Yoga success stories : मिलिए उन 4 महिलाओं से, जिन्होंने योग से पाई मानसिक और शारीरिक तंदुरुस्ती
योग भारतीय परंपरा का एक अभिन्न अंग है। तन और मन में आपसी तालमेल बैठाने में योग बेहद कारगर साबित होता है। योग ध्यान और प्राणायाम से हमारा स्वास्थ्य मज़बूत बनता है। इम्यूनिटी बूस्ट करने के अलावा अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने तक योग हर समस्या का समाधान कर सकता है। ऐसे ही कुछ महिलाओं से हमने बातचीत की, जिनकी जिंदगी योग को अपनाने के बाद योगमय हो गई। दिन की शुरूआत योग से करने वाली ये महिलाएं अपने जीवन में कुछ ऐसी समस्याओं से उभरी, जो उन्हें अंधकार में ले जा रही थीं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International yoga day) पर जानते हैं कि इन महिलाओं की समस्याएं योग से कैसे हुईं हल।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day)
योग हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। प्रति वर्ष 21 जून को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर लोगों को योग के महत्व की जानकारी दी जाती है। विश्व भर में योग दिवस बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस खास मौके पर विभिन्न कार्यक्रम, कैम्प और योग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इस साल विश्व योग दिवस 2023 की थीम वसुधैव कुटुम्बकम है। इसका अर्थ है एक स्वस्थ और खुशहाल समाज की नींव रखना।
जानिए योग कैसे है समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
योग लोगों को तनाव मुक्त करने में सहायता प्रदान करता है।
रोज़ाना कुछ देर मेडिटेशन करने से ध्यान और चिंतन बढ़ता है।
कई चुनौतीपूर्ण बीमारियों को योग के ज़रिए दूर किया जाना संभव है।
योगाभ्यास के ज़रिए मोटापे की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
नियमित तौर पर योग करने से तन और मन शांत हो जाता है।
हमारे आसपास ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जिनके जीवन का कायापलट योग के माध्यम से हो पाया। नियमित योगाभ्यास ने न केवल उन्हें कई समस्याओं से निजात दिलाई, बल्कि प्रोडक्टिविटी और हैप्पीनेस का ग्राफ भी बढ़ाया।
आज हेल्थ शॉट्स पर पढ़ते हैं योग की ऐसी ही 4 कामयाब कहानियां (yoga success stories)।
1. सुमिता : योग से दी घुटनों के दर्द को मात, बना डाला रिकार्ड
आज के दौर में घुटनों में दर्द की समस्या लगातार बढ़ रही है। इसी प्रकार 40 के नज़दीक पहुंचते ही सुमिता के घुटनों में दर्द रहने लगा। हांलाकि वेटगेन भी उसका एक कारण था। पेन इस कदर बढ़ गया कि साल 2018 मे डॉक्टर्स ने चेकअप के बाद नी रिप्लेस करवाने के लिए कहा। उसके बाद उन्हें कीटो डाइट फॉलो करने की सलाह दी गई। सुमिता ने डाइट को शुरू करने के साथ साथ योगाभ्यास भी आरंभ किया। नियमित अभ्यास के चलते उन्होंने छ महीनों में 25 किलो वजन कम किया।
हांलाकि सुमिता पिछले आठ साल से योग से जुड़ी हुई थीं। मगर वे रेगुलर उसे फॉलो नहीं कर रही थीं। सुमिता ने न केवल योग से अपने दर्द को मात दी बल्कि इक्कीस दिनों ने 75 करोड़ सूर्य नमस्कार के एक चैलेंज में हिस्सा लेकर रिकार्ड भी बना डाला। सुमिता के मुताबिक उनके घुटनों के दर्द में काफी हद तक सुधार है। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने लोगों को योगा से जोड़ने के लिए फ्री ऑनलाइन क्लासिस देनी शुरू की, जो अब भी जारी है।
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कस्टमाइज़ करें2. सौम्या चावला : 25 सालों का साथी है याेग
अब बात करते हैं योगाचार्या सौम्या चावला की, जिन्होंने स्कूल के दिनों से ही योग करना आरंभ कर दिया था। अपने योगा टीचर से प्रभावित होकर उन्होंने 10वी कक्षा से ही योग की प्रैक्टिस शुरू की। योग करने से तन और मन मज़बूत होने लगता। उनका मानना है कि योग व्यक्ति के अंदर शांति स्थापित करने का एक ज़रिया है, जो हमें हर पल मज़बूती प्रदान करता है।
सौम्या चावला के मुताबिक उन्हें जीवन में कई शारीरिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ा, मगर योग के ज़रिए वे सभी समस्याओं को पार करती चली गईं। उनके मुताबिक उन्हें प्रेमनेंसी के दौरान कई काम्प्लीकेशंस से होकर गुज़रना पड़ा। मगर योग पर उनका अटूट विश्वास उनके हर मुश्किल सफर को आसान बनाता गया।
बतौर योग गुरू करीबन 25 सालों से लोगों को योग का शिक्षण प्रदान कर रहीं सौम्या चावला ऑनलाइन क्लासिस के ज़रिए लोगों को योग सिखाती हैं। उनका कहना है कि योग हमें परमात्मा से जोड़ने का एक मार्ग है। इसे नियमित तौर पर करने से हम चिंता, तनाव और अवसाद से दूर रह सकते हैं। हर परेशानी भी हमें छोटी लगने लगती है। समस्या को देखकर घबराने के स्थान पर हम उसका समाधान खोजते हैं।
3. अमृता : पोस्ट कोविड मेंटल स्ट्रेस से थीं परेशान
कोविड से ग्रस्त होने के बाद अमृता गुप्ता अपने जीवन में एक मुश्किल दौर से होकर गुज़री। उसका असर लंबे वक्त तक देखने का मिला। दरअसल, पोस्ट कोविड मेंटल स्ट्रेस के चलते वो काफी परेशान रहने लगी। इसका असर उनके जीवन और व्यवहार पर दिखने लगा था। नतीजन वे कोई काम नहीं कर पाती थीं। उनकी हार्ट बीट अक्सर बढ़ जाती था। खुद को हर वक्त रेस्टलेस फील करने लगी थीं। योग से जुड़ने के बाद अमृता ने अपने जीवन में खुशी का अनुभव किया।
अब वे मेंटली मज़बूत और खुश रहने लगी हैं। साथ ही हर वक्त महसूस होने वाली थकान भी कम होने लगी थी। तनाव के अलावा अमृता बैकपेन से भी ग्रस्त थी। डॉक्टर्स के मुताबिक डिस्क में ल्यूब्रिकेशन की कमी इसका एक बड़ा कारण था। योग करने से उनकी सभी समस्याएं दूर होने लगीं।
4. चाहत : बैक क्रैम्प्स थे परेशानी का कारण
सिटिंग जॉब के चलते बैक क्रैम्प्स और वेटगेन के कारण चाहत सचदेवा अक्सर शरीर में दर्द होने से परेशान रहती थीं। मलेशिया में बतौर सॉफट वेयर इंजीनियर काम करने वाली चाहत ने अपने किसी मित्र के संपर्क में आकर योग की दुनिया में कदम रखा। देखते ही देखते उन्होंने योग को अपने जीवन का आधार बना लिया। महज 4 से 5 महीने के भीतर चाहत ने न केवल योग के ज़रिए अपना वज़न कम किया बल्कि बॉडी में फलैक्सिबिलीटी भी बढ़ती चली गई।
चाहत के मुताबिक इससे शरीर में होने वाली ऐंठन दूर होने लगी। साथ ही बॉडी स्ट्रेंथ बढ़ गई। अब सिटिंग जॉब में उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है।