वजन बढ़ना, पैराें में सूजन, कमर दर्द, मूड स्विंग गर्भावस्था बहुत सारे बदलावों के साथ आती है। हार्मोन में होने वाले बदलाव के कारण इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पर वजन का ज्यादा बढ़ना होने वाले बच्चे के लिए जोखिमकारक हो सकता है। हाल ही में हुए एक शोध में यह सामने आया है कि प्रेगनेंसी के दौरान मां का बढ़ा हुआ वजन (obesity in pregnancy ) बच्चे में पोषण की कमी कर देता है। आइए जानते हैं क्या है यह शोध और क्या है इसके परिणाम। साथ ही यह भी कि आप प्रेगनेंसी में वजन बढ़ने को कैसे कंट्रोल (how to manage obesity in pregnancy) कर सकती हैं।
लंदन में प्रेगनेंसी के दौरान वजन कंट्रोल करने पर शोध किया गया है। इस शोध में दावा किया गया है कि वजन का ज्यादा होना बच्चे और मां दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है। डॉ मीरा के अनुसार शोध में बताया गया है कि मां का वजन ज्यादा होने पर इसका सीधा असर प्लेसेंटा पर पड़ता है। जबकि प्लेसेंटा ही पेट में बच्चे को सभी पोषक तत्व पहुंचाता है।
शरीर में मोटापा होने से ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है। जिससे मधुमेह होने का खतरा रहता है। पूरे विश्व में डिलीवरी के समय महिला का वजन ज्यादा होने से ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।
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प्रेगनेंट महिलाओ के मोटे होने पर एक शोध केपटाउन में किया गया। केपटाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मुशी मात्जिला कहते हैं कि 71 मोटी प्रेगनेंट महिलाओं पर शोध किया गया है। जिसमें 52 महिलाएं मोटापे का शिकार थीं और बची 38 शुगर की बीमारी का शिकार हो चुकी थीं। शोध के अनुसार जिन महिलाओं पर शोध हुआ है वह बीमारी से और अन्य परेशानियों से घिरी हुई हैं। सभी 71 महिलाओं का प्लेसेंटा सहीं नहीं था, जिससे बच्चे को पोष्क तत्व नहीं पहुंच पा रहे थे। ऐसे में सभी 71 महिलाओं को वजन कम करने की सलाह दी गई।
कानपुर के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष और महिला रोग विशेषज्ञ डॉ मीरा अग्निहोत्री कहती हैं कि डिलीवरी के समय बच्चे और मां दोनों के वजन का सामान्य होना जरूरी है। ऐसे में न तो बच्चे का वजन ज्यादा हो न मां का। वजन का बढ़ना डिलीवरी के लिए एक अच्छा संदेश नहीं है। जिन महिलाओ का वजन ज्यादा है, वह यह खबर पढ़ कर अपना वजन कंट्रोल कर बेहतर डिलीवरी के लिए तैयार हो जाएं।
डॉ मीरा अग्निहोत्री कहती हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान जिस महिला का बीएमआई 18 से 24 के बीच है, उसे अपना 16 किलो वजन बढ़ाना जरूरी है। जिस महिला का बीएमआई 18 से कम है, उसे 13 से 18 किलो तक वजन बढ़ाना होगा। महिला के मोटे होने पर 25 से 29 तक बीएमआई है, तो 7 से 11 किलो तक वजन बढ़ना उचित रहेगा।
अधिक मोटा होने पर यानि बीएमआई 30 से ज्यादा होने पर 5 से 9 किलो वजन सही रहता है। याद रहे बीएमआई के माध्यम से शरीर को एडजस्ट करना होगा। जिससे शरीर को किसी प्रकार की हानि न हो और जच्चा-बच्चा दोनों फिट रहें।
जिन महिलाओं का वजन ज्यादा है। वे अपने वजन पर काबू पाना चाहती हैं, तो पानी की मात्रा बढ़ा दें। ज्यादा से ज्यादा पानी पीनें से ओवरईटिंग नहीं हो पाएगी। जिससे शरीर में फैट की मात्रा नहीं बढ़ेगी। इसके साथ ऑलिव ऑयल, टोफू, सूखे मेवे, मूंगफली का तेल, तिल का तेल, सोयाबीन, एवोकाडो जैसी चीज़ों को खाने में शामिल करें।
याद रखें प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को हर रोज 25 से 35 फीसदी कैलाेरी जरूरी है। कैलोरी की मात्रा इससे कम या ज्यादा होने पर भी आपको नुकसान पहुंच सकता है। जिनता आप हेल्दी खाना खाएंगे, पानी जितना अधिक पिएंगें, शरीर उतना एनर्जेटिक रहेगा। ऐसे प्लेसेंटा भी हेल्दी रहेगा, बच्चे को भी पोषक तत्व मिल पाएंगे।
सीएसजेएमयू के प्रोफेसर और योगाचार्य डॉ कंचन कहती हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को हर रोज़ सुखासन, जानुशीर्षासन, शवासन करना उचित रहेगा। डॉ कंचन कहती हैं कि ऐसा कोई भी आसन न करें, जिसमें पेट में खिचाव हो। गर्भावस्था के समय कोई आसन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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