एक्ट्रेस हिना खान गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स नाम की एक बीमारी से पीड़ित हैं। इसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट करके दी है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर की, जिसमें उनकी हथेली में एक खजूर रखा हुआ दिख रहा है। इसके साथ ही उन्होंने एक कैप्शन लिखकर बताया कि उन्हें गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज है। जिसके कारण अगर वो रमजान में रोज़े रखेंगी, तो उनकी हालत और अधिक गंभीर हो सकती है। उन्होंने लिखा कि उनकी माता जी ने कहा है कि अजवा खजूर इसमें मदद कर सकता है। साथ ही उन्होनें लोगों से इसको ठीक करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे भी मांगे हैं।
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज पेट से जुड़ी हुई एक समस्या है। कई लोगों को बहुत बार खाना खाने के बाद या भूखे रहने पर एसिड रिफ्लक्स, अपच या सीने में जलन का अनुभव हो सकता है। लेकिन क्या इन सभी समस्याओं का सामना कर रहे लोगों को गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स की समस्या होगी? ऐसा बिल्कुल नहीं है। यदि आप प्रति सप्ताह दो बार से अधिक एसिड रिफ्लक्स लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो आपको गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स हो सकता है।
यह डिजीज तब होती है जब ईसोफैगस (esophagus) में गैस्ट्रिक जूस की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। सोनम सिंह जो कि एक गट, पीसीओएस, थायराइड, वेट लॉस एक्सपर्ट हैं, उन्होंने इसे मैनेज करने के लिए कुछ सुक्षाव दिए हैं।
इस डिजीज में आपको बार-बार सीने में जलन का सामना करना ही पड़ता है। साथ ही आपको कुछ और दिक्कतें भी हो सकती हैं। जैसे –
मुंह में खट्टा स्वाद
खाना पेट से वापस मुंह में आना
बार-बार डकार आना
दांतों के इनेमल का घिस जाना
सूखी खांसी या गला बार-बार साफ करने की जरूरत महसूस होना
ब्लोटिंग होना
सांस लेने में कठिनाई
अस्थमा की समस्या
मोटापा या अधिक वजन– बहुत अधिक वजन, विशेष रूप से पेट के आसपास, पेट पर दबाव बढ़ा सकता है और रिफ्लक्स को बढ़ा सकता है।
गर्भावस्था– प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल में बदलाव और पेट पर दबाव बढ़ने से गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स के लक्षण दिख सकते हैं।
स्मोकिंग– धुम्रपान एसोफेजियल स्फिंक्टर को कमजोर करता है और पेट में एसिड उत्पादन बढ़ाता है, जिससे रिफ्लक्स की संभावना अधिक होती है।
खाने की खराब आदतें– अधिक भोजन करना, खाने के तुरंत बाद लेट जाना या लेटे रहना, या सोने के समय के करीब खाना खाने से रिफ्लक्स का खतरा बढ़ सकता है।
जब पेट अत्यधिक भर जाता है, तो ईसोफैगस (esophagus) में रिफ्लक्स बढ़ सकता है। यदि संभव हो, तो अपनी दिनचर्या में ग्रेजिंग (grazing) नामक एक प्रैक्टिस को शामिल करने पर विचार करें। जहां आप तीन बार में अधिक भोजन खाने के बजाय दिन भर में अधिक बार कम भोजन खाते हैं।
एसिड रिफ्लक्स से पीड़ित लोगों को केवल फीका खाना ही खाना चाहिए, यह धारणा बिल्कुल गलत है। पहले के समय में शायद लोग ऐसा करते थे, लेकिन आज परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। इसलिए आपको बेस्वाद खाना खाने की बजाय कुछ चीजों को अपने खाने से हटाने के बारे में सोचना चाहिए। पुदीना, वसायुक्त खाद्य पदार्थ, मसालेदार भोजन, टमाटर, प्याज, लहसुन, कॉफी, चाय, चॉकलेट, शराब।
खाना खाने के बाद खड़े होने या बैठने पर, गुरुत्वाकर्षण पेट के एसिड को वहीं रखने में मदद करता है जहां वह है। सलाह दी जाती है कि सोने से कम से कम तीन घंटे पहले खाना खत्म कर लें, दोपहर के भोजन के तुरंत बाद नैप लेने से बचें और देर रात का खाना या मीड नाइट क्रेविंग से बचें।
अधिक वजन के कारण लोवर एसोफेजियल स्फिंक्टर को सहारा देने वाली मांसपेशियों की संरचना में खिंचाव हो सकता है, जिससे स्फिंक्टर को बंद रखने वाला दबाव कम हो जाता है। इस कमज़ोरी के परिणामस्वरूप रिफ्लक्स और सीने में जलन हो सकती है।
खाने के बाद कुछ घंटों तक बहुत अधिक मेहनत वाले व्यायाम से बचें। रात के खाने के बाद टहलना ठीक है, लेकिन अधिक ज़ोरदार एक्सरसाइज, खासकर अगर इसमें झुकना शामिल है, तो ये आपके ईसोफैगस में एसिड भेज सकता है।
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