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नेशनल हार्ट ट्रांसप्लांट डे 2023 : हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद भी संभव है हेल्दी और एनर्जेटिक लाइफ, जरूरी है इसके बारे में जानना

हमारे देश में पचास हजार लोगों को फौरन हार्ट ट्रांसप्लांट किए जाने की जरूरत है। मगर अब भी ज्यादातर लाेगों को यह लगता है कि अंगदान करने से वे अगले जन्म में शारीरिक रूप से अक्षम पैदा होंगे। जबकि जन्म-मरण और पुर्नजन्म के किस्सों में कितनी सच्चाई है, हम सभी जानते हैं।
नेशनल हार्ट ट्रांसप्लांट डे अंगदान और हार्ट ट्रांसप्लांट के बारे में जागरुकता बढ़ाने में मदद करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
योगिता यादव Updated: 18 Oct 2023, 10:15 am IST
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बीते रविवार (30 जुलाई) ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में एक अलग ही नजारा था। यहां शतरंज की बिसात बिछी थी, कैरम बोर्ड पर गोटियां सजा दी गईं थी और बेडमिंटन प्लेयर अपने-अपने साजो सामान के साथ तैयार थे। पर उनसे पहले होनी थी रस्साकशी। जिसके एक तरफ एम्स के डायरेक्टर एम श्रीनिवास राव अपने स्टाफ के साथ थे, तो दूसरी तरफ थे वे लोग, जो जिंदगी की बाजी जीत कर आए हैं। इनका नेतृत्व पैरालंमिक एथलीट नीरज यादव कर रहे थे। वास्तव में यहां पहली बार ट्रांसप्लांट गेम्स (Transplant games) का आयोजन किया गया था। जिसमें उन लोगों ने हिस्सा लिया, जिन्हें हृदय प्रत्यारोपण (Heart Transplant) के बाद दूसरा जीवन दिया गया था। इनमें 29 वर्षीय राहुल प्रजापति भी शामिल थे, जिन्होंने आस्ट्रेलिया में हुए ट्रांसप्लांट गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

हार्ट ट्रांसप्लांट डे इंडिया (Heart Transplant Day India 3rd august)

भारत में हर साल 3 अगस्त को हार्ट ट्रांसप्लांट डे के तौर पर मनाया जाता है। जिसकी घोषणा 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। इस पर इसे ट्रांसप्लांट गेम्स के तौर पर मनाया गया। जिसका आयोजन एम्स की कार्डियोथोरेसिक और न्यूराेसाइंस सेंटर ने किया। इसमें अलग-अलग प्रतियोगिताओं में 29 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। ये सब वही थे जिनका अभी हाल में या कुछ समय पहले हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है।

हार्ट ट्रांसप्लांट एक टीम एफर्ट है जो कई बहुमूल्य जीवन बचा सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

वास्तव में 3 अगस्त 1994 को ही भारत में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। जिसे एम्स में डॉक्टर वेणुगोपाल ने किया था। किसी को भी यह लग सकता है कि यूरोप मेडिकल साइंस में हमसे आगे हैं। पर आपको जानकर ताज्जुब होगा कि दुनिया में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट 3 दिसंबर 1967 में केपटाउन, दक्षिण अफ्रीका के ग्रूट शूउर अस्पताल में किया गया था।

ये बात और है कि ह्यूमन टू ह्यूमन हार्ट ट्रांसप्लांट करवाने वाला पहला रोगी मात्र 18 दिन ही जीवित रह सका था। पर जिन दस रोगियों का हृदय प्रत्यारोपण किया गया उनमें से चार एक वर्ष से अधिक और दो 13 और 23 साल से भी अधिक जीवित रहे। इसने मेडिकल वर्ल्ड में एक उम्मीद जगा दी कि हार्ट ट्रांसप्लांट के द्वारा कई मूल्यवान जीवन बचाए जा सकते हैं।

भारत में हार्ट ट्रांसप्लांट की स्थिति

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ एम श्रीनिवास राव के अनुसार हृदय रोग और हार्ट फैलियर भारत में मृत्यु और विकलांगता का एक बड़ा कारण है। फिलहाल भारत में दस मिलियन लोग हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं। जिनमें से 50 हजार को तत्काल हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है। जबकि हम इन आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं। जिसकी सबसे बड़ी वजह है अंगदान के प्रति लोगों का उदासीन रवैया।

एम्स में आयोजित ट्रांसप्लांट गेम्स में हिस्सा लेते प्रतिभागी। चित्र : योगिता यादव

डॉ राव आगे कहते हैं, हालांकि हर साल 90 से 100 हार्ट ट्रांसप्लांट भारत में किए जाते हैं। पर ये आवश्यकता का मात्र 0.2 फीसदी है। 85 हार्ट ट्रांसप्लांट करने वाली एम्स की टीम पर हमें गर्व है। मगर अब भी इस बारे में लोगों को जागरुक होने की जरूरत है।

कैसे और कब किया जाता है हृदय प्रत्यारोपण

एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ संदीप सेठ के अनुसार, हृदय प्रत्यारोपण एक टीम एफर्ट है। इसमें अंगदान करने वाले की तो महत्वपूर्ण भूमिका होती ही है, पर उससे ज्यादा सहयोग उस व्यक्ति के परिवार का चाहिए होता है। हमारी टीम में शामिल विभिन्न लोग इस बात के लिए परिवार को राजी करते हैं कि वे जाने वाले व्यक्ति की स्मृति के रूप में उसके अंगदान कर किसी और को जीवन दे सकते हैं।

यह एक खर्चीली प्रक्रिया है। इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह केवल उन्हीं मरीजों को दी जाए, जिनकी हृदय संबंधी जटिलताएं दवाओं के माध्यम से ठीक नहीं हो सकती। यानी जिनके जीवन को बचाने के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प हो।

जरूरी है ऑर्गन डोनेशन के प्रति जागरुकता बढ़ाना

हार्ट ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया है। कभी-कभी इसके साथ ही मरीज को अन्य ऑर्गन्स की भी जरूरत पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में हार्ट-लिवर ट्रांसप्लांट, हार्ट-किडनी ट्रांसप्लांट और हार्ट-लंग्स ट्रांसप्लांट करने की भी जरूरत पड़ सकती है। यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है कि हार्ट में आई परेशानियों से उसके शरीर का और कौन सा ऑर्गन प्रभावित हुआ है।

हार्ट ट्रांसप्लांट करवा चुके राहुल प्रजापति के साथ डबल्स की पारी खेलते एम्स के डायरेक्टर डॉ एम श्रीनिवास राव। चित्र : एम्स

इसलिए डॉ राव ऑर्गन डोनेशन के बारे में लोगों से जागरुक होने की अपील करते हैं। अगर किसी को लगता है कि हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद आप उतने हेल्दी और एनर्जेटिक नहीं रह पाते हैं, तो आपको उन खिलाड़ियों से मिलना चाहिए, जिन्होंने इस साल वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में भारत के लिए 35 मेडल जीते।

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ट्रांसप्लांट गेम्स दुनिया भर में उन लोगों के लिए आयोजित किए जाते हैं, जिनके किसी भी अंग का प्रत्यारोपण किया गया है। ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद उन्हें स्टेरॉयड जैसी दवाओं की जरूरत पड़ती है। जिन्हें ओलंपिक में लेना प्रतिबंधित है। इसलिए इन खिलाड़ियों के लिए ट्रांसप्लांट गेम्स आयोजित किए जाते हैं।

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योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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