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Prayer Benefits : शांति से की गई पूजा-आराधना भी देती है मेडिटेशन जैसा फायदा, एक्सपर्ट बता रहे हैं कैसे

मन और मस्तिष्क को शांत करने का माध्यम है पूजा और ध्यान। शोध और एक्सपर्ट बताते हैं कि पूजा के दौरान की जाने वाली प्रार्थना और ध्यान का मस्तिष्क पर एकसमान प्रभाव पड़ता है।
प्रार्थना या मंत्रोच्चार में भी हम किसी एक स्थिति पर ध्यान केन्द्रित करते हैं। इसका मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 17 Oct 2023, 08:00 am IST
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इन दिनों नवरात्रि का समय है। इस समय पूजा यानी प्रार्थना और ध्यान दोनों किये जाते हैं। यह आपने भी महसूस किया होगा कि जब आप इन दोनों में से कोई एक काम या दोनों करती हैं, तो मन और मस्तिष्क दोनों शांत होते हैं। मन खुशी और आनंद से भरा होता है। यह सवाल आपके मन में भी आते होंगे कि क्या पूजा-प्रार्थना और ध्यान के पीछे कोई साइंस काम करता है या यह सिर्फ परंपरा मात्र है? क्या हमारे मस्तिष्क पर इन दोनों का प्रभाव बराबर पड़ता (Prayer or pooja benefits) है या किसी एक का ज्यादा या कम? जानते हैं इसके बारे में शोध और विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

पूजा और ध्यान का प्रभाव (Puja and Meditation effect)

पूजा दो तरह से की जाती है- एक है अनुष्ठानिक पूजा (Ritual Puja) दूसरी है मानस पूजा (Manas Puja)। मानस पूजा यानी मन और मस्तिष्क पर प्रभाव डालने वाली पूजा। इसमें प्रार्थना या मंत्रोच्चार शामिल हैं। इसमें ध्यान भी शामिल हो सकता है। प्रार्थना या मंत्रोच्चार में भी हम किसी एक स्थिति पर ध्यान केन्द्रित करते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों का ही मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

दिमाग के अंदरूनी हिस्से होते हैं प्रभावित (Effect on Internal parts of the brain)

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता डॉ. स्पीगल के अनुसार, ‘हम पूजा के दौरान जो प्रार्थना (Prayer or pooja benefits) करते हैं, उसमें मस्तिष्क के गहरे हिस्से शामिल होते हैं। जिसे मीडियल प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और पोस्टीरियर सिंगुलेट कॉर्टेक्स कहा जाता है। यह मध्य-सामने और पीछे के हिस्से होते हैं। इसे एमआरआई के माध्यम से भी देखा जा सकता है। मस्तिष्क के ये हिस्से सेल्फ रिफ्लेक्शन और सेल्फ सूदिंग में शामिल होते हैं। मस्तिष्क के रिफ्लेक्टिव क्षेत्र के सक्रिय होने से एक्शन लेने से जुड़े मस्तिष्क के हिस्से निष्क्रिय हो जाते हैं। यह एक दिलचस्प अंतर्सम्बंध हैं, जो नशे की लत से जूझ रहे लोगों की मदद करती है।

ब्रेन हेल्थ केयर का माध्यम (Self Care)

पूजा के दौरान की जाने वाली प्रार्थना और ध्यान का मस्तिस्क पर बराबर प्रभाव पड़ता है। दोनों क्रियाओं में मस्तिष्क को शांत किया जाता है। किसी भी नकारात्मक स्थिति से निपटने के दौरान मेडिटेशन और प्रार्थना प्रभावी हो सकते हैं। दोनों प्रक्रिया के दौरान हम प्रतिक्रिया नहीं कर सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं हो सकता है कि हम अपनी भावनाओं को सप्रेस कर दें। सेल्फ केयर के उद्देश्य से प्रार्थना और ध्यान दोनों मुश्किल से सामना करने में सक्षम बनाते हैं।

पूजा के दौरान की जाने वाली प्रार्थना और ध्यान का मस्तिस्क पर बराबर प्रभाव पड़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

तनाव मुक्त करते हैं प्रार्थना और ध्यान (Prayer and meditation relieve stress)

प्रार्थना और ध्यान दर्दनाक और नकारात्मक घटनाओं के प्रति हमारी प्रतिक्रियाशीलता को कम करने में अत्यधिक प्रभावी हैं। दरअसल इस दौरान हम अपने विचारों को अपने से बाहर किसी चीज़ पर केंद्रित करते हैं। तनाव के समय हमारा लिम्बिक सिस्टम अति-सक्रिय हो जाता है। इसे आमतौर पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के रूप में जाना जाता है। इस स्थिति में हम अपने-आपको रोक देते हैं, लड़ते हैं या भाग जाते हैं

निर्णय लेने में सक्षम बनाता है

यह हमें स्पष्ट रूप से सोचने से रोकता है। यही कारण है कि तनावग्रस्त होकर हम गलत निर्णय ले लेते हैं। जब हम प्रार्थना (Prayer or pooja benefits) या ध्यान में संलग्न होते हैं, तो हम इस भयभीत और तनावग्रस्त स्थिति से दूर जाने में सक्षम होते हैं। यह हमारे प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स मस्तिष्क के उस हिस्से को फिर से सक्रिय करते हैं, जो हमारी कार्यकारी कार्यप्रणाली को नियंत्रित करता है और हमें बुद्धिमानीपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम बनाता है

जब हम प्रार्थना या ध्यान में संलग्न होते हैं, तो हम इस भयभीत और तनावग्रस्त स्थिति से दूर जाने में सक्षम होते हैं। चित्र: शटरस्टॉक

हैप्पी ब्रेन केमिकल्स को करते हैं ट्रिगर (Triggers Happy Brain Chemicals)

हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के शोध बताते हैं कि ध्यान और प्रार्थना (Prayer or pooja benefits) मस्तिष्क में अच्छा महसूस कराने वाले रसायनों के स्राव को गति प्रदान कर सकते हैं। जब हम पूजा के दौरान प्रार्थना करते हैं, तो हम हार्मोन ऑक्सीटोसिन जारी करने के लिए तंत्रिका मार्गों को सक्रिय कर सकते हैं। ऑक्सीटोसिन प्रसव और स्तनपान में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है। यह सामाजिक विश्वास और लगाव को भी सक्षम बनाता है, जो हमें एक अच्छा एहसास देता है। यह विचार दृढ होता है कि मैं अपनी रक्षा के लिए किसी चीज पर भरोसा कर सकता हूं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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