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Aspartame side effects : कार्बोनेटेड ड्रिंक में मौजूद आर्टिफिशियल शुगर बढ़ा सकते हैं लिवर कैंसर का खतरा : WHO

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार कार्बोनेटेड ड्रिंक और सोडा ड्रिंक में मौजूद आर्टिफिशियल शुगर सामान्य चीनी से भी ज्यादा खतरनाक है। इनका अधिक सेवन लिवर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
70 किलोग्राम का कोई एक एडल्ट सीमा से अधिक यानी प्रतिदिन एस्पार्टेम युक्त 9-14 से अधिक डिब्बे पीता है, तो उसे कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 14 Jul 2023, 14:26 pm IST
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हम इंस्टैंट एनर्जी के लिए तरह-तरह के कार्बोनेटेड ड्रिंक लेते हैं। खुद के साथ-साथ बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को भी देते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि इसमें प्रयोग किये जाने वाले नॉन शुगर स्वीटनर एस्पार्टेम (non-sugar sweetener aspartame) कैंसर कारक भी हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर दो अन्य रिसर्च सेंटर के साथ शोध किया। इस शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि यदि जरूरत से अधिक एस्पार्टेम का सेवन किया गया, तो यह संभवतः मनुष्यों में कैंसर के जोखिम को बढ़ा (non-sugar sweetener causes cancer) सकता है।

क्या है रिसर्च (Research on Non Sugar Sweetener Aspartame)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के निकायों इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) तथा खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने मिलकर नॉन शुगर स्वीटनर एस्पार्टेम के स्वास्थ्य प्रभावों का आकलन किया। इन संगठनों के आकलन निष्कर्ष के अनुसार, एस्पार्टेम को संभवतः मनुष्यों के लिए कैंसरकारी (IARC Group 2 B) के रूप में वर्गीकृत किया गया।

इसके अनुसार 70 किलोग्राम का कोई एक एडल्ट सीमा से अधिक यानी प्रतिदिन एस्पार्टेम युक्त 9-14 से अधिक डिब्बे पीता है, तो उसे कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है। जेईसीएफए के अनुसार, किसी व्यक्ति के लिए प्रतिदिन इस सीमा के भीतर उपभोग करना सुरक्षित है। आईएआरसी के अनुसार, एस्पार्टेम मनुष्यों में लिवर कैंसर (Liver Cancer) विशेष रूप से हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

क्या है एस्पार्टेम (What is Aspartame)

एस्पार्टेम एक आर्टिफीशियल स्वीटनर है, जिसका उपयोग 1980 के दशक से विभिन्न खाद्य और पेय उत्पादों में व्यापक रूप से किया जाता रहा है। एस्पार्टेम का उपयोग डाइट कोक, पेप्सी ज़ीरो शुगर और अन्य डाइट सोडा ड्रिंक में किया जाता है। इनके अलावा, च्यूइंग गम, जिलेटिन, आइसक्रीम, डेयरी प्रोडक्ट जैसे दही, प्रीजर्वेटिव वाले ब्रेकफास्ट, टूथपेस्ट और कफ सिरप और च्युइंग मेडिसिन में भी यह मौजूद रहता है।

डब्ल्यूएचओ के पोषण और खाद्य सुरक्षा विभाग के निदेशक डॉ. फ्रांसेस्को ब्रैंका के अनुसार, कैंसर विश्व स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। हर साल 6 में से 1 व्यक्ति की कैंसर से मृत्यु हो जाती है। एस्पार्टेम कैंसर के जोखिम को बढ़ाने में मददगार हो सकता है। हालांकि इस दिशा में और अधिक और बेहतर अध्ययन की आवश्यकता है।

एस्पार्टेम का उपयोग डाइट कोक, पेप्सी ज़ीरो शुगर और अन्य डाइट सोडा ड्रिंक में किया जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

हो सकता है लिवर कैंसर (Aspartame causes Liver Cancer)

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोडा स्वीटनर एस्पार्टेम को कैंसर के लिए संभावित कारक के रूप में माना। संगठन के निष्कर्ष बताते हैं कि यदि लोग अनुशंसित दैनिक सीमा के भीतर इसका सेवन करते हैं, तो यह सुरक्षित है। कैंसर पर अनुसंधान के लिए डब्ल्यूएचओ की दोनों संस्थाओं ने अमेरिका और यूरोप में कृत्रिम रूप से मीठे पेय पदार्थों की जांच करने वाले तीन बड़े मानव अध्ययनों की समीक्षा की। इसके बाद एस्पार्टेम और हेपेटोसेल्यूलर कार्सिनोमा जैसे लिवर कैंसर के बीच एक संभावित लिंक की पहचान की

एस्पार्टेम युक्त खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों के लिए बरतें संयम (caution with aspartame food)

आईएआरसी के अनुसार, कोई व्यक्ति यदि कभी-कभार एक कैन सोडा पीता है या कभी-कभी एस्पार्टेम युक्त च्युइंग गम चबाता है, तो उसे स्वास्थ्य जोखिम के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। डब्ल्यूएचओ इस बात की सिफारिश करता है कि लोग एस्पार्टेम युक्त खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों का सेवन करते समय संयम बरतें

एस्पार्टेम युक्त खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों का सेवन करते समय संयम बरतें। चित्र : एडॉबीस्टॉक

बच्चे रोजाना कितना कर सकते हैं एस्पार्टेम का सेवन (Aspartame for Child)

बच्चों के लिए यह जरूरी है कि जो बच्चे एस्पार्टेम वाले मीठा सोडा पीते हैं, तो वे रोजाना केवल तीन कैन ही पियें। इससे अधिक पीना उनके लिए जोखिम बढ़ा सकता है। जो बचपन से ही एस्पार्टेम का सेवन शुरू कर देते हैं, उन्हें बाद में अधिक स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। यह आगाह किया गया कि जिन परिवार में मेज पर पानी रखने की बजाय नॉन शुगर वाले स्पार्कलिंग पेय के कैन का प्रयोग होता है, हेल्दी प्रैक्टिस नहीं हैं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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