ओवेरियन सिस्ट की समस्या बहुत सी महिलाओं में देखने को मिलती है। यह रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी एक समस्या प्रॉब्लम है। अक्सर महिलाओं द्वारा ओवेरियन सिस्ट को लेकर कई सवाल पूछे जाते हैं। वहीं बहुत सी महिलाओं को यह लगता है कि ओवेरियन सिस्ट और पीसीओडी एक ही समस्या है। ऐसे में सभी महिलाओं को ओवेरियन सिस्ट के बारे में जरूरी जानकारी होनी चाहिए। अन्यथा बाद में यह गंभीर समस्या का रूप ले सकती है। सिस्ट का पता समय रहते लगा लिया जाए, तो उसका ट्रीटमेंट आसान हो जाता है। जितनी ज्यादा देर होती है, ट्रीटमेंट उतना ही मुश्किल होता जाता है।
मैत्री वुमेन की संस्थापक और ऑब्सटेट्रिशियन-गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर अंजलि कुमार ने ओवेरियन सिस्ट (Ovarian cyst) के बारे में जरूरी जानकारी दे रही हैं।
फिजियोलॉजिकल सिस्ट बेहद कॉमन है, और ये पूरी तरह नॉर्मल होती है। ये खुद डेवलप होती है और समय के साथ खुद व खुद गायब भी हो जाती है। फिजियोलॉजिकल सिस्ट को फंक्शनल सिस्ट भी कहा जाता है, यह हर साइकिल में आती हैं और खुद ब खुद डिसअपियर हो जाती हैं।
* फॉलिकुलर सिस्ट
आपकी ओवरी हर महीने फॉलिकल नामक छोटे सिस्ट ग्रो करती है, इन सभी फॉलिकल्स में से एक फॉलिकल्स होता है जिसे डोमिनेंट फॉलिकल्स कहते हैं। वहीं इस डोमिनेंट फॉलिकल्स से आपके एग बर्स्ट होते हैं और आपका पीरियड साइकिल शुरू हो जाता है। जब आपके फॉलिकल्स अपने एग रिलीज नहीं करते और लगातार बढ़ते जाते हैं, तब ये फॉलिकल सिस्ट बन जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो यह आपकी साइकिल खत्म होने के बाद खुद-ब-खुद खत्म हो जाते हैं।
* कॉर्पस लिटियम सिस्ट
कॉर्पस लिटियम सिस्ट आपके पीरियड साइकिल में बनाते हैं, और अल्ट्रासाउंड में यह सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। थे फॉलिकल्स अपने एग रिलीज करते हैं तो ये सिकुड़ जाते हैं एस्ट्रोजन और प्रोगैस्टरॉन रिलीज करना शुरू कर देते हैं। ये वे हार्मोंस हैं जो कांसेप्शन के लिए जरूरी होते हैं। परंतु कई बार इन फॉलिकल्स की ओपनिंग जहां से एग बाहर आता है, वे ब्लॉक हो जाते हैं और ऐसे इनके अंदर फ्लूइड जमा होना शुरू हो जाता है, जो आगे चलकर सिस्ट बनता है।
पैथोलॉजिकल सिस्ट नॉर्मल नहीं है और इन्हें मेडिकल अटेंशन की आवश्यकता होती है।
* डर्माइड सिस्ट
इस प्रकार के सिस्ट में हेयर, स्किन, कार्टिलेज फैट यहां तक की दांत जैसे टिशु पाए जाते हैं। इस प्रकार की सिस्ट रिप्रोडक्टिव सेल्स से ओवरी में फॉर्म होने से होती है, जिसे जर्म सेल्स के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार के सिस्ट की स्थिति में सर्जरी करवानी पड़ती है। वहीं इसकी वजह से ओवरी ट्विस्ट होने का खतरा भी बढ़ जाता है। यह एक प्रकार की मेडिकल इमरजेंसी साबित हो सकती है।
* सिस्टेडेनोमा
इस प्रकार के सिस्ट ओवरी के सरफेस पर मौजूद सेल्स की वजह से डेवलप होते हैं इनके अंदर पानी भरा होता है और कई बार इनमें म्यूकस जैसे सब्सटेंस भी पाए जाते हैं। यह आपकी ओवरी के चारों ओर फैल सकती है और इसकी वजह से कई गंभीर लक्षण नजर आ सकते हैं। इस प्रकार के सिस्ट काफी बड़े हो सकते हैं, इनका वजन 3 से 4 लीटर तक पहुंच सकता है। यदि सिस्टेडेनोमा का आकार छोटा है, तो इसे नियमित चिकित्सीय देखभाल से ट्रीट किया जा सकता है। परंतु यदि इसका आकार बड़ा हो गया है, तो इसे ऑपरेट करने की आवश्यकता होती है।
* एंडोमेट्रियोमा
एंडोमेट्रियल सेल्स यूट्रस के बाहर और अंदर के सर्फेस पर होते हैं, और यह मेंस्ट्रूअल साइकिल के अंत में ब्लीड करते हैं। कई बार इस प्रकार की ब्लीडिंग एक साथ कलेक्ट हो जाती है और ब्लड से भरे सिस्ट का कारण बनती है। यह बेहद पेनफुल हो सकती हैं। इस स्थिति में महिलाओं को फौरन मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है।
आमतौर पर ओवेरियन सिस्ट किसी प्रकार के लक्षण के साथ नहीं आते। ये खुद ग्रो करते हैं और फिर खुद ही डिसापियर हो जाते हैं। यदि ये बड़े हो जाए तो कई लक्षण नजर आ सकते हैं।
डल और शार्प पेल्विक पेन (ये लोअर बैक और थाईज में दर्द का कारण बन सकते हैं)
पेट में प्रेशर और हेवीनेस महसूस होना
पेट में अचानक से तेज दर्द होना
ओवरी ट्विस्ट होने पर पेट दर्द, नौशिया और वॉमिटिंग महसूस होना
सिस्ट के प्रेशर की वजह से कुछ महिलाओं को ब्लैडर और बॉवेल को पूरी तरह से खाली करने में परेशानी होती है
अधिक फ्रिक्वेंटली यूरिन पास करना
पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द महसूस होना
बिना कुछ खाए पिए बार-बार ब्लोटिंग महसूस होना
एक्सपर्ट के अनुसार केवल 5 से 10% तक महिलाओं को ओवेरियन सिस्ट को निकलवाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। ऑपरेशन की आवश्यकता तब पड़ती है, जब सिस्ट आपको मेनोपॉज के बाद भी परेशान कर रहा हो। यह तमाम मेंस्ट्रूअल साइकिल के बाद भी खत्म नहीं हो रहा हो।
यदि आपका सिस्ट दिन प्रतिदिन बड़ा होता जा रहा है और अल्ट्रासाउंड में इसका शेप, जगह आदि उचित नहीं होते हैं, तो डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं। इसके अलावा यदि अत्यधिक दर्द और काफी ज्यादा प्रेशर महसूस हो रहा है, जिसकी वजह से आपकी नियमित दिनचर्या पर असर पड़ रहा है, तो इस स्थिति में भी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
यह भी पढ़ें: इन दिनों बढ़ गई है योनि में जलन और खुजली? एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से जानिए इसका कारण और उपचार
ओवेरियन सिस्ट को प्रीवेंट करने का कोई तरीका नहीं है, आप नियमित पेल्विक एग्जामिनेशन के तहत अपनी ओवरी और इसमें बनने वाले सिस्ट के शेप, साइज और क्वांटिटी का पता रख सकती हैं। इससे समय रहते इन्हें डायग्नोज कर ट्रीटमेंट शुरू किया जा सकता है। वहीं इरेगुलर पीरियड्स या पेनफुल पीरियड्स, हैवी ब्लीडिंग, लाइट ब्लीडिंग आदि जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें। इसे लेकर अपनी गाइनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें, क्योंकि यह सभी लक्षण ओवेरियन सिस्ट की ओर इशारा करते हैं।
पेट पर गर्म सिकाई करने से सिस्ट सिकुड़ जाता है। इसके अलावा इसे सिर्फ मैं मौजूद लिक्विड पतली हो जाती है और रिकवरी स्पीड अप होती है। फ्लूइड का बैलेंस बना रहने से इन्फेक्शन का खतरा भी कम हो जाता है।
होने वाले दर्द से आस-पास की मांसपेशियां टेंस हो जाती हैं, जिसकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। लोअर बैक, पेट और थाईज को मसाज देने से टेंशन रिलीज करने में मदद मिलती है।
एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग करने से ओवेरियन सिस्ट से जुड़े दर्द को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, यदि किसी महिला को सिस्ट है तो इंटेंस वर्कआउट से बचना चाहिए। योग, स्ट्रेचिंग जैसी सरल शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने से मदद मिलेगी।
ओवेरियन सिस्ट से पीड़ित महिलाओं को अत्यधिक मात्रा में शुगर का सेवन नहीं करना चाहिए। नेचुरल और हेल्दी खाद पदार्थों का सेवन करें और एडेड शुगर, साल्ट, प्रोसैस्ड और रिफाइंड आदि फूड से परहेज करें।
यह भी पढ़ें: रिश्ते में महसूस नहीं हो रही पहले वाली कशिश? तो एक रिलेशनशिप विशेषज्ञ से जानिए इसका कारण