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कविता कृष्णमूर्ति : मैंने कोल्ड और साइनस की समस्या को नहीं बनने दिया गायन में बाधा

गायन की मल्लिका कविता कृष्णमूर्ति तीन दशकों से अधिक समय से हमें मधुर गीत सुना रही हैं। इतने ही लंबे समय से वे ब्रोन्कियल कोल्ड और साइनस की समस्या से भी जूझ रही हैं। पर उन्होंने कभी स्वास्थ्य समस्या को गायन के आड़े नहीं आने दिया। जानते हैं कैसा रहा इस महत्वपूर्ण गायिका का सफर।
कविता कृष्णमूर्ति पिछले 30 से 35 वर्षों से ‘ब्रोन्कियल कोल्ड’ से पीड़ित हैं। वे अभी भी गाना जाती हैं।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 20 Jan 2024, 15:30 pm IST
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गायिका कविता कृष्णमूर्ति पहली बार 1970 के दशक की शुरुआत में पार्श्व गायन के लिए माइक्रोफोन के पीछे गईं। इन चार दशकों में, 65 वर्षीय कविता हवा हवाई, तू ही रे, निंबूड़ा और डोला रे डोला जैसे कई सदाबहार गीतों की आवाज बन चुकी हैं। भले ही उन्होंने 40 से अधिक भाषाओं में लगभग 50,000 गाने रिकॉर्ड किए हैं। पर उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी खूब रहीं। इन सभी के बावजूद वे पद्मश्री पुरस्कार विजेता हैं। वे हर दिन ब्रोंकाइटिस और साइनस की समस्याओं से लड़ने का निश्चय करती हैं और लड़ती हैं। इसके जरिये वे गाना जारी रखती हैं। गायन उनके जीवन का जुनून है।

स्वास्थ्य और गायन

कविता कृष्णमूर्ति को 1942: ए लव स्टोरी, खामोशी: द म्यूजिकल और हम दिल दे चुके सनम जैसी फिल्मों में बेहतरीन गायन के लिए हमेशा याद किया जाएगा। हेल्थ शॉट्स के साथ हुए साक्षात्कार में उन्होंने अपने स्वास्थ्य और गायन के प्रति प्यार के बारे में खुलकर बात की।

संगीत जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा

कविता कृष्णमूर्ति पिछले 30 से 35 वर्षों से ‘ब्रोन्कियल कोल्ड’ से पीड़ित हैं। वे अभी भी गाना जाती हैं। वे बताती हैं, मुझे साइनस की समस्या है,…कभी-कभी मैं अस्थमा से भी पीड़ित हो जाती हूं, लेकिन मैंने गायन छोड़ने के बारे में कभी नहीं सोचा है। यह एक ऐसी लड़ाई है जिसे मैंने कई बार लड़ा है। हर बार मैं जीतकर आती हूं। इसके लिए भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं। स्वास्थ्य मेरे लिए एक मुद्दा हो सकता है क्योंकि मुझे सर्दी लगने का खतरा रहता है। मैंने गाना कभी नहीं छोड़ा है। संगीत मेरे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा (kavita krishnamurthy success story) रहा है।’

तनावमुक्त करने वाला साधन

कविता आगे बताती हैं, अगर मेरे पास यह नहीं है, तो मैं अपने जीवन के बारे में बहुत नकारात्मक महसूस करूंगी।’ कविता के परिवार के सदस्य भी संगीत जगत में हैं। उनके पति भी पिछले 65 वर्षों से संगीत से जुड़े हुए हैं। उनके दो बच्चे कई बच्चों को संगीत सिखाते हैं। उनके परिवार में संगीत बहुत महत्वपूर्ण है। संगीत उन्हें एक साथ रखता है।

संगीत उनके लिए तनावमुक्त करने वाला साधन है। संगीत के बिना सभी जीवन में बहुत तनावग्रस्त रहते हैं। संगीत ने उन्हें आगे बढ़ाया है और उन्हें सकारात्मक ऊर्जा दी है, जो जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए जरूरी है।

संगीत कविता कृष्णमूर्ति के लिए तनावमुक्त करने वाला साधन है।

सर्दी से बचने के लिए प्राकृतिक तरीके का प्रयोग

कविता कृष्णमूर्ति जब हाल ही में लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्यूजिक फेस्टिवल के लिए दिल्ली में थीं, तो उन्होंने खुद को गर्म रखने के लिए खुद को ढक लिया था। उन्होंने आइना में खुद को देखना बंद कर दिया। वे कोट और शॉल में लिपटी हुई थीं। उन्हें प्रेजेंटेबल न दिखने में कोई आपत्ति नहीं थी। उन्हें गले की ज्यादा चिंता थी।

कविता बताती हैं, ‘सर्दी से बचने के लिए मैं प्राकृतिक तरीके से भाप लेती हूं, लेकिन कभी-कभी इनहेलर का भी इस्तेमाल करती हूं। कभी-कभी मैं एंटीबायोटिक्स ले लेती हूं। शायद ही कभी स्टेरॉयड का उपयोग करती हूं। मैंने बहुत अधिक स्टेरॉयड न लेने का फैसला किया है। क्योंकि यह मेरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।’

नाक बंद होने पर गुनगुनाना बहुत मुश्किल

फ़िल्मी गानों के लिए उन्हें कभी-कभी बहुत ऊंचे सुरों में गाना पड़ता है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गाना सीखा है। कविता कृष्णमूर्ति बताती हैं, ‘जब आपकी नाक बंद हो तो गुनगुनाना बहुत मुश्किल हो सकता है। इसलिए स्टूडियो जाने से पहले मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि मेरी नाक बंद न हो! उन्हीं दिनों में से एक दिन मुझे गाने के लिए एक गाना मिला। इसका नाम था हम दिल दे चुके सनम। शुक्र है, उस समय मेरा साइनस नियंत्रण में था।’ अभ्यास के माध्यम से वे चीजों को संभालने में सक्षम हो गई हैं।

जनता के लिए गाना

वे भयंकर सर्दी के बावजूद मंच पर थीं, क्योंकि ऐसे आयोजनों को रद्द नहीं किया जा सकता है। आपको जनता के लिए गाना होगा। अब तक सर्दी के बावजूद गाने गाने में कामयाब रही हैं। यह सब अभ्यास के कारण है। इसके अलावा, कॉन्सर्ट के दिन वे लोगों से ज्यादा बात नहीं करती हैं। बातचीत करना आवाज़ के लिए बहुत थका देने वाला हो सकता है।

फिल्म उद्योग में भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा

स्वास्थ्य के कारण कविता कृष्णमूर्ति ने संघर्ष किया है, लेकिन उन्हें कभी फिल्म उद्योग में भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा। कविता कृष्णमूर्ति बताती हैं, ‘ मैं एक साधारण मध्यवर्गीय लड़की के रूप में आई थी। मैं एक नॉनग्लैमरस परसन थी। मैं बिना मेकअप के साड़ी और सलवार कमीज पहनती थी। कभी-कभी मैं लिपस्टिक लगाकर स्टूडियो जाती थी।

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आरडी बर्मन से लेकर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल तक, उन्होंने मुझे वैसे ही स्वीकार किया जैसी मैं थी। वे मुझे बेटी या बहन की तरह मानते थे।’ उनके लिए एक ही चीज़ महत्वपूर्ण थी कि मैं अच्छा गाऊं।

भारतीय संगीत का प्रचार-प्रसार

हाल में कविता कृष्णमूर्ति लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्यूजिक फेस्टिवल से जुडीं। वे बताती हैं, ‘ यह हमारे उत्सव का 33वां वर्ष था। इसे लक्ष्मीनारायण वैश्विक संगीत महोत्सव कहा जाता है। महान भारतीय कलाकारों के अलावा, हमारे पास हर साल महोत्सव में प्रदर्शन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय कलाकार भी होते हैं। इस बार यह खास था, क्योंकि कजाकिस्तान के सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा के अलावा, हमारे पास वहां से एक गायक मंडल भी था।

जहां तक मेरी बात है, मैंने भारत सिम्फनी नामक एक रचना प्रस्तुत की। इसे मेरे पति प्रशंसित वायलिन वादक और कर्नाटक संगीतकार एल. सुब्रमण्यम ने संगीतबद्ध किया था। हमने इसका प्रीमियर लंदन में किया था। हमने इसे भारत में पहली बार महोत्सव में प्रदर्शित किया।’

कविता कृष्णमूर्ति जब संगीत या यात्रा में व्यस्त नहीं होती हैं, तो सामान्य काम करती रहती हैं।

लोगों तक संगीत पहुंचाना है उद्देश्य

दरअसल, उत्सव की अवधारणा वैश्विक संगीत को लोगों तक पहुंचाना और इसके बारे में अवगत कराना है। यह उनके लिए कभी भी पैसा कमाने वाला कार्यक्रम नहीं रहा। यह उन लोगों के लिए है, जो दुनिया में मौजूद विभिन्न प्रकार के संगीत के बारे में जानने के इच्छुक हैं। जैसे कि अगर कजाकिस्तान है, तो आपको उनका संगीत सुनने को मिलेगा और उनके कलाकारों को भारतीय संगीत के साथ घुलने-मिलने का मौका भी मिलेगा। इसके माध्यम से भारतीय संगीत को दुनिया के सभी प्रकार के संगीत के साथ घुलाना-मिलाना है।

घर पर आराम करना पसंद

कविता कृष्णमूर्ति जब संगीत या यात्रा में व्यस्त नहीं होती हैं, तो सामान्य काम करती रहती हैं। वे बताती हैं, ‘मुझे घर पर आराम करना और कुछ पढ़ना पसंद है। कोविड के दौरान मैंने वीडियो देखकर कुछ कुर्ते सिलने की कोशिश की। मैं शास्त्रीय संगीत सुनती हूं और मुझे अपने पोते-पोतियों के साथ रहना अच्छा लगता है। उन्हें अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं है। कविता कृष्णमूर्ति बताती हैं, ‘ मैं अपने परिवार में सबसे छोटी थी।

जीवन से कोई शिकायत नहीं

एक बहन को छोड़कर, मैंने अपने सभी भाई-बहनों को खो दिया। हमने अपने सभी भाइयों को खो दिया है। काश मैंने उनके साथ अधिक समय बिताया होता। इसके अलावा जीवन अच्छा रहा है और भगवान ने हर चीज का ख्याल रखा। मेरे पति भी संगीत में बहुत रुचि रखते हैं। वे मेरा बहुत सहयोग करते हैं। वे काइंड हार्ट हैं। मेरे बच्चे भी अच्छे हैं, जिन्होंने बहुत मेहनत की है और अपने पैरों पर खड़े हैं।

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