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अस्थमा को कंट्रोल करना है, तो घर के माहौल पर भी दें ध्यान, काम आएंगे ये विशेषज्ञ सुझाव

वे लोग जो ठीक से सांस नहीं ले पाते, उनकी मदद करना हम सबकी जिम्मेदारी है। इसमें सिर्फ सही दवाओं या इनहेलर का इस्तेमाल ही मददगार नहीं होता, बल्कि घरेलू वातावरण को साफ और प्रदूषण मुक्त रखना भी जरूरी है।
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अस्थमा के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए इन्डोर पॉल्यूशन को कंट्रोल करना सबसे ज्यादा जरूरी है। चित्र : शटरस्टॉक
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दुनिया भर में बढ़ता जा रहा वायु प्रदूषण अस्थमा रोगियों के जीवन को और भी ज्यादा जटिल बना रहा है। फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाला धुआं और अन्य प्रदूषक बाहरी वातावरण को प्रदूषित करते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि आपके घर के अंदर की हवा भी प्रदूषकों से पूरी तरह मुक्त नहीं है। अस्थमा रोगियों के लिए  सांस लेना आसान बनाने के लिए जरूरी है कि आप घर के अंदर के माहौल को साफ, स्वच्छ और अस्थमा अनुकूल बना सकें। यहां कुछ विशेषज्ञ सुझाव (how to improve indoor air quality) दिए जा रहे हैं, जो अस्थमा रोगियों और उनके परिजनों को हमेशा ध्यान रखने चाहिए।

क्यों जरूरी है घर के अंदर के माहौल पर ध्यान देना 

“अस्थमा एक क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज है। इसलिए इसे कंट्रोल करने के लिए घर का वातावरण स्वच्छ बनाना सर्वोपरि है। मैं अक्सर अपने मरीज़ों को इस बात पर ज़ोर देता हूं कि अस्थमा के कारणों को नियंत्रित करने और बेहतर सांस लेने को बढ़ावा देने में उनके रहने की जगह की महत्वपूर्ण भूमिका क्या है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, घर के अंदर हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखना मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है।

घर के अंदर की हवा का प्रदूषण मुक्त होना और भी ज्यादा जरूरी है। चित्र : शटरस्टॉक

इसकी शुरुआत घर के अंदर मौजूद प्रदूषकों जैसे धूल, फफूंदी और पालतू जानवरों की रूसी को कम करने के लिए वेंटिलेशन को अच्छा बनाए रखने से होती है। HEPA फ़िल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने से महीन कणों और एलर्जी कारकों को कैप्चर करके हवा की गुणवत्ता में और अधिक वृद्धि हो सकती है। जिससे अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सांस लेने का स्वच्छ वातावरण मिलता है।

घर के अंदर के वातावरण को शुद्ध करने में मदद करेंगे ये सुझाव (Tips  to improve indoor air quality to control asthma symptoms)

1 पर्दे, चादर आदि को साफ रखें 

हवा की गुणवत्ता के अलावा सामान्य अस्थमा ट्रिगर्स के संपर्क होने को कम करना भी आवश्यक है। इसका मतलब है फफूंदी और धूल के कणों से छुटकारा पाने के लिए नियमित सफाई के साथ-साथ एलर्जन खत्म करने के लिए बिस्तर और पर्दे गर्म पानी में धोना।

2 पालतू जानवरों की सफाई

जिनके घर में फर वाले पालतू जानवर हैं, उन्हें अपने पालतू जानवरों को बेडरूम से बाहर रखना चाहिए और उन्हें नियमित रूप से संवारना चाहिए। इससे वातावरण में पालतू जानवरों की रूसी कम हो सकती है, जो कि अस्थमा का एक सामान्य कारण होती है।

3 नमी को नियंत्रित करें 

फफूंदी नम वातावरण में पनपती है। घर को अस्थमा से बचाव के अनुकूल बनाने के लिए नमी के स्तर को नियंत्रित करना भी महत्वपूर्ण है। जहां नमी की उच्च मात्रा फफूंदी को बढ़ा सकती है, वहीं नमी कम होने से श्वसन संबंधी लक्षण और बिगड़ सकते हैं। डीह्यूमिडिफायर में निवेश करें।

इनडोर ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने के लिए इन पौधों को लगाना बेहद ज़रूरी है। चित्र : एडोबी स्टॉक

बेसमेंट और बाथरूम जैसे नम क्षेत्रों में डीह्यूमिडिफ़ायर का उपयोग करने और घर के अंदर नमी के स्तर को 30-50% के बीच बनाए रखने से फफूंदी के प्रसार को रोका जा सकता है और सांस लेने का आरामदायक वातावरण बनाए रखा जा सकता है।

4 घरेलू रसायनों को सावधानी से चुनें 

इसके अलावा, घरेलू रसायनों और सुगंधों के प्रति सचेत रहना भी बेहद जरूरी है। खुशबू से मुक्त और हाइपोएलर्जेनिक क्लीनिंग उत्पादों का चयन करने से अस्थमा के दौरे को ट्रिगर करने वाले उत्तेजक पदार्थों (इरिटेंट) के संपर्क को कम किया जा सकता है।

ध्यान रहे 

घर के अंदर की हवा की गुणवत्ता को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करके, ट्रिगर्स के साथ बार-बार होने वाले संपर्क को सीमित करके, नमी के स्तर को नियंत्रित करके और रासायनिक उत्तेजक पदार्थों (इरिटेंट) को कम करके अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है, और सांस लेना आसान बनाया जा सकता है। घर के माहौल को अस्थमा से बचाव बनाए रखने के अनुकूल बनाना श्वसन स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में एक सक्रिय कदम है।”

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डॉ (मेजर) राजेश भारद्वाज

डॉ (मेजर) राजेश भारद्वाज जाने-माने ईएनटी स्पेशलिस्ट हैं। वसंत विहार, दिल्ली में डॉ राजेश प्रैक्टो में परामर्शदाता हैं। ...और पढ़ें

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