पर्व- त्योहार प्रकृति के प्रति प्रेम, पूर्वजों के प्रति आदर और सामजिक मेलजोल बढ़ाने का संदेश देते हैं। इस अवसर पर न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर पारंपरिक भोजन बनाते हैं, बल्कि प्रकृति की जरूरत को रेखांकित करते हुए पेड़-पौधे की पूजा करते हैं। पौधारोपण भी करते हैं। 29 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं। इस अवसर पर अपने पूर्वजों को नमन किया जाता है। उन्हें तिल, गुड से भरपूर भोजन का प्रसाद अर्पित किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए ख़ास पेड़ भी लगाये जाते हैं। ये पेड़ स्वास्थ्यवर्द्धक होते हैं। कौन-कौन से पेड़ (Tree Benefits) लगाये जाते हैं, यह जानने से पहले पितृ पक्ष (kab shuru hai pitri paksha) या पितृ पक्ष की तारीख (pitri paksha ki tareekh kya hai) को जानते (ped lagane ke fayde) हैं।
पितृ पक्ष (kab shuru hai pitri paksha) हिंदू कैलेंडर में 16 चंद्र दिन की अवधि (Lunar Day Period) है। इस अवसर पर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। खास प्रसाद और जल से तर्पण किया जाता है। इस वर्ष इसकी शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और 14 ऑक्टूबर को समाप्त (29 Sept- Fri, 2023 –14 Oct- Sat, 2023) हो जायेगी। पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के अवसर पर बेल, तुलसी, पीपल, अशोक, बरगद के पेड़ लगाये जाते हैं। इन पेड़ों के पत्ते, जड़, फूल, फल सभी फायदेमंद होते हैं।
पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के अवसर पर लगाये जाने वाले बेल, तुलसी, पीपल, अशोक, बरगद की पत्तियों, फल-फूल और छाल का प्रयोग आयुर्वेद में सदियों से होता (Tree Benefits) आया है।
बेल के पेड़ को पवित्र पेड़ माना जाता है। पितृ पक्ष के अवसर पर इसे रोपा जाता है। पूजा में इसकी पत्तियां चढ़ाई जाती हैं। बेल फल के अलावा, पत्तियां, जड़, तना भी फायदेमंद होते हैं। बेल और बेल की पत्तियों में विटामिन ए, विटामिन बी समूह और विटामिन सी भी पाए जाते हैं। बेल एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है। आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस जैसे मिनरल्स भी इसमें मौजूद होते हैं। इनके अलावा, इनमें टैनिन, फ्लेवोनोइड और कूमारिन केमिकल होते हैं। ये केमिकल सूजन (Inflammation) को कम करने में मदद करते हैं। इससे अस्थमा, दस्त और अन्य स्थितियों के इलाज में मदद मिल सकती है। साथ ही, इनमें मौजूद कुछ रसायन ब्लड शुगर को कम करने में मदद करते हैं।
अन्य पूजा की तरह पितृ पक्ष के अवसर पर भी तुलसी की पूजा की जाती है। इन दिनों जमीन में तुलसी के बीज डाले जाते हैं या छोटा पौधा लगाया जाता है। तुलसी की पत्तियां, जड़, बीज सभी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसमें मैंगनीज, आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, विटामिन के जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। तुलसी की पत्तियां और बीज एंटी बैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीफंगल, एंटीप्रोटोज़ोअल, एंटीमाइरियल होते हैं। इनमें मोस्कीटो रिपेलेंट गुण भी होते हैं। ये एंटी-डायरिया, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-केटेरेक्ट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, कीमोप्रिवेंटिव, रेडियोप्रोटेक्टिव गुण वाले भी होते हैं।
परंपरागत रूप से पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। पितृ पक्ष के अवसर पर पेड़ की पूजा और पौधारोपण भी किया जाता है। पीपल में कॉपर, मैंगनीज, आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। पीपल के पेड़ की पत्तियों का रस खांसी, अस्थमा, दस्त, कान दर्द, दांत दर्द, हेमट्यूरिया (blood in urine), माइग्रेन, खुजली, आंखों की परेशानी और गैस्ट्रिक समस्याओं से राहत दिला सकता है। पेड़ के तने की छाल पैरालिसिस, हड्डी टूटने, दस्त और मधुमेह दूर करने में मदद कर सकती है।
अशोक की पत्तियों और फूलों में टैनिन, स्टेरॉयड, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, सैपोनिन, ग्लाइकोसाइड, फ्लेवोनोइड जैसे बायोएक्टिव कंपाउंड पाए जाते हैं। अशोक के पेड़ की पत्तियों और फूलों में एंटीऑक्सीडेंट गुण हो सकते हैं। इसका उपयोग दर्द -बुखार से राहत पाने और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। अशोक के पेड़ की पत्तियां और फूल गुर्दे की पथरी को दूर करने, डी वोर्मिंग करने और अल्सर कम करने में मदद कर सकते हैं।
बरगद का पेड़ भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। बरगद के पेड़ की पत्तियों, फल और फूल में विटामिन ए, सी और ई प्रचुर मात्रा में होता है।
यह गुड विजन बनाए रखने में मदद करता (Pitri Paksh ke fayde) है। दस्त और पेचिश की समस्या को दूर करता है। यह ओरल हायजीन बनाये रखने में भी मदद करता है।
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