Pulmonary hypertension : जानिए क्या है फेफड़ों की यह घातक बीमारी, जिसमें सांस फूलने लगती है

फेफड़ों का स्वास्थ्य आपकी उम्मीद से ज्यादा संवेदनशील है। इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन के अलावा घरेलू धूप और अगरबत्ती का धुआं भी इन्हें बीमार कर सकता है। यहां हम फेफड़ों की एक घातक बीमारी पल्मोनरी हाइपरटेंशन के बारे में बात कर रहे हैं।
Pulmonary hypertension kaise badhne lagta hai
जानतें है क्या है पल्मोनरी हाईपरटेंशन (Pulmonary hypertension) और इससे कैसे बचा जा सकता है। चित्र- अडॉबीस्टॉक
ज्योति सोही Published: 22 Nov 2023, 18:24 pm IST
  • 140
मेडिकली रिव्यूड

चलते समय सांस का फूलना और हाथों.पैरों में सूजन सुनने में भले ही आम लगें, मगर ये पल्मोनरी हाईपरटेंशन जैसी घातक बीमारी के शुरूआती लक्षण हो सकते हैं। जो फेफड़ों की धमनियों में रक्त के प्रवाह को कम कर देते हैं और ब्लड प्रेशर (Blood pressure) को बढ़ाने लगते हैं। इसका असर हृदय की मांसपेशियों पर पड़ने लगता है। ये समस्या किसी भी उम्र में आपको अपनी चपेट में ले सकती है। ये तकलीफ शरीर में धीमी गति से बढ़ने लगती है, जिससे लक्षण धीरे धीरे गंभीर होते चले जाते हैं। जानतें है क्या है पल्मोनरी हाईपरटेंशन (Pulmonary hypertension) और इससे कैसे बचा जा सकता है।

पल्मोनरी हाइपरटेंशन क्या है (What is Pulmonary Hypertension)

वैश्विक स्तर पर लगभग 1 फीसदी लोग पल्मोनरी हाइपरटेंशन (Pulmonary hypertension) से ग्रस्त है। नेशनल हार्ट, लंग्स एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के अनुसार पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है जो फेफड़ों में ब्लड वेसल्स को प्रभावित करती है। फेफड़ों में रक्तचाप सामान्य से ज्यादा होने पर ये स्थिति पैदा होती है। शरीर में पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ने से फेफड़ों में रक्त पंप करने के लिए हृदय को सामान्य से अधिक परिश्रम करना पड़ता है। जो हृदय के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित होता है। इसके चलते सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द और शरीर में हल्कापन महसूस होने लगता है।

पल्मोनरी हाईपरटेंशन (Pulmonary hypertension) के कारणों और उपचार के बारे में जानने के लिए हमने लंग्स हेल्थ एक्सपर्ट डॉ अवि कुमार से बात की। डॉ अवि कुमार फोर्टिस एस्कॉर्ट्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट ओखला में रेस्पिरेटरी मेडिसिन कंसल्टेंट हैं।

Jaanein Pulmonary hypertension ke kaaran
ये तकलीफ शरीर में धीमी गति से बढ़ने लगती है, जिससे लक्षण धीरे धीरे गंभीर होते चले जाते हैं। चित्र : एडॉबीस्टॉक

कब बढ़ जाता है पल्मोनरी हाइपरटेंशन का खतरा

डॉ अवि कुमार के अनुसार पल्मोनरी आर्टरीज का प्रेशर जब 30 से ज्यादा हो जाता है, तो उसे पल्मोनरी हाइपरटेंशन कहा जाता है। ये समस्या किसी न किसी डिज़ीज के कारण शरीर में बढ़ने लगती है। सीओपीडी से लेकर लेफ्ट हार्ट फेलियर तक किसी भी समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को इसका सामना करना पड़ सकता है।

कुछ बीमारियों के चलते भी पल्मोनरी हाइपरटेंशन का जोखिम बढ़ जाता है। जो लोग ऑटो इम्यून बीमारी ग्लाइकोजन स्टोरेज से ग्रस्त हैं, उन्हें भी पल्मोनरी हाइपरटेंशन (Pulmonary hypertension) का जोखिम बढ़ने लगता है। इसकी पहचान करने के लिए कई प्रकार के टेस्ट करवाए जाते हैं।

क्या हैं पल्मोनरी हाइपरटेंशन के कारण (Causes of Pulmonary Hypertension)

सीओपीडी से ग्रस्त होने पर इसका खतरा बढ़ जाता है
इंटरस्टीशियल लंग डिजीज वाले पेशेंटस में इसकी संभावना बढ़ जाती है।
लेफ्ट हार्ट फेलियर वाले पेशेंट्स इस समस्या का शिकार हो जाते हैं
थ्रामोएम्बाल्जिम के रोगी में भी इसका जोखिम बढ़ने लगता है
ग्लाइकोजन स्टोरज डिज़ीज से भी ये रोग पनपने लगता है
एचआईवी के मरीज इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं

किस उम्र में ज्यादा होता है पल्मोनरी हाइपरटेंशन का खतरा

सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार किसी भी उम्र के लोग पल्मोनरी हाइपरटेंशन (Pulmonary hypertension) का शिकार हो सकते हैं। 30 से लेकर 60 वर्ष की उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा पाई जाती है। दरअसल, लंग्स की आर्टरीज संकुचित होने के कारण ब्लड फ्लो उचित तरीके से नहीं हो पाता है, जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजऩ पूरी तरह से नहीं पहुंच पाती है।

Pulmonary Hypertension se kaise bachein
सीओपीडी से लेकर लेफ्ट हार्ट फेलियर तक किसी भी समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को इसका सामना करना पड़ सकता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

जानिए पल्मोनरी हाइपरटेंशन के शुरूआती संकेत (Early signs of Pulmonary Hypertension)

चलते समय सांस फूलने लगती है
हाथों और पैरों में सूजन बढ़ जाती है
शरीर में ऑक्सीजन की कमी
थकान महसूस होना
लगातार खांसी की समस्या
चेस्ट पेन का बढ़ना भी इस समस्या को दर्शाता है

पल्मोनरी हाइपरटेंशन के लिए निदान (Diagnosis of Pulmonary Hypertension)

डॉ अवि कुमार के अनुसार पल्मोनरी हाइपरटेंशन की जांच के लिए पहले मरीज का इसीजी और इको होता है। फिर एक्सरे करवाया जाता है। इसके अलावा टीएफटी और ब्लड टेस्ट करवाते हैं। टेस्ट से इस बात की जानकारी मिलती है कि पेशेंट को हार्ट या लंग्स की वजह से कोई परेशानी तो नहीं आ रही है। इसके अलावा इस बात की भी जांच की जाती है कि एबोलिज्म तो नहीं है। जो क्लॉट का कारण बनने लगता है।

कैसे किया जाता है पल्मोनरी हाइपरटेंशन का उपचार (Treatment for Pulmonary Hypertension)

जांच के बाद पेशेंट की शारीरिक स्थिति के अनुसार उन्हें एंटी इंफ्लामेटरी समेत कई प्रकार की दवाएं दी जाती है। हाल ही में आई एक स्टडी के अनुसार आईयू स्कूल ऑफ मेडिसिन में एमडी और प्रोफेसर और पीडियाटरिक्स डॉ मार्गेट ए सेक्वार्ज के अनुसार प्रोटीन एसपीएचके 2 के माध्यम से एक एपिजेनेटिक मार्ग की खोज की गई है। इसके ज़रिए पल्मोनरी हाईपरटेंशन में वसकुलर रीमॉडेलिंग को रिवर्स किया जा सकता है। पल्मोनरी हाईपरटेंशन कई अज्ञात तरीकों से शरीर में बढ़ने लगता हैं। इसकी एक पहचान कोशिकाओं के अतिवृद्धि के कारण रक्त वाहिकाओं का मोटा होना भी है, जिसे वसकुलर रीमॉडेलिंग भी कहा जाता है।

अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें

कस्टमाइज़ करें

ये भी पढ़ें- Chronic Obstructive Pulmonary Disease : बदलते मौसम के साथ जटिल हो सकते हैं सीओपीडी के लक्षण, जानिए इससे कैसे निपटना है

  • 140
लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

हेल्थशॉट्स वेलनेस न्यूजलेटर

अपने इनबॉक्स में स्वास्थ्य की दैनिक खुराक प्राप्त करें!

सब्स्क्राइब करे
अगला लेख