आंखों की रोशनी सबसे ज्यादा जरूरी चीज़ है। यह रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए बेहद जरूरी है। आंखों में रोशनी कम है और आप आसानी से कोई चीज़ स्पष्ट रूप से नहीं देख पाती हैं, तो यह लो विजन है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो यह ब्लाइंडनेस की ओर ले जा सकता है। इसके प्रति अवेयर होना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व बनता है। इसलिए दुनिया भर में फरवरी महीने को लो विजन अवेयरनेस मंथ (February-Low Vision Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। जानते हैं लो विजन के कारण ( low vision causes) को।
फरवरी है लो विजन अवेयरनेस मंथ (February-Low Vision Awareness Month)
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी फरवरी में लो विजन अवेयरनेस मंथ Low Vision Awareness Month 2024) मनाया जा रहा है। एक दशक से अधिक समय से मनाया जाने वाला निम्न दृष्टि जागरूकता माह या लो विजन अवेयरनेस मंथ आई केयर प्रोफेशनल, शिक्षक, डॉक्टर, बाल रोग विशेषज्ञ और कई अन्य मेडिकल एक्सपर्ट को इसमें शामिल होने का अवसर प्रदान करता है। इसके माध्यम से उम्मीद की जाती है कि दुनिया भर के लोग लो विज़न के प्रति जागरूक हो सकें। वे रोकथाम के उपाय कर सकें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन लो विजन सुधार होने की संभावना के साथ 20/70 और 20/400 के बीच विजन एकुइटी (visual acuity) या 20 डिग्री या उससे कम के विज़ुअल फील्ड के रूप में परिभाषित करता है। इसमें सुधार किया जा सकता है। वहीं ब्लाइंडनेस सुधार होने की संभावना के साथ 20/400 से भी कम विज़न या 10 डिग्री या उससे कम के विजन एकुइटी (visual acuity) के रूप में परिभाषित किया गया है।
शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स में वरिष्ठ रेटीना विशेषज्ञ डॉ. विपुल सिंह बताते हैं, “कम दृष्टि या लो विजन आंखों की रोशनी सम्बंधित एक समस्या है, जिसके कारण रोजमर्रा की गतिविधियां करना कठिन हो जाता है। इसे चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस या दवा और सर्जरी जैसे मानक उपचारों से ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके कारण व्यक्ति के लिए पढ़ना, गाड़ी चलाना, लोगों के चेहरे पहचानना, रंगों को अलग-अलग बता पाना कठिन हो जाता है। इसके कारण टेलीविजन या कंप्यूटर स्क्रीन को स्पष्ट रूप से देख पाना भी सम्भव नहीं हो पाता है।”
डॉ. विपुल सिंह बताते हैं, “लो विजन बुजुर्ग लोगों में अधिक आम है, क्योंकि बुढ़ापे में होने वाली कई बीमारियां इसका कारण बन सकती हैं। उम्र बढ़ने से अपने आप लो विजन नहीं होता है।आंखों की कई अलग-अलग स्थितियां कम दृष्टि का कारण बन सकती हैं, लेकिन सबसे आम कारण हैं:
उम्र से संबंधित मैकुलर डीजेनरेशन (Macular degeneration)
मोतियाबिंद
डायबिटिक रेटिनोपैथी -एक ऐसी स्थिति, जो डायबिटिक में विजन लॉस का कारण बन सकती है
आंख का रोग
आंख और मस्तिष्क की चोटें और कुछ आनुवंशिक विकार भी लो विजन का कारण बन सकते हैं।”
डॉ. विपुल सिंह के अनुसार, लो विजन आमतौर पर स्थायी होती है। चश्मा, दवा और सर्जरी आम तौर पर लो विजन का इलाज नहीं कर सकते हैं। कुछ मामलों में ये विजन में सुधार कर सकते हैं। इससे रोजमर्रा की गतिविधियों को अधिक आसानी से करने में मदद मिल सकती है या और अधिक विजन लॉस से बचाया जा सकता है।
डॉ. विपुल सिंह के अनुसार, यदि लो विजन बहुत अधिक कम नहीं है, तो कुछ तरीके मददगार हो सकते हैं।
यदि लो विजन की समस्या है, तो कभी भी कम रोशनी में काम नहीं करें। हमेशा घर या ऑफिस में तेज़ रोशनी का प्रयोग करें।
यदि लो विजन की समस्या है, तो एंटी-ग्लेयर चश्मा पहनें। इसे एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग या एआर कोटिंग या एंटी-ग्लेयर कोटिंग भी कहा जाता है। यह चश्मा या सनग्लास आंखों पर जोर को कम करता है।
पढ़ने और अन्य नज़दीकी गतिविधियों के लिए मैग्नीफाइंग लेंस का उपयोग करें।पढ़ने के लिए मैग्नीफाइंग ग्लास का उपयोग कैसे किया जाए, इस पर विशेषज्ञ से प्रशिक्षण लिया जा सकता है।
यदि लो विजन रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा बन रही है, तो आई एक्सपर्ट से कंसल्ट करें। विशेषज्ञ यह सीखने में मदद कर सकते हैं कि लो विजन के साथ कैसे जीना है।
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