पढ़ना और भूल जाना, क्या आपका बच्चा भी है इस चीज से परेशान, तो जानिए कैसे बढ़ाई जा सकती है याद्दाश्त

बच्चों के तनाव और उनकी मानसिक स्थिति को अच्छी तरह से डील करने के लिए 'सकारात्मक पहलू' पर सोचना और भावनात्मक तौर पर बच्चों का साथ देना 'पैरेंट्स' के लिए बहुत जरूरी है।
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एग्जाम्स के समय करें बच्चों की मदद। चित्र : एडॉबीस्टॉक

बच्चों के जीवन में तमाम तरह की खुशियों और हर्षोल्लास के बीच एक ऐसी चीज़ हैं, जो उन्हें मानसिक तौर पर बहुत परेशान करती है। बच्चों के लिए ‘परीक्षा’ एक ऐसा समय होता है, जिस समय वे सबसे ज्यादा तनाव में रहते है। खुद को आगे बढ़ाने की उम्मीदों से लेकर तमाम लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने तक बच्चों के दिमाग में कई बाते चलती रहती है। ऐसे में, बच्चों के तनाव और उनकी मानसिक स्थिति को अच्छी तरह से डील करने के लिए ‘सकारात्मक पहलू’ पर सोचना और भावनात्मक तौर पर बच्चों का साथ देना ‘पैरेंट्स’ के लिए बहुत जरूरी है।

एग्जाम्स के समय पैरेंट्स को बच्चों के प्रति और अधिक सौम्य हो जाना चाहिए और साथ ही उनकी समस्याओं को दूर करने को कोशिश भी करनी चाहिए। लेकिन भारत में अधिकतर ऐसा नहीं हैं। वर्ष 2015 में एग्जाम्स के समय पैरेंट्स की मनोदशा को समझने के लिए एक सर्वे किया गया।

लर्निंग एबिलिटी के बारे में क्या कहते हैं शोध

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बिहेवियर एंड साइकोलॉजी में छपी इस सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक़ देशभर में परीक्षा के समय अधिकतर पैरेंट्स बच्चों पर अच्छे मार्क्स और गुड ग्रेड लाने पर दबाव बनाते है । जिसके कारण बच्चों की मानसिक स्थिति के साथ ‘लर्निंग एबिलिटी’ पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। इस रिसर्च के अनुसार, शोध को 12 से 16 वर्ष की आयु वाले बच्चों के साथ किया गया, जिसमें लगभग 66% छात्रों का मानना था कि परीक्षा के समय उनके माता-पिता का व्यवहार काफी ‘स्ट्रिक्ट’ हो जाता है।

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एग्जाम्स के समय पैरेंट्स को बच्चों के प्रति और अधिक सौम्य हो जाना चाहिए । चित्र : शटरस्टॉक

पेरेंट्स के इन्हीं स्ट्रिक्ट रवैये सहित कई अन्य समस्याओं के चलते बच्चों को एग्जाम्स टाइम पर चीज़ों को समझने और याद रखने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आपका बच्चा भी चीज़ों को याद करने में विफल हो जाता है या आपको लगता है कि उसकी ‘लर्निंग एबिलिटी’ कमज़ोर है, तो आप बच्चे से बलपूर्वक नहीं बल्कि प्रेमपूर्वक व्यवहार करें।

यहां कुछ पेरेंटिंग टिप्स दिए गए हैं जो आपके बच्चे को समझने और याद करने में मददगार होंगे

बच्चे से उसकी कमियों के बारे में पूछे और अच्छी पेरेंटिंग करके उसकी समस्या का समाधान करें। अच्छी पैरेंटिंग के जरिए आप कुछ सकारात्मक कदम उठाकर बच्चे की ‘लर्निंग एबिलिटी’ को बड़ा भी सकतीं हैं।

1 बच्चों को स्ट्रेस से दूर रखें

बच्चों को किसी भी कारण से होने वाला स्ट्रेस सीधे उनकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है। इस पर साइकाइट्रिस्ट डॉ. ईरा दत्ता बताती हैं कि, अधिकतर लोग सोचते हैं कि बच्चों को स्ट्रेस नहीं होता, जो कि उनके द्वारा बनाई गए एक गलत अवधारणा है यानी एक मिथ है। यदि आप बच्चों की लर्निंग पावर को बढ़ाना चाहतीं हैं, तो उन्हें सबसे पहले ‘स्ट्रेस’ से बाहर निकाले।

बच्चों को पढ़ाई, एग्जाम सहित कई चीज़ों का स्ट्रेस हो सकता है, इसलिए उसके साथ पैरेंट्स की तरह नहीं बल्कि दोस्त की तरह बातें करें, बच्चों के लिए सपोर्टिव और पॉजिटिव वातावरण बनाएं। जिससे उसको भी अच्छा लगे और जब उनके दिल में दबी बात वे आपको बताएंगे, तो उनका स्ट्रेस कम होगा और पढ़ाई में उनका मन लगेगा व उनकी लर्निंग पावर में भी बढ़ोतरी होगी।

2 बच्चों को पर्याप्त नींद लेने दें

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अच्छी नींद बच्चों के मेंटल हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है। एग्जाम्स के समय अक्सर देखा जाता है की कई माता-पिता बच्चों को सुबह जल्दी उठा देते हैं, इसके कारण बच्चों की नींद पूरी नहीं होती और बच्चों को ‘लर्निग पावर’ पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि पर्याप्त रूप से नींद प्राप्त करना बच्चों की याददाश्त को मजबूत कर सकता है, जिससे वे स्कूल या पढ़ाई के क्षेत्र में अधिक सक्षम होते हैं। इसके साथ ही नींद पूरी होने से उनका ध्यान और समय प्रबंधन में सुधार होता है, जिससे वे अधिक प्रभावी रूप से अपने कामों को पूरा करते हैं।

3 स्वस्थ आहार भी होता है सहायक

बच्चों के समग्र विकास के लिए स्वस्थ आहार लेना भी बेहद जरूरी है। स्वस्थ आहार लेने से बच्चों के मेंटल हेल्थ पर प्रभाव पड़ता है और चीज़ों को समझने और याद रखने की उनकी क्षमता में इज़ाफ़ा होता है।

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बच्चों को स्वस्थ आहार देने के पक्ष में बात करते हुए सीनियर आयुर्वेद कंसल्टेंट डॉ. शबनम चौहान बतातीं हैं कि बच्चों को फल और सब्जियों से भरपूर आहार देने पर जोर डालना चाहिए। साथ ही बच्चों के आहार में दिमाग को शार्प करने वाले ब्रेन टॉनिक का भी प्रयोग करें। आयुर्वेद में, दालचीनी, काली मिर्च, बादाम और अश्वगंधा जैसी प्राकृतिक औषधियों को दिमाग तेज़ करने का ‘ब्रेन टॉनिक’ बताया गया है। आहार में इसका प्रयोग करके बच्चे का दिमाग तेज़ हो सकता है, जिससे उसकी लर्निंग कैपेसिटी भी बढ़ सकती है।

बच्चों को स्वस्थ आहार देने से उनकी ‘लर्निंग एबिलिटी’ में इज़ाफ़ा होता है । चित्र: शटरस्टॉक

4 मेन्टल और इंटेरेक्टिव गेम्स खेलने से भी तेज़ होता है बच्चों का दिमाग

एग्जाम्स के समय बच्चों को पढ़ाई से थोड़ा ब्रेक देने और उनके माइंड को शार्प करने के लिए उनके साथ मेंटल और इंटरैक्टिव गेम्स खेले। सुडोकु, पज़ल्स और चेस जैसे खेल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को दोगुनी गति से बढ़ाते है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट बताती है कि ब्रेन ट्रेनिंग गेम्स बच्चों के दिमाग को तेज़ बनाते है और साथ ही उनकी याददास्त को बढ़ाने में सहायक होती है। इस तरह के गेम्स खेलने से बच्चों में प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी बढ़ती है, जिससे उनकी लर्निंग पावर में भी इज़ाफ़ा होता है।

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लेखक के बारे में

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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