवहार को कंट्रोल करने में मदद करेंगे।

समाज के साथ बच्चों की मानसिकता भी बदल रही है

बदलते माहौल और बिखरते बचपन में अब बच्चों की मानसिक स्थिति को नकारात्मक तरह से प्रभावित करने वाले विचारों के कारण बच्चों के मन में भी कई नकारात्मक विचार आने लगे हैं। इन्हीं नकारात्मक विचारों की एक उपज ‘बुलिंग’ भी है। आजकल स्कूलों सहित कई जगह पर मानसिक तौर पर बच्चे अपने साथ के बच्चों को ही अलग-अलग कारणों के चलते ‘बुली’ करते है, जिसके कारण बुलिंग का शिकार हुए बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

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यदि आपका बच्चा दूसरों को बुली कर रहा है तो हो सकता है कि मानसिक तौर पर वो अकेला हो। चित्र- अडोबीस्टॉक

क्या होती है ‘बुलिंग’?

यूके की एक संस्था ‘द चिल्ड्रेन्स सोसाइटी’ के अनुसार, बुलिंग एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी व्यक्ति पर किया जाने वाला जानबूझकर और चोट पहुंचाने वाला अशोभनीय व्यवहार है। बच्चों के संदर्भ में, बुलींग बेहद संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि बचपन में ऐसा करने से किसी भी बच्चे की मानसिक शक्ति प्रभावित होती है, जिसके कारण बुलिंग करने व बुलिंग सहने वाले दोनों ही बच्चों में सामजिकअस्थिरता का भाव पैदा होता है।

आमतौर पर बच्चों के द्वारा की जाने वाली बुलिंग में एक बच्चा या बच्चों का समूह दूसरे बच्चे पर शक्ति और नियंत्रण रखने की कोशिश करता है। चिल्ड्रेन्स सोसाइटी के अनुसार ऐसा व्यवहार बच्चों के मेंटल हेल्थ को काफी प्रभावित करता है और वहीं दूसरो को परेशान करने वाली बच्चों की इस स्थिति को बदलने की आवश्यकता है।

यदि आपका बच्चा भी करता है बुलिंग, तो कैसे समझाएं

यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल इमरजेंसी चिल्ड्रेन्स फंड्स (UNICEF) के अनुसार, अगर आपके पास भी यह शिकायत आती है कि आपका बच्चा अन्य बच्चों को ‘बुली’ करता है तो अपने बच्चे को बलपूर्वक समझाने की बजाय भावनात्मक रूप से उससे इस तरह के व्यहवहार को जानने की कोशिश करें।

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एक बच्चे के द्वारा दूसरे को ‘बुली’ किए जाने के विषय में साइकोलॉजिस्ट सोनाली गुप्ता बतातीं हैं कि जो बच्चे ‘बुलिंग’ का शिकार होते है, उनकी मदद करने के साथ-साथ जो बच्चे बुलिंग कर रहे होते हैं, उन्हें भी मानसिक और भावनात्मक मदद की आवश्यकता होती है।

वे कहतीं हैं कि, ऐसे समय में आपको यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपका बच्चा स्वाभाविक रूप से बुरा नहीं है , लेकिन कई कारणों के चलते वे ऐसा कर सकते हैं। साथ ही कुछ अन्य कारणों के चलते, दूसरे बच्चों को धमकाने वाले बच्चे स्वयं घर या अपने समुदाय में हिंसा के शिकार या गवाह होते हैं। यदि आप भी चाहती हैं कि आप अपने बच्चे को बुलिंग करने से रोके तो यह कदम उठा सकतीं हैं।

बच्चा अगर दूसरे बच्चों को बुली कर रहा है, तो इस करें उसके व्यवहार में बदलाव (What to do if your child is bullying others)

1 बच्चों से कम्युनिकेट करना बहुत जरूरी

यूनिसेफ के अनुसार यह समझना बहुत जरूरी है कि आपका बच्चा ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है, और इसे समझने के लिए आपको अपने बच्चे से कम्युनिकेट करने की भी काफी आवश्यकता है। ऐसा करने से आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि बच्चे की समस्याओं को दूर कैसे किया जाना चाहिए।

बच्चों के साथ सही तरीके से संवाद करने के लिए उनकी बातें सुनें, उनकी भावनाओं को समझें और उन्हें अपनी बातें कहने के लिए प्रेरित करें। बच्चो से बात कर के उन्हें प्रेरित करें और उन्हें समर्थन प्रदान करें। उन्हें यह जानकर आत्म-मूल्यांकन में सहारा मिलेगा कि वे अपनी बातें आपसे कह सकते हैं।

बच्चे के अनुसार, सही और सतर्क व्यवहार का उदाहरण स्थापित करें। बच्चों को दिखाएं कि वे कैसे एक दूसरे के साथ श्रेष्ठ संबंध बना सकते हैं और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान कर सकते हैं।

2 बच्चों से भेदभाव न करें

साइकोलॉजिस्ट सोनाली गुप्ता का मानना है कि अक्सर जिन बच्चों के साथ उनके घर पर भेदभाव किया जाता है या उन्हें हर छोटी बात पर मारा या धमकाया जाता है। ऐसे बच्चे ऐसे जीवन को साधारण जीवन समझने लगते हैं और वे ऐसा ही व्यवहार दूसरों बच्चों के साथ भी अपनाते है।

3 अपने बच्चों को पर्याप्त नींद लेने दें

बच्चों की नींद पूरी न होने की वजह से भी वे चिड़चिड़े हो जाते है, जिसे कारण वे अपनी गुस्सा अन्य बच्चों को बुली करके दिखाते है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के एक अध्ययन में यह पता चला कि जिन बच्चों की नींद पूरी नहीं होती, उनमें दूसरे बच्चों को बुली करने की प्रवृत्ति अधिक देखी गई है।

इसलिए कोशिश करें कि बच्चे की नींद में किसी प्रकार का दखल न दे और साथ ही प्रयास करें कि जिन भी कारणों के चलते आपके बच्चे को सोते समय दिक्कत आ रही है, उन्हें आप उससे दूर रखें।

4 बच्चों से प्यार करें

साइकोलॉजिस्ट सोनाली गुप्ता का मानना है कि बचपन एक ऐसी स्टेज है, जहां बच्चे को इमोशनली अपने परिवार के प्यार की बहुत आवश्यकता होती है। लेकिन आजकल की व्यस्त दिनचर्या के कारण माता-पिता बच्चे को प्यार नहीं दे पाते, जिसके चलते बच्चे अंदर ही अंदर परेशान और अकेले होने लगते हैं, ऐसे में बच्चे अग्रेसिव हो जाते है। फिर वे स्कूल या अन्य जगह अपनी गुस्सा को अग्रेसिवनेस के जरिए निकालते है।

5 वास्तविकता से रूबरू कराएं

UNICEF के अनुसार, अपने बच्चे को वास्तविकता से रूबरू कराते हुए यह समझाएं कि जिस बच्चे को उसने बुली किया हैं, उसकी जगह अगर वह होता तो उसे कैसा लगता। इस तरह की बाते करने से बच्चे असलियत से रूबरू हो जाएंगे और साथ ही वे अपने व्यवहार के प्रति काफी सेंसिटिविटी भी प्रदर्शित करेंगे।

इसके साथ ही बच्चे को प्रतिक्रिया देने के रचनात्मक तरीके सुझाएं। साथ ही बच्चे को समझाएं कि यदि उसे गुस्सा व कुछ ऐसा भाव आ रहा है, तो शांत मन से उसे डील करें और अपने शब्दों से किसी को चोट न पहुंचाएं।

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लेखक के बारे में

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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