Yoga For Flexibility : पीठ को मजबूत करना है, तो थोड़ा बेंड करें, यहां हैं 5 बैकबेंड योगा पोज़
स्वस्थ और निरोग रहने के लिए शरीर का मजबूत होना बेहद जरूरी है। खराब लाइफस्टाइल के कारण हमें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। यहां तक कि कमर दर्द और पीठ दर्द भी होने लगता है। हम जानते हैं कि पीठ शरीर के वजन को सहारा देने में मदद करता है। मजबूत पीठ के बिना किसी भी व्यक्ति के लिए घूमना-फिरना मुश्किल होता है। इसलिए पीठ को मजबूत बनाना जरूरी है। बैकबेंड योग पीठ के लिए बहुत प्रभावी है। पर बैकबेंड योगाभ्यास वे लोग ही कर सकते हैं, जो वास्तव में फ्लेक्सिबल यानी लचीले हैं। लगातार अभ्यास करने और धैर्य के साथ करने से मदद मिल सकती है। बैकबेंड योग के बारे में जानने (yoga for back strength) के लिए हेल्थ शॉट्स ने ओवरआल हेल्थ गुरु और कॉर्पोरेट लाइफ कोच डॉ. मिकी मेहता से बात की।
क्या है बैकबेंड योगाभ्यास (Backbend Yoga)
डांसर्स या जिमनास्ट के लिए बैकबेंड करना काफी आसान होता है। वे बस पीछे की ओर झुकते हैं और फिर नीचे की ओर जाते हैं जब तक कि उनके हाथ जमीन को नहीं छू लेते। आसान तरीका यह है कि ऊपर से मुड़ते हुए हाथों और पैरों की मदद से हॉरिजॉन्टल पोजीशन बनाते हुए झुकें। बैकबेंड कई योग मुद्राओं में भी शामिल है। डॉ. मेहता बताते हैं कि बैकबेंड आम तौर पर स्पाइन को प्रभावित करना और उसे खींचना है।
इसमें रीढ़ की हड्डी को नेचुरल कर्वेचर से विपरीत दिशा में मोड़ना होता है। बैकबेंड पोज़ में चेस्ट और हार्ट को शरीर के सामने के हिस्से को खोलते हुए ऊपर की ओर उठाया जाता है।
बैकबेंड से मिलने वाले लाभ (Backbend Health Benefits)
बैकबेंड से ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है। ऊपर के शरीर और पीठ का लचीलापन बरकरार रहता है या बेहतर हो जाता है। यहां कुछ और स्वास्थ्य लाभ हैं।
1. मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद (Backbend for mental health)
यह संतुलन के लिए विशेष प्रकार की सतर्कता और ध्यान लाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फोकस और एकाग्रता को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।
2. ताकत बढ़ती है (backbend for strength)
नियमित रूप से बैकबेंड करने से निचली पीठ मजबूत होती है, क्योंकि इससे अच्छा खिंचाव मिलता है। ये एब्डोमिनल एरिया को भी मजबूत बनाते हैं। ये वसा को कम करने और आंतरिक अंगों के कार्यों में सुधार करने में मदद करते हैं। बैकबेंड का डायाफ्राम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि डायाफ्राम की पूर्ण गति प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर तरीके से सक्षम बनाती है।
3. अंगों को रीजुवेनेट करता है
पेट को फैलाने और अंगों को उत्तेजित करने से ताज़ा ऑक्सीजन युक्त ब्लड को अंगों में प्रवेश करने में मदद मिलती है। इससे अंगों को फिर से जीवंत करने में मदद मिलती है।
4. पोश्चर बेहतर करते हैं
बैकबेंड पीठ, छाती और कंधों को मजबूत कर सकता है। यह फ्लेक्सिबिलिटी और मूवेबिलिटी में सुधार करने में मदद करता है। यह पोस्चर को ठीक करने में मदद करता है।
यहां हैं बैकबेंड योग आसन (backbend yoga asanas)
1. वीरभद्रासन (Virabhadrasana)
सीधे खड़े हो जाएं, हाथ जोड़ लें और ऊपर ले आएं।
दाहिने पैर को 90 डिग्री के कोण पर आगे लायें।
थोड़ा पीछे की ओर झुकें और वापस स्टैंडिंग पोजीशन में आ जाएं।
2. उष्ट्रासन (Ustrasana)
वज्रासन से शुरुआत करें। पैर की उंगलियों को अंदर की ओर रखते हुए घुटनों के बल बैठें।
धीरे-धीरे हाथों को ऊपर उठाएं और फिर अपनी एड़ियों को छुएं।
हिप्स को आगे लायें और ऊपरी शरीर को पीछे की ओर झुका लें।
सिर और स्पाइन को मोड़ें और जितना संभव हो सके पीछे ले जाएं। फिर बालासन की स्थिति में आ जाएं।
3. चक्रासन (Chakrasana)
पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को घुटने से ऊपर की ओर मोड़ लें।
हथेलियों को चेहरे के दोनों ओर रखें और हाथों और पैरों पर संतुलन बनाते हुए अपने शरीर को ऊपर उठाएं।
4. धनुरासन (Dhanurasana)
पेट के बल लेट जाएं और पैरों को घुटने से मोड़ लें। अपनी एड़ियों को पकड़ लें।
अपने सिर और छाती को ऊपर उठाएं और अपने पैरों को बाहर और पीछे की ओर खींचें, ताकि आपकी रीढ़ पीछे की ओर झुक जाए। पेट के बल स्थिर हो जाएं और फिर धीरे-धीरे वापस आ जाएं।
5. भुजंगासन
पेट के बल लेट जाएं।
हाथों को चेस्ट के बगल में कोहनी से मोड़कर रखें।
धीरे-धीरे धड़ को ऊपर उठाएं और फिर नीचे आ जाएं।
ध्यान दें
योग बैकबेंड करने के लिए आपको हमेशा नीचे तक जाने की ज़रूरत नहीं है। अधिक कठिन बैकबेंड योग आसन अपनाने से पहले निरंतर अभ्यास जरूर करें।
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