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Nomophobia : मोबाइल के बिना घबराहट होने लगती है? तो ये है नोमोफोबिया के संकेत, जानिए इससे कैसे उबरना है

घंटों बिना किसी से बात किए लोग रील्स, विडियो गेम और मूवीज़ पर बर्बाद कर रहे हैं, जिससे उन्हें अन्य कार्यों में विलम्भ का सामना करना पड़ता है। जानते हैं नोमोफोबिया क्या है और इसके कारण व इससे बचने के उपाय भी
डिजिटल माध्यम का अत्यधिक इस्तेमाल एक विश्वव्यापी समस्या बनकर उभर रहा है। चित्र : शटरस्टॉक
ज्योति सोही Published: 29 Apr 2024, 09:30 am IST
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डिजिटल वर्ल्ड में तेज़ी से बदलाव आ रहे है, जिससे युवा इस ओर तीव्र गति से आकर्षित होने लगे हैं। डिजिटल युग ने व्यक्ति को चंद क्लिक्स के ज़रिए विश्वभर से जोड़ने की महारत हासिल कर ली है। मगर धीरे धीरे ये लोगों की एडिक्शन का कारण भी बनने लगा है। इंटरनेट का ये डिजिटल माध्यम लोगों को अपना एडिक्ट बना रहा है। लोग इस कदर मोबाइल से जुड़ हो चुके हैं, कि उन्हें इसके अलावा और किसी चीज़ की कोई सुध बुध नहीं है। घंटों बिना किसी से बात किए लोग रील्स, विडियो गेम और मूवीज़ पर बर्बाद कर रहे हैं, जिससे उन्हें अन्य कार्यों में विलम्भ का सामना करना पड़ता है। जानते हैं नोमोफोबिया क्या है और इसके कारण व इससे बचने के उपाय भी।

नोमोफोबिया किसे कहते हैं

आधुनिकता के इस दौर में व्यक्ति की फोन पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। डिजिटल उपकरण दिनों दिन व्यक्ति को अपना एडिक्ट बना रहा है। ऐसे में फोन का पास न होना बेचैनी, चिंता और तनाव का कारण बनने लगता है। कुछ देर के लिए अगर किसी व्यक्ति का फोन उससे दूर हो जाए या वो किन्हीं कारणों से इस्तेमाल न कर पाए, तो उस स्थिति को नोमोफोबिया कहा जाता है। डिजिटल माध्यम का अत्यधिक इस्तेमाल एक विश्वव्यापी समस्या बनकर उभर रहा है।

घंटो मोबाइल फोन चलाने से रिलेशनशिप में समस्या हो सकती है । चित्र : शटरस्टॉक

कैसे जानें कि आप हैं नोमोफोबिया के शिकार

हर व्यक्ति फोन को अपने हाथ, पॉकेट या बैग में महफूज़ तरीके से रखता है, जो न केवल बातचीत का एक ज़रिया है बल्कि मनोरंजन का भी मुख्य साधन बनता जा रहा है। वे लोग जो दिनभर अपने कार्यों के लिए इस पर निर्भर रहते हैं। उन्हें डिजिटल एडिक्ट कहा जाता ळैं। जानें डिजिटल एडिक्ट के कुछ लक्षण।

  • क्या आप खाली समय बिताने के लिए डिजिटल माध्यम का सहारा लेने लगे हैं।
  • घंटों तक बिना किसी से बातचीत किए अपने मोबाइल में ही व्यस्त रहते हैं।
  • मित्रों से मेलजोल कम हो रहा हैं आपका फ्रेंड सर्कल दिनों दिन कम होने लगा है।
  • अपने महत्वपूर्ण कार्योंं को करने के दौरान कुछ कुछ देर के लिए रूककर डिजिटल वर्ल्ड से कनेक्ट हो जाते हैं।
  • मोबाइल की एब्सेंस में या इंटरनेट कनेक्टीविटी न होने पर खुद को खाली और परेशान महसूस करने लगते हैं।
  • आउटिंग के दौरान भी आपका ध्यान अपने फोन से ज्यादा देर तक हट नहीं पाता है।

जानें इससे बाहर आने के उपाय

1. समय निर्धारित करें

अपने डिजिटल उपकरण को बार बार देखने की जगह उसके लिए एक समय निर्धारित करें। खाली वक्त में कुछ देर के लिए मेल बॉक्स, चैट वॉक्स और आवश्यक विडियोज़ देखें। हमेशा टाइमर सेट करके ही डिजिटल उपकरण के साथ समय बिताएं।

2. नोटिफिकेशन को बंद कर दें

नोटिफिकेशन कई बार काम के बीच बाधा का कारण बनने लगती हैं। इससे फोकस डाइवर्ट होने लगता है, जिसका असर कार्यक्षमता पर भी दिखता है। वर्कप्लेस पर नोटिफिकेशन को बंद करके रखें। इससे फोन की ओर ध्यान आकर्ष्ज्ञित होने से बच सकता है।

3. फोन को सोते वक्त पास न रखें

नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने और फोन से खुद को दूर रखने के लिए रात को सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करने से परहेज करें। इससे आंखों पर पड़ने वाले ब्लू लाइट के प्रभाव से भी बचा जा सकता है। फोने से दूरी बनाए रखने के लिए डिजिटल उपकरण को हर समय अपने साथ रखने से बचना चाहिए।

नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने और फोन से खुद को दूर रखने के लिए रात को सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करने से परहेज करें। चित्र शटरस्टॉक

4. सोशल सर्कल बढ़ाए

फोने पर अपना अधिक समय बिताने की जगह लोगों से मिलजुले और सोशन सर्कल को बढ़ाने का प्रयास करें। इससे व्यक्ति अन्य लोगों के संपर्क में आने लगता है और फोन के प्रति उसका आर्कषण कम हो जाता है। आवश्यकतानुसार ही फोन का इस्तेमाल करें।

5. आउटडोर एक्टीविटीज़ हैं ज़रूरी

हर पल चार दीवारी में खुद को कैद रखने की जगह घर से बाहर निकलने का प्रयास करें और इंडोर की जगह आउटडोर गतिविधियों में समय व्यतीत करें। इससे शारीरिक स्वास्यि के साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलने लगता है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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