गर्भावस्था में वजन बढ़ना सामान्य बात है। ज्यादातर गर्भवती महिलाओं का वजन 10 किग्रा -12.5 किग्रा के बीच बढ़ जाता है। इस कारण पहने जा रहे कपड़ों का साइज बदल जाता है। अधिकांशत: वजन में यह बदलाव 20 सप्ताह के बाद से नजर आने लगता है। पर क्या आप जानती हैं कि प्रेगनेंसी के बाद आपके कपड़ों ही नहीं, बल्कि जूतों का नाप भी बढ़ सकता है। ऐसा अनुभव करने वाली कई महिलाओं ने बताया कि प्रेगनेंसी के बाद उन्हें वे जूते नहीं आए, जिन्हें वे पहले पहना करती थीं। आइए एक एक्सपर्ट से जानते हैं क्यों होता है ऐसा और आप इसे कैसे रोक (how to avoid feet growing during pregnancy) सकती हैं।
गर्भ के अंदर जैसे-जैसे बच्चे का विकास होने लगता है, महिलाएं बढ़े हुए वजन का अनुभव करने लगती हैं। इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। वसा का भंडारण होता है और बच्चे के जन्म के बाद स्तन में दूध आने की भी तैयारी शरीर में होने लगती है। कुछ महिलाओं ने बातचीत के दौरान बताया कि प्रेगनेंसी के बाद उनकी शू साइज़ भी बदल गई।
गायनेकोलोजिस्ट और सेक्सुअल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अंजलि अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में प्रेगनेंसी के दौरान या प्रेगनेंसी के बाद जूते का साइज़ बढ़ने पर बात कर रहीं हैं। वे कहती हैं, “प्रेगनेंसी के दौरान हमारा शरीर रिलैक्सिन हॉर्मोन प्रोड्यूस करता है। यह लिगामेंट को रिलैक्स करता है। जिनमें पैरों में मौजूद लिगामेंट भी शामिल हैं। हालांकि कुछ महिलाओं के पैरों का आकार डिलीवरी के बाद पुराने आकार में लौट आता है। जबकि कुछ महिलाओं के पैरों का साइज़ स्थायी तौर पर बढ़ जाता है।”
डॉ अंजलि इस बारे में विस्तार से बात करते हुए कहती हैं, “हमारा पैर 26 बोंस और 30 से अधिक जॉइंट्स से बना होता है, जो स्नायुबंधन (Ligaments) के नेटवर्क से एक साथ जुड़े होते हैं। गर्भावस्था के दौरान पूरे शरीर के लिगामेंट में शिथिलता या ढीलापन आने लगता है। इसके माध्यम से शरीर प्रसव के लिए पैल्विक जॉइंट्स को तैयार करता है। ऐसा हार्मोन के उतार-चढ़ाव के कारण होता है।
साथ ही बढ़ा हुआ वजन हमारे पैरों को चौड़ा कर सकता है। जब शरीर का वजन अधिक होता है, तो यह पैरों पर अधिक तनाव और दबाव डालता है। इससे जॉइंट्स का विस्तार हो सकता है।
यह बताना मुश्किल है कि सूजन के कारण आपके पैर बड़े हो गये हैं या सच में उनका आकार बढ़ गया है। आमतौर पर पैरों में सुबह की तुलना में रात में अधिक सूजन होती है। कुछ गतिविधियां और पोजीशन, यहां तक कि आहार भी कम या ज्यादा सूजन का कारण बन सकता है।
कम्प्रेशन सॉक्स या स्टॉकिंग्स (Compression stockings) पहनें। ये निचले छोर की सूजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। पैरों को सपोर्ट करने वाले जूते पहनें। जो जूते कहीं से भी टाइट होते हों या काटते हों, उन्हें न पहनें। हील वाले, आगे से नुकीले जूतों का प्रयोग हरगिज न करें।
अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें और अपने वजन के अनुसार सही डाइट का सुझाव लें। साथ ही इस बात पर भी चर्चा करें कि कहीं आपका वजन प्रेगनेंसी के कारण ज्यादा तो नहीं बढ़ रहा? वे आपको आपके और प्रेगनेंसी के अनुसार सही वजन अनुपात बताएंगे। अगर वजन ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है, तो इसे कंंट्रोल करने के उपाय करें। पैरों पर अनावश्यक दबाव डालने से बचें और ज्यादा देर तक खड़े रहने से भी परहेज करें।
नियमित मालिश (Regular Massage) और कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम (Cardiovascular Exercises) पैरों की सूजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान दिन के अंत में पैरों को ऊपर उठाने की कोशिश करते रहना चाहिए। यदि वे हमेशा ऊंचे उठे रहते हैं, तो टखनों (Ankle) को फ्लेक्सिबल बनाने की भी कोशिश करनी चाहिए। इससे पैरों से अतिरिक्त फ्लूइड को ऊपर लाने में मदद मिलती है।
पैरों की मांसपेशियों का व्यायाम करें। ये मांसपेशियों को मजबूत करेंगे। एक पैर पर खड़े होने की कोशिश, पैर की उंगलियों से कंचे उठाने या एड़ी का व्यायाम भी सूजन को दूर करने में मदद कर सकता है।
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