हमने ढूंढे वे 7 कारण जिनकी वजह से लोग उदासी या लो फील करते हैं, एक्सपर्ट बता रहे हैं इमोशनल कनैक्शन
भावनाओं में पाई जाने वाली अस्थिरता धीरे धीरे व्यक्ति के स्वभाव में झलकने लगती है। इसके चलते व्यक्ति बिना किसी वजह डिप्रेस और लो फील करने लगता है। भावनाओं में आने वाले उतार चढ़ाव मूड स्विंग का कारण साबित होते हैं। इससे अन्य लोगों के प्रति रवैया नकारात्मक होता चला जाता है और खुशी के माहौल में भी व्यक्ति मायूस और परेशान नज़र आता है। जहां कुछ लोग मुट्ठी खुशियों को भी सेलिब्रेट कर लेते हैं, तो कुछ जीवन में सब कुछ मिलने के बाद भी उदासी का शिकार रहने लगते हैं। जानते हैं वो ट्रिगर प्वांइटस जो इस परिस्थिति का कारण साबित होते हैं।
क्यों होने लगते हैं बेवजह उदास
इस बारे में बातचीत करते हुए मनोचिकित्सक डॉ आरती आनंद बताती हैं कि अधिकतर लोगों में डिप्रेस्ड पर्सनैलिटी ट्रेट के लक्षण पाए जाते हैं। ये धीरे-धीरे उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बनने लगता है, जिसके चलते व्यक्ति खुद को बिना किसी कारण लो फील करने लगता है। कोई पुरानी चिंता, तुलनात्मक व्यवहार, अकेलापन और प्रोजेक्ट अधूरा रह जाना ऊर्जा में कमी के ट्रिगर प्वांइटस कहलाते हैं। ऐसे में व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को सुधारने की दिशा में कार्य करना चाहिए और उदासी के कारणों पर फोकस करना बेहद ज़रूरी है।
यहां हैं वे सामान्य कारण जिनकी वजह से कोई व्यक्ति उदासी महसूस करने लगता है (Common causes of sadness or feeling low)
1 फिजिकल या मेंटल थकान
कई बार शारीरिक और मानसिक थकान भी व्यक्ति की उदासी का कारण साबित हो सकती है। ऑफिस से लौटने के बाद कोई भी व्यक्ति फिज़िकल और मेंटल थकान का सामना कर सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति थका हुआ और लो फील करने लगता है जिसके चलते वो किसी भी गतिविधि में हिससा लेने से कतराता है।
2 खालीपन
लंबे वक्त तक खाली रहने से व्यक्ति पुरानी यादों में खोने लगता है, जो उसकी परेशानी का कारण बनने लगती हैं। ऐसे में बेवजह की चिंता और परेशानी को दूर करने के लिए समय का सदुपयोग करना आवश्यक है। अपने लिए कुछ लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म गोल
सेट करें।
3 नींद पूरी न हो पाना
वे लोग जो पूरी नींद नहीं ले पाते हैं, वे अक्सर तनाव की समस्या का शिकार होने लगते हैं। पूरी नींद लेने से शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होने लगते है और शरीर एक्टिव रहता है। इसके लिए सोने और उठने का समय तय करना बेहद ज़रूरी है।
4 मौसम में आने वाला बदलाव
मौसम में बदलाव आने से व्यक्ति को सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है। इसके चलते कोई व्यक्ति चिंताग्रसत रहने लगता है। इसका असर मेंटल हेल्थ के अलावा एपिटाइट और नींद पर भी दिखने लगता है। अधिकतर ऐसे लोगों में मूड स्विंग की समस्या बढ़ जाती है।
5 अकेलापन
वे लोग जो अकेले रहते है या सोशल सर्कल क्रिएट नहीं कर पाते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को चिंता और तनाव का सामना करना पड़ता है। इमोश्नल इंबैलेंस के चलते वे अपने मन की बात किसी से न कर पाने के कारण परेशान रहते हैं और खुद को असहाय महसूस करने लगते हैं।
6 रिलेशनशिप प्रोब्लम
रिश्तों में आपे वाली दूरियां और गलतफहमियां उदासी का कारण साबित होती है। ऐसे में व्यक्ति किसी भी कार्य में फोकस नहीं कर पाता है। वो हर पल परेशान रहने लगता है और मन ही मन खुद को कोसने लगता है। दरअसल, आपसी संबध जीवन को एक दिशा देते है। रिश्तों के अभाव में व्यक्ति का एनर्जी लेवल लो रहता है और उसे अपनों की कमी महसूस होने लगती है।
7 कोई खास मानसिक स्वास्थ्य समस्या
अगर कोई व्यक्ति डिप्रेशन से होकर गुज़र रहा है, तो अकेले रहना और छोटी छोटी बातों पर परेशान हो जाना स्वाभाविक है। नकारात्मकता व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा के स्तर को प्रभावित करने लगता है। इससे व्यक्ति थका हुआ और उदास महसूस करता है। इसके चलते किसी भी गतिविधि को करने में उसका मन नहीं लग पाता है।
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