EXPERT SPEAK

पॉजीटिविटी आसान बना सकती है ऑटिस्टिक बच्चे का जीवन, एक्सपर्ट बता रहे हैं इसकी जरूरत

ऑटिज़्म एक न्यूरोलॉजिक डिसऑर्डर है, जो किसी बच्चे में संवाद स्थापित करने या मेलजोल बढ़ाने में दिक्कतें पैदा कर सकते हैं। ऐसे बच्चों की मदद करने के लिए जरूरी है कि उन्हें एक प्रेरक और सकारात्मक माहौल प्रदान करें।
सभी चित्र देखे autistic child ke aaspass ke mahaul ko positive banaye rakhna bahut zaruri hai
ऑटिज़्म से ग्रस्त बच्चे के आसपास के माहौल को सकारात्मक बनाए रखना बहुत जरूरी है। चित्र : अडोबीस्टॉक
Updated: 11 Mar 2024, 10:33 am IST
  • 132

न्यूरोलॉजिक समस्याओं के बारे में हम अब भी बहुत कम जानते हैं। न तो समाज में इनके प्रति जागरुकता है और न ही इनके विशेषज्ञ आपको आसानी से मिल पाते हैं। जिस वजह से  इन बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवारजनों को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। महंगे और दुर्लभ उपचार के साथ ही, एक चुनौती देखभाल संबंधी भी है। ऑटिज़्म के  बारे में भी स्थिति ऐसी ही है। इसलिए यह जरूरी है कि ऑटिज़्म से ग्रस्त बच्चों को कैसे संभालना (How to deal with an autistic child) है, इसके बारे में हम सभी ठीक से जानें।

सबसे पहले जानिए क्या है ऑटिज़्म 

ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक ऐसी ही स्थिति है, जो किसी के सीखने की क्षमता, बर्ताव और कम्युनिकेशन को प्रभावित करती है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर आपके दिमाग के विकास से संबंधित एक स्थिति है, जो एक व्यक्ति को दूसरों के साथ मेलजोल और उनके बारे में सोचने के तरीके को प्रभावित करती है। जिसके कारण सामाजिक संपर्क और कम्युनिकेशन में समस्याएं पैदा होने लगती हैं।

ese bachcho ko meljol badhane me dikkate hoti hain
ऐसे बच्चों को मेलजोल बढ़ाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर में “स्पेक्ट्रम” शब्द लक्षणों और गंभीरता की विस्तृत श्रृंखला को दर्शाता है। ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर में वे स्थितियां शामिल हैं, जिन्हें पहले अलग माना जाता था। जैसे कि ऑटिज़्म, एस्परगर सिंड्रोम आदि। कुछ लोग अभी भी “एस्पर्जर सिंड्रोम” शब्द का उपयोग करते हैं, जिसे आम तौर पर ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के हल्के स्तर के रूप में माना जाता है।

क्या ऑटिज़्म का उपचार संभव है? 

अभी तक किसी दवा के द्वारा ऑटिज्म का इलाज संभव नहीं है। काउंसलिंग और थेरेपी की मदद से बच्चे की फंक्शनिंग को बेहतर किया जाता है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी विशेषज्ञों के पास ले जाना चाहिए। उसके फंक्शन कितने दिनों में बेहतर हो सकते हैं, ये बात बच्चे की स्थिति पर निर्भर करती है।

ऑटिज्म तीन तरह के होते हैं, माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। इसके अलावा, बच्चे की ताक़त को पहचानते हुए उसके स्किल्स को बढ़ाना हमारा काम होता है।’

यह एक न्यूरोलॉजिक प्रॉब्लम है, जो आनुवंशिक या बोयोलॉजिकल भी हो सकता है। इसके अलावा, प्रेगनेंसी के दौरान अगर महिला को किसी तरह की समस्या हो, तब भी बच्चे को यह समस्या हो सकती है। हालांकि, ऑटिज्म के होने की सटीक वजह का अब तक पता नहीं चल पाई है।”

जानिए ऑटिज़्म से  ग्रस्त बच्चे का ध्यान कैसे रखना है (how to deal with an autistic child)

1 पॉजिटिविटी पर ध्यान दें (Focus on positivity)

किसी अन्य की ही तरह, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले बच्चे अक्सर पॉजिटिव बिहेवियर से अच्छा रिस्पॉन्स देते हैं। इसका मतलब है कि जब आप उनके अच्छे बिहेवियर के लिए उनकी तारीफ करते हैं, तो ये उन्हें (और आपको) अच्छा महसूस कराएगा।

yad rakhen ki apko bachche ko achchhi cheezo ke liye encourage karna hai
बच्चे को प्रेरित करें और अच्छी चीजों के लिए शाबाशी दें। चित्र : अडोबीस्टॉक

पेरेंट्स को चाहिए कि वो ऐसे बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार रखें, जिससे वे जान सकें कि आपको उनके बिहेवियर के बारे में क्या पसंद है।

2 लगातार शेड्यूल को फॉलो करें (Follow schedule)

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (autism spectrum disorder) वाले बच्चे रूटीन पसंद करते हैं। इसलिए सुनिश्चित करें कि उन्हें लगातार गाइडेंस मिलती रहे. उनसे इंट्रैक्शन टूटे नहीं, ताकि वे थेरेपी से जो सीखते हैं, उसकी प्रैक्टिस कर सकें।

3 टाइम दें, सब्र रखें (Take time, have patience)

आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छा क्या है, ये पता लगाने के लिए आप कई अलग-अलग तकनीकों, इलाजों और दृष्टिकोणों को जानने की कोशिश करेंगे।

अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें

कस्टमाइज़ करें

4 खेलने का शेड्यूल (Play time)

इस बात ध्यान रखें कि ऐसी एक्टिविटी जो पूरी तरह से फन से भरी है, जिसमें किसी तरह की कोई एजुकेशन या थेरेपी नहीं है, उन्हें खोजें। ऐसी एक्टिविटी से आपके बच्चे को खुलने और आपसे जुड़ने में मदद मिल सकती है।

  • 132
लेखक के बारे में

डॉ विनीत बंगा न्यूरोलॉली एवं न्यूरोवास्कुलर इंटरवेंशन के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं। वे ऑटिज़्म, एपिलेप्सी और पार्किसंस रोग के विशेषज्ञ हैं। इस समय वे बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली में एसोसिएट डायरेक्टर - न्यूरोलॉजी और हेड - न्यूरोवास्कुलर इंटरवेंशन - सेंटर फॉर न्यूरोसाइंसेज हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख