नवजात के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान बेहद ज़रूरी है। इसमें मौजूद एंटीबॉडीज़ बच्चे के शरीर को पोषण प्रदान करती हैं। साथ ही इससे हड्डियों को भी मज़बूती मिलती है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के 60 फीसदी नवजात शिशु (newborn) कई कारणों से ब्रेस्ट फीडिंग (breast feeding) से दूर हो जाते हैं। इसमें मां की हेल्थ कंडीशन से लेकर उनका वर्किंग होना जैसे कई कारण शामिल हो सकते है। इसके चलते महिलाएं कई बार खुद को कोसती हैंं, जो उनके लिए तनाव का कारण भी बनता है। अगर आप अपने बेबी को ठीक तरह से ब्रेस्टफीडिंग (stress affect the milk supply) करवाना चाहती हैं, तो आपको सेल्फ गिल्ट (self guilt) और तनाव (stress) दोनों से बचना होगा।
महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 1 से 7 अगस्त को ब्रेस्ट फीडिंग वीक (breast feeding week) के रूप में मनाया जाता है। इस साल विश्व स्तनपान सप्ताह (World breast feeding week) की थीम इनेवलिंग ब्रेस्ट फीडिंग मेकिंग अ डिफरेंस फॉर वर्किंग पेरेंटस (Enabling breastfeeding: making a difference for working parents) है। इस थीम का मकसद कामकाजी महिलाओं को स्तनपान के लिए परिवार की ओर से समय प्रदान करवाना है। इसके लिए इस वीक कई प्रकार के कार्यक्रमों, गोष्ठियों और समारोह का आयोजन किया जाता है।
अगर न्यू मदर्स की बता करें, तो उनका स्ट्रेस लेवल बेबी फीड (stress affect the milk supply) को भी प्रभावित करने लगता है। यूनीसेफ के मुताबिक 7.6 मिलियन नवजात शिशुओं को ब्रेस्ट फीड (breast feed) नहीं कराया जाता है। भारत में 79 फीसदी डिलीवरीज़ अस्पतालों में ही होती हैं। इनमें से सिर्फ आधी ही न्यू मदर्स यानि 41.6 फीसदी मदर्स जन्म के पहले घंटे के भीतर अपने बच्चों को फीड कराती हैं।
नवजात शिशु की देखभाल, खान पान, रहन सहन और फीडिंग एक मां की जिम्मेदारी होती है। अचानक बच्चे के साथ इन सभी कामों की आदत का न होना पोस्टपार्टम स्ट्रेस का कारण बन सकता है। इससे निपटने के लिए न्यू मॉम (New mom) को सेल्फ केयर की आवश्यकता है। अमेरिकन इंस्टीटयूट ऑफ स्ट्रेस के मुताबिक 77 फीसदी लोग रोज़ाना स्ट्रेस से होकर गुज़रते हैं।
हेल्थ शॉटस की टीम से बात करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रिस्टिन केयर की को फाउंडर डॉ गरिमा साहनी ने बताया कि तनाव ब्रेस्ट फीडिंग को रिडयूज़ करने का काम करता है। इससे बच्चे को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है। इससे बच्चे के विकास में भी दिक्कतें आने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक तनाव बच्चे के अंदर घबराहट और चिंता पैदा कर सकता है। इससे मां और बच्चे का बॉन्ड मज़बूत नहीं बन पाता है।
पोस्टपार्टम हेल्थ कंडीशन (postpartum health condition)
हार्मोनल बदलाव
बार बार फीड करवाना
नींद की कमी
सोशल एक्सपेक्टेशंस और इंटरफेरेंस (Social expectations and interference)
बॉडी में साइकोलॉजिकल बदलाव (Psychological changes in body)
बच्चो के जन्म के बाद शरीर पूरी तरह से थका हुआ महसूस होने लगता है। दरअसल ब्लड लॉस के चलते शरीर में कमज़ोरी आने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक शरीर में ओस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोंन का एनर्जी लेवल कम होने लगता है। इससे महिला खुद को कमज़ोर महसूस करती हैं। उन्हें इस बात की चिंता सताने के लिएती है कि वे पूर्ण रूप से बच्चे की देख रेख नहीं कर पा रही हैं। इसका असर उन्हें व्यवहार पर भी दिखने लगती है। मूड स्विगस की समस्या स्वस्थ्य के लिए भी हानिकारक होने लगती है।
दिनभर के तनाव से खुद को मुक्त रखने के लिए कुछ वक्त अपने लिए निकालें। इससे आप आसानी से अपनी समस्याओं को समझ हर दूर कर पाएंगे। इसके अलावा कुछ वक्त अपने पसंदीदा कार्य को करने के लिए भी डिवोट करें। इससे आप खुद में नई उर्जा का अनुभ्व करेंगी। आप अपना समय सिलाई बुनाई, रीडिंग और कुकिंग में प्रयोग कर सकती हैं।
मां बनने की ख्वाहिश ही लड़की की होती है। मगर मां बनने के बाद अक्सर लोग खुद को भूल जाते हैं। सारा वक्त बच्चे के लालन पालन में बिता देते हैं। ऐसे में कुछ वक्त खुद को दें और उसमें लाफ्टर योगा करें, कॉमेडी विडियो देखें और फनी गेम्स खेलें।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक ब्रेस्टफीडिंग (Breast feeding) करवाने से आप खुद को साइकॉलोजिकल और सब्जेक्टिव तनाव से दूर रख सकती है। इससे मां की मेंटल हेल्थ (Mental health) पर अच्छा असर पड़ता है। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोंन (Happy hormone) रिलीज़ होते हैं, जो हमारे दिमाग को शांत रखने में मदद करते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक ब्रेस्ट मिल्क न्यू बॉर्न बेबी के लिए एक हेल्दी फूड आईटम है। अगर आप लगातार परेशान रह रही हें, तो रिलैक्सेशन तकनीक के ज़रिए खुद को मेंटली तौर पर फ्री रख सकती हैं।
आप इस बात को लेकर गिल्ट फील न करें कि आप सभी काम कर नहीं पा रही है। इस बात के लिए खुद को तैयार कर लें कि एक व्यक्ति सभी प्रकार के काम नहीं कर सकता है। इस वक्त आपका फोक्स केवल आपका बच्चा होना चाहिए। इसके अलीावा अन्य कामों को करना अलावा लिए मुश्किल हो सकता है। ऐसे में आप अन्य लोगों से मदद मांग लें। फिर चाहे ग्रोसरी लाना हो या खाना बनाना हो या अन्य कोई और काम।
ये भी पढ़ें- मोटापा, स्मोकिंग और डायबिटीज बढ़ा रहे हैं महिलाओं में पैंक्रियाटिक कैंसर का जोखिम, जानिए कैसे