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“पहले लोग सोचते थे योग करने वाले संन्यासी हो जाते हैं”, हंसाजी योगेंद्र कर रही हैं योग के साथ अपने अनुभवाें पर बात

योग गुरू और विशेषज्ञ हंसाजी योगेंद्र उन गिनी-चुनी महिलाओं में से एक हैं, जिन्हें योग में पुरुषों के समान आदर और प्रशंसक मिले हैं। कैसे हुई उनकी योग की शुरुआत और कैसा रहा 76 वर्ष तक की उम्र तक अब तक का अनुभव, जानते हैं हेल्थ शॉट्स के इस विशेष इंटरव्यू में।
योग गुरु हंसाजी योगेंद्र ने तीन साल की उम्र से ही योग करना आरंभ कर दिया था, जो 76 साल की उम्र तक जारी है।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 28 Feb 2024, 08:00 am IST
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योगाभ्यास किसी खास आयुवर्ग तक ही सीमित नहीं है। कोई भी व्यक्ति चाहे उम्रदराज हो या युवा हर उम्र में आसानी से योगाभ्यास कर सकता है। भारतीय योग गुरु हंसाजी योगेंद्र को देखकर आप यह मान सकते हैं कि योग जीवन को कितना ऊर्जामय बना सकता हैं। उन्होंने तीन साल की उम्र से ही योग करना आरंभ कर दिया था, जो 76 साल की उम्र तक जारी है। वे दशकों से दुनिया भर के लोगों में योग की फिलोसॉफी, साइकोलॉजी और प्रैक्टिस के बारे में जागरूकता फैला रही हैं। अपने शांत व्यक्तित्व और विनम्र स्वभाव के साथ हंसाजी युवाओं को योग की ओर प्रेरित करती हैं। साथ ही शारीरिक और मानसिक हेल्थ को बूस्ट करने में मददगार योग के बारे में बेहतरीन जानकारी भी सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करती हैं।

1997 से मुंबई में योग संस्थान के निदेशक के तौर पर हंसाजी योगेंद्र ने महिलाओं को योग के फायदों के बारे में बताना शुरू किया। यहां वे उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान करती हैं। हेल्थशॉट्स के साथ इस खास इंटरव्यू में हंसाजी की उपलब्धियों और उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानते हैं।

एक बेहतरीन लेखक, योग विशेषज्ञ, शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर अपने व्यक्तित्व को निखारने वाली इस शख्सियत का मकसद लोगों को अपने चेहरे की सुदंरता को निखारने के साथ ओवरऑल हेल्थ को संवारने के लिए प्रेरित करता है।

योग के साथ कैसा था आपका शुरुआती अनुभव?

हंसाजी योगेंद्र बताती हैं कि मेरा जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां जैन धर्म को फॉलो किया जाता था। परिवार में हमेशा अनुशासन देखने को मिला और उसी को अपने जीवन का सार बना लिया। तीन साल की उम्र से ही मुझे योग से जोड़ दिया गया। हंसाजी बताती हैं कि उनके पिता योग इंस्टीट्यूट में सीखने के लिए जाते थे और घर लौटकर उन्हें भी योगाभ्यास करवाया जाता था।
उनका कहना है कि एक छोटे बच्चे के लिए उस वक्त आंखें बंद करके बैठना बेहद मुश्किल हुआ करता था। हमें यह चुनौती दी जाती थी कि सभी भाई-बहनों में सबसे लंबे वक्त तक कौन आंखें बंद किए बैठा रह सकता है।

आंखें बंद करके बैठने के अलावा बिना हिले डुले शवासन में रहने के लिए कहा जाता था। अपने तीन भाइयों के साथ योगाभ्यास करने के दौरान अधिकतर मैं विजयी रहती थी। बचपन से ही इस प्रकार का प्रशिक्षिण मिलने से योग से लगाव होना शुरू हो गया। वक्त के साथ योग मेरी रूचि बन चुका था। दरअसल, योग के माध्यम से जीवन में स्थिरता का अनुभव होने लगा था।

तीन साल की उम्र से ही मुझे योग से जोड़ दिया गया।

पिछले कुछ वर्षां में योग की लोकप्रियता काफी बढ़ी है, आप इसे कैसे देखती हैं?

हंसाजी योगेंद्र बताती हैं कि शुरुआत में योग की तरफ लोगों का ज्यादा रुझान नहीं हुआ करता था। उस वक्त महिलाओं के मन में एक भय रहता था कि जो योग सीखता है वह सन्यासी हो जाता है। महिलाओं की सोच को बदलने के लिए उन्हें योग से जोड़ने का प्रयत्न किया। महिलाओं को योग संस्थान में योग सिखाया गया और उन्हें हेल्दी, मज़बूत व सक्षम बनाया गया। फिर धीरे-धीरे महिलाएं योग से जुड़ने लगीं और अपने बेहतर स्वास्थ्य के बारे में सोचने लगीं। इस तरह योग की ओर उनका रूझान बढ़ने लगा।

विदेशों में भी योग में लोगों का इंटरेस्ट तेज़ी से बढ़ता हुआ देखा गया। न केवल लोगों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया, बल्कि विदेशी भारत आकर योग सिखाने लगे। उस वक्त भारतीयों की ऐसी सोच थी कि विदेश से आने वाली कोई भी इंपोर्टेड चीज फायदेमंद होगी। योग अब लोगों को एक इंपोर्टेड चीज़ के समान अपनी ओर आकर्षित करने लगा था। इसके चलते भारत में एक बार फिर से योग की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ने लगी थी। दरअसल, अब वास्तव में लोग योग सीखना चाह रहे थे।

योग हमेशा पुरुष प्रधान रहा है, क्या समय के साथ इस सोच में बदलाव नज़र आ रहा है?

हंसाजी योगेंद्र वास्तव में आध्यात्मिकता में पुरुष और महिला के बीच में कोई भेदभाव नहीं है। योग पुरूषों के साथ महिलाओं के लिए भी ज़रूरी है। योग संस्थान में महिलाओं को योग सिखाया जाता है। दरअसल, महिलाएं दिन भर बहुत से कामों में मसरूफ रहती हैं। ऐसे में उनके शरीर की मज़बूती और सेहत आवश्यक है। चाहे महिलाएं हो या पुरूष इस बात को समझना बेहद आवश्यक है कि खुद को कैसे फिट और हेल्दी बनाए रखना है।

अकसर योग में स्लिम बॉडी को रिप्रेसेंट किया जाता है। अवास्तविक फिटनेस नॉर्म्स से कैसे बचा जाए?

समय के साथ योग को लेकर लोगों की धारणा बदल रही है। फिटनेस को लेकर सोसायटी में कुछ फिटनेस मानदण्ड सेट हो चुके हैं। उनमें से एक है ज़ीरो फिगर। ज़ीरो फिगर का मतलब ये कतई नहीं है कि आप फिट हैं। इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि व्यक्ति के शरीर में लचीलापन है या नहीं। इसके अलावा उस व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक संतुलन कैसा है।

शारीरिक तौर पर कुछ लोग स्लिम रहते हैं, तो कुछ वेटगेन करने लगते हैं। हर वक्त शरीर को पतले बनाए रखना संभव नहीं हो पाता है। खासकर मेनोपॉज के समय महिलाओं के चेहरे से लेकर ओवरऑल शरीर तक कई उतार-चढ़ाव आते हैं। ऐसे में बाहरी सुंदरता को छोड़कर हेल्दी शरीर को मेंटेन रखने की ओर फोकस करना चाहिए।

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अपने व्यक्तित्व को विशेष महत्व दें। इस बात को समझें कि आप एक व्यक्ति के रूप में कैसे हैं और अन्य लोगों के प्रति आपका व्यवहार कैसा है। बोलते वक्त आप कैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। हेल्दी लीविंग के लिए इन सभी बातों का ख्याल रखना आवश्यक है।

फिटनेस को लेकर सोसायटी में कुछ फिटनेस मानदण्ड सेट हो चुके हैं। उनमें से एक है ज़ीरो फिगर । चित्र: अडोबी स्टॉक

इस उम्र में भी आप शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट नजर आती हैं, अपनी दिनचर्या के बारे में कुछ अवश्य बताएं।

मैं 76 साल की हूं और योग मेरे जीवन में बेहद महत्वपूर्ण है। दरअसल, 50 की उम्र के बाद लोगों को अपने शरीर की देखभाल करने की आवश्यकता होती है। मैं अधिकतर समय योग संस्थान की देखभाल करने और लैक्चर्स में व्यतीत करती थी। मगर दिन भर में कुछ वक्त योग के लिए निकालना बेहद ज़रूरी है।

दरअसल, मेरे लिए भी बाकी जिम्मेदारियों को पूरा करने के साथ योग के लिए अलग से समय निकालना मुश्किल हो रहा था। जाहिर है किसी भी महिला के लिए ये मुश्किल कार्य होता है। समय की कमी के चलते अगर आप योग नहीं कर पा रही हैं, तो जिस क्षण आप जागती हैं, कुछ वक्त शरीर को स्ट्रेच करें और योग करें। लंबी सांसें लें और सांस पर ध्यान केद्रित करते हुए कुछ देर ध्यान में बैठें।

उठते के साथ मोबाइल को अपने पास न रखें। नहाने के समय भी आप कुछ एक्सरसाइज कर सकते हैं।

योग के बाद खुद को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी नाश्ता अवश्य खाएं। इसके अलावा 4 घंटे के अंतराल पर खाना ज़रूरी है। सरल और सादा खाना खाएं। खाने से पहले मैं हमेशा जमीन की ओर झुककर धरती माता को धन्यवाद करती हूंए और फिर हस्तपादासन करती हूं। इससे रीढ़ की हड्डी और बाहों में खिंचाव आता है, जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है।

सुबह, दोपहर और शाम में कुछ देर वॉक के लिए जाती हूं। इससे शरीर को प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कुछ वक्त ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ औा मेडिटेशन के लिए भी निकालना चाहिए। योग के अलावा अच्छी नींद भी आवश्यक है। इसके लिए सूर्यास्त के बाद कुछ भी खाने से बचें। खाली पेट होने से नींद न आने की समस्या हल हो जाती है। इस रूटीन को फॉलो करने से आप हेल्दी रहेंगे और थकान की समस्या से भी मुक्ति मिल जाती है।

योग स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रखता है। मगर उम्र के साथ योगासनों को बदलते रहें।

आप युवा पीढ़ी को क्या संदेश देंगी?

युवा पीढ़ी ने योग के केवल फिज़िकल आस्पेक्ट को ही समझा है। योग स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रखता है। मगर उम्र के साथ योगासनों को बदलते रहें। मेरा मानना है कि प्राणायाम और मेडिटेशन अपनी उम्र के हिसाब से करें। इससे शरीर में दृढ़ता बढ़ती है। अगर किसी व्यक्ति की डिप्रेसिव पर्सनैलिटी है, तो उसे मेडिटेशन को छोड़कर प्राणायाम के साथ अन्य योगासन करने चाहिए। इससे मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है और सोचने समझने की क्षमता का भी विकास होता है। योग से युवाओं के मस्तिष्क में स्थिरता बढ़ने लगती है।

उम्र बढ़ाने के लिए आप लोगों को कौन सी 5 चीजें बताना चाहेंगी?

स्वस्थ जीवन अपनाने के लिए 5 चीजों का पालन अवश्य करना चाहिए।

1. हर पल खुश रहना चाहिए। इससे जीवन में आने वाली हर समस्या का आसानी से सामना कर सकते हैं।
2. अपने शरीर का ख्याल रखें
3. दोस्ती को हमेशा बनाए रखें
4. अपनी पंसदीदा गतिविधियों को करें
5. सेल्फ डेवलपमेंट और स्पीरिचुअल अपलिफ्टमेंट पर काम करें

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