वर्क कल्चर में आने वाले बदलाव से लोग घंटों स्क्रीन के सामने गुज़ारते हैं। देर तक स्क्रीन के सामने बैठकर काम करने से आंखों में खुजली और बर्निंग की समस्या बढ़ने लगती है, जो आंखों में होने वाली समस्याओं का कारण बनने लगता है। साथ ही दृष्टि पर भी इसका दुष्परिणाम नज़र आने लगता है। लंबे वक्त तक मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन का इस्तेमाल करने से होने वाली परेशानियों से बचने के लिए कुछ खास टिप्स को फॉलो करना चाहिए। जानते हैं कि आई स्ट्रेन क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है (how to avoid eye strain)।
आई स्ट्रेन आंखों की वो स्थिति है, जब आंखे लगातार घंटों काम करने के बाद थक जाती है। लगातार किताब पढ़ने, ड्राइविंग और कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करने के बाद आंखों पर दबाव आने लगता है। इसके चलते आंखों से पानी आना, खुजली और दर्द होने लगता है। जो आई स्ट्रेन को दर्शाता है। वे लोग जो कम लाइट में काम करते है और चार दीवारी में ही कैद रहते है। उन्हें ब्लर विज़न और सिरदर्द की समस्या से दो चार होना पड़ता है।
इस बारे में बातचीत करते हुए नेत्र विशेषज्ञ, डॉ अनुराग नरूला ने कई चीजों की जानकारी दी। उन्होनें बताया कि आंखों में बढ़ने वाले तनाव को कम करने के लिए चश्मा, आई ड्रॉप्स और ल्यूब्रीकेंटस का इस्तेमाल करें। इससे आई स्ट्रेन की समस्या से बचा जा सकता है। रूटीनआई चेकअप के दौरान रेटिना की जांच भी ज़रूरी है। इसके अलावा ग्लाइकोमा चेकअप भी आवश्यक है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों में मायोपिया का जोखिम बढ़ने लगता है। इससे उनकी दृष्टि प्रभावित होती है। ऐसे में स्क्रीन टाइम को सीमित कर आउटडोर एक्टिविटीज़ को प्रायोरिटी दें।
घंटों स्क्रीन के सामने बैठकर काम करने से उसका असर न केवल आपके शरीर के पोश्चर पर नज़र आता है बल्कि इससे आंखों का स्वास्थ्य भी बिगड़ने लगता है। आंखों में खुजली, धुंधला दिखना और सिर में दर्द की शिकायत बढ़ने लगती है। इसके लिए डिजिटल डिवाइज़ के इस्तेमाल को कम करें और अपने कंम्प्यूटर पर भी लंबे वक्त तक काम करने से बचें।
काम के दौरान हर थोड़ी देर में ब्रेक्स अवश्य लें। 20. 20 रूल को फॉलो करें। अगर आप देर तक बैठकर काम करते हैं। तो उसका असर शरीर पर दिखने लगता है। ऐसे में हर 20 मिनट के बाद 20 सेकण्ड के लिए आंखों को रिलैक्सेशन देना ज़रूरी है। इसके लिए या तो आंखों को बंद कर लें या फिर 20 फुट की दूरी पर रखी किसी भी चीज़ पर 20 सेकण्ड के लिए फोक्स करें।
आंखों में होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए रूटीन आई चेकअप करवाना न भूलें। इससे दृष्टि की जांच होने के साथ साथ उम्र के साथ आंखों से संबधी समस्याओं की भी जानकारी मिलती है। साथ ही डॉक्टर की सुझाई आई एक्सरसाइज़ को फॉलो करें। इसके अलावा एनुअल रेटिना चेकअप भी ज़रूर करवाएं।
आंखों में बढ़ रहे तनाव को कम करने के लिए विशेष चश्मा की आवश्यकता होती है। ऐसे में डॉक्टर के सुझाव से चश्मा बनवाएं और उसे रोज़ाना पहनना अवॉइड न करें। इसके अलावा कई किस्म के लेंस भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आंखों को आई स्ट्रेन से बचाने के लिए आंखों की नियमित चिकित्सा बेहद आवश्यक है।
काम के दौरान कम लाइन आंखों के तनाव को बढ़ा सकती है। इससे आंखों में खिंचाव, जलन और खुजली महसूस होने लगती है। कम रोशनी में कुछ भी पढ़ने, लिखने या स्क्रीन देखने से बचें। इससे आंखों पर स्ट्रेन पड़ने लगता है, जो आंखों की रोशनी को प्रभावित करता है। इससे आप केसी भी चीज़ पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।
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