हमें अपने नियमित गतिविधियों को करने और एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वस्थ और मजबूत हड्डियों की आवश्यकता होती है। कई बार हमारी गलती की वजह से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और लोग समय से पहले कम उम्र में ही तमाम शारीरिक गतिविधियों को करने में असमर्थ हो जाते हैं। ज्यादातर लोग समझते हैं कि हड्डियों की कमजोरी का कारण केवल शरीर में कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य पोषक तत्वों की कमी होती है, परंतु आपको बताएं कि तनाव यानी कि स्ट्रेस भी आपकी हड्डियों की सेहत को प्रभावित कर सकता है।
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने और हेल्दी खाने के बाद भी कई लोग बेहद कम उम्र में ही हड्डियों की समस्या का शिकार हो रहे हैं, इसके पीछे उनकी तनावभरी जीवनशैली भी जिम्मेदार हो सकती है। अब आप सोच रही होगी कि तनाव और हड्डियों की सेहत का क्या कनेक्शन है? तो चिंता न करें आज इस लेख के माध्यम से जानेंगे इस विषय पर सब कुछ।
न्यूट्रीशनिस्ट और हेल्थ कोच नेहा रंगलानी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए तनाव और हड्डियों की सेहत के बीच का कनेक्शन समझाया है। तो चलिए जानते हैं स्ट्रेस हमारी हड्डियों को किस तरह से प्रभावित करता है। साथ ही जानेंगे हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाने के कुछ प्रभावित टिप्स (tips to improve bone health)।
कैल्शियम इंटेक और एक्सरसाइज के बाबजूद क्रॉनिक स्ट्रेस आपकी हड्डियों की सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। क्रोनिक स्ट्रेस एचपीए एक्सिस और सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय कर देती है। वहीं गोनैडल हार्मोन और ग्रोथ हार्मोन के स्राव को दवा देती है। सूजन संबंधी साइटोकिन्स को बढ़ाती है, जिससे अंततः हड्डियों के निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है। जब हम तनाव में होते हैं तो शरीर में कोर्टिसोल का उत्पादन बढ़ जाता है वहीं यह सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम के मोड में चला जाता है, वहीं इसकी वजह से भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए नेहा रंगलानी ने कुछ खास टिप्स दिए हैं: नियमित रूप से डीप ब्रीदिंग का अभ्यास करें, कुछ मिनटों के लिए मौन बैठें, अपने पसंदीदा ट्रैक को पूरे ध्यान से सुनें और उसका आनंद लें, डांस करें, अपनों से बातचीत करें, सकारात्मक विचरों को कागज पर लिखें, सूर्यास्त के समय का नजारा देखें, प्रेरक बातों को सुने, वॉक करना महत्वपूर्ण है, चीजों को व्यक्तिगत रूप से न लें क्योंकि कुछ भी स्थायी नहीं है। यह सभी गतिविधियां आपको तनाव को कम करने में मदद करेंगी, जिससे की आप कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को अवॉयड कर सकती हैं।
मजबूत और स्वस्थ हड्डियों के लिए हेल्दी वेट मेन्टेन करना बेहद महत्वपूर्ण है। यदि आपका वजन अधिक है, तो आपमें ओस्टियोपेनिया और ओस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार बढ़ता वजन बोन डेंसिटी की कमी का एक सबसे बड़ा कारण हो सकता है। ऐसे में लो कैलोरी डाइट और नियमित रूप से एक्सरसाइज कर आप अपने वजन को संतुलित रख सकती हैं।
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हड्डियों की सेहत को बनाये रखने में कैल्शियम का बड़ा महत्व है। यह हड्डियों में मौजूद सबसे खास मिनिरल्स में से एक है। कैल्शियम बोन स्ट्रक्चर और स्ट्रैंथ को बनाये रखता है। वहीं हड्डियों के मजबूत निर्माण के लिए शरीर को विटामिन के और विटामिन डी की आवश्यकता होती है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देता है। इसके अलावा यह ओस्टियोपेनिया, ओस्टियोपोरोसिस और हड्डियों से जुडी अन्य समस्याओं में कारगर होता है।
वहीं मैग्नीशियम और जिंक भी हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन की मानें तो मैग्नीशियम विटामिन डी को एक्टिव रखता है ताकि वह कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा को अवशोषित कर सके।
कोलेजन हड्डियों में मौजूद एक प्रकार का प्रोटीन है जिसमें अमीनो एसिड ग्लाइसिन, प्रोलिन, और लाइसीन मौजूद होते हैं। यह सभी हड्डी, मांसपेशियों, लिगामेंट और अन्य टिशू के बनावट में मदद करते हैं। यदि आप अर्थराइटिस से जुडी अन्य किसी भी समस्या से परेशान हैं, तो आपको कोलेजन युक्त खाद्य पदार्थ और इसके सप्लीमेंट को डाइट में शामिल करने की आवश्यकता होती है।
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कस्टमाइज़ करेंनियमित रूप से स्मोकिंग करने से बोन लॉस हो सकता है। इसके अलावा यदि आप ड्रिंक करती हैं तो आपकी हड्डियों के प्रभावित होने का भी खतरा अधिक होता है। इसलिए हमेशा एक सीमित मात्रा में ही शराब का सेवन करना चाहिए। वहीं इन चीजों से जितना हो सके उतना परहेज करने की कोशिश करें। यह नव केवल आपकी हड्डियों की सेहत के लिए बेहतर रहेगा बल्कि आपके समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखेगा।
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