हर मां अपने बच्चे के लिए सब कुछ बेस्ट ही चाहती है, इसलिए हमें कोई संदेह नहीं कि आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखती होंगी। लेकिन कभी जानकारी की कमी तो कभी बच्चों की जिद के आगे अगर आप पोषण से समझौता कर रही हैं तो यह आपके बच्चे के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। पोषण की कमी आपके बच्चे के कद को प्रभावित कर सकती है।
अच्छी हाइट ना सिर्फ स्वास्थ्य की परिचायक है, बल्कि अच्छी पर्सनालिटी भी दर्शाती है। ऐसे में अगर पोषण की कमी से आपके बच्चे की हाइट रुक जाए तो यह चिंताजनक है।
अगर आप सोचती हैं कि बच्चे को दूध पिलाकर आप उसकी अच्छी हाइट और मजबूत हड्डियां सुनिश्चित कर रही हैं, तो यहां आप गलत हैं। असल में भारत और आसपास के अन्य देश टीनेजर्स में सबसे छोटी हाइट वाले देशों में शुमार है।
द लैंसेट में प्रकाशित लंदन की एक स्टडी में विश्व भर में 19 वर्ष से कम आयु के बच्चों की लंबाई की तुलना आपस में की गई। 65 मिलियन बच्चों के डेटा की स्टडी में निष्कर्ष मिला कि भोजन के साथ- साथ वातावरण भी लम्बाई को प्रभावित करता है।
इस रिपोर्ट के अनुसार 2019 तक रिकॉर्ड डेटा के अनुसार यूनाइटेड किंगडम में टीनेज बच्चों की औसत लंबाई 5 फीट 10 इंच थी। सबसे अधिक औसत लंबाई नीदरलैंड और मोंटेनेग्रो के बच्चों की थी। वहीं सबसे कम लंबाई भारत और बांग्लादेश के बच्चों की थी।
भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के बच्चों की औसत हाइट 1985 के मुकाबले घटी है।
भारतीय और अन्य पड़ोसी देशों में औसत लंबाई कम हुई है। इसके एक से अधिक कारण हो सकते हैं।
पोषण सबसे महत्वपूर्ण कारण है। बच्चे की हड्डियां मजबूत होती हैं, तो हाइट भी बढ़ती है। अधिकांश माता-पिता दूध पर ही कैल्शियम और प्रोटीन के लिए आश्रित रहते हैं। यही कारण है बच्चों में पोषण की कमी रह जाती है।
गन्दी हवा, प्रदूषित पानी और अशुद्ध भोजन भी बच्चों में हाइट की कमी का बड़ा कारण है।
खेल कूद की कमी हड्डियों के विकास को अवरुद्ध करती है। अगर आपका बच्चा पर्याप्त शारीरिक श्रम नहीं करता, तो लंबाई कम रह सकती है।
यह स्टडी आपके लिए इसी कारण से महत्वपूर्ण है, आपको अपने बच्चे के पोषण के लिए एक्स्ट्रा ध्यान देना होगा।
बच्चों का बढ़ता कद न रुके इसके लिए आपको ये कदम उठाने चाहिए-
1. पांच साल की उम्र तक बच्चे का बुनियादी विकास हो जाता है, इसलिए आपको उसकी कैल्शियम की पूर्ति करनी है। कैल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर न रहें। दही, पनीर, पालक, केल, सार्डिन मछली और सोयाबीन कैल्शियम के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इन्हें अपने बच्चे की डाइट में शुरू से शामिल रखें।
2. सिर्फ कैल्शियम का सेवन काफी नही है, क्योंकि कैल्शियम को सोखने के लिए विटामिन डी भी जरूरी है। विटामिन डी का सबसे प्रमुख स्रोत धूप है। उसके अतिरिक्त अंडों में भी भरपूर मात्रा में विटामिन डी होता है।
3. हर उम्र के अनुसार अलग-अलग स्तर की शारीरिक एक्टिविटी होती हैं। जैसे 4 से 5 वर्ष के बच्चे को भागने और कूदने वाले खेल खेलने चाहिए। 8 से 10 साल के बच्चे को बास्केटबॉल और फुटबॉल जैसे खेल खेलने शुरू कर देने चाहिए। आज के समय मे सबसे बड़ी समस्या यही है कि बच्चे बाहर जाकर खेल नहीं रहे हैं। यह आपकी जिम्मेदारी है कि आपका बच्चा बाहर निकलकर खेले। बच्चों को फोन और लैपटॉप न दें।
4. बच्चों को जंक फूड से दूर रखें। ज्यादा से ज्यादा ताजे फल और सब्जी खिलाएं।
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