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नॉर्मल नहीं है शौच में बलगम जैसा डिस्चार्ज , एक्सपर्ट बता रहे हैं इसके कारण

शौच और यूरिन आपकी सेहत के बारे में बहुत जरूरी संकेत देते हैं। इनमें किसी भी तरह का बदलाव यह बताता है कि आपको अपनी सेहत पर ध्यान देने की जरूरत है। पूप में म्यूकस जैसा डिस्चार्ज भी ऐसा ही एक संकेत है।
अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी समस्याएं आंतों में बलगम की मात्रा को बढ़ा देती हैं। चित्र:शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 12 Mar 2024, 17:49 pm IST
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म्यूकस यानि बलगम शरीर के म्यूकस मेंमबरेन्स से प्रोड्यूस होने वाला एक चिपचिपा और स्लिपरी पदार्थ होता है। इसकी मदद से पाचन तंत्र समेत शरीर के अन्य अंगों को एक प्रोटेक्टिव लेयर की मदद से सुरक्षित रखा जाता है। ये टिशूज को सॉफ्ट और ल्यूब्रिकेट करके कोलन के रास्ते शरीर में मौजूद वेस्ट को आसानी से बाहर निकालने में मदद करती है। पर क्या आपने कभी स्टूल पास करने के दौरान म्यूकस को नोटिस किया है? हालांकि स्टूल पास करने के दौरान बलगम का दिखना एक आम बात है। दरअसल, शरीर से वेस्ट निकलने के दौरान कुछ म्यूकस उसमें चिपका रह जाता है। मगर म्यूकस का बार-बार रिपीट होना या लगातार दिखना नॉर्मल नहीं है। अगर आप रोज़ाना म्यूक्स को पूप के दौरान देख रहे हैं, तो ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है। जानते हैं स्टूल में म्यूकस (Causes of mucus in poop) दिखने के कुछ कारण।

इन कारणों से शौच में नजर आ सकता है म्यूकस (Causes of mucus in stool)

1. इंफ्लामेटरी बॉवल डिज़ीज़ (Inflammatory bowel disease)

क्रोहन डिज़ीज़ और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी समस्याएं आंतों में बलगम की मात्रा को बढ़ा देती हैं। पाचन तंत्र में इंफ्लामेशन के चलते म्यूकोसल लाइनिंग प्रभावित होती है। इसके चलते मल त्यागने के दौरान ज्यादा मात्रा में म्यूकस सिक्रीशन होने लगता है। इस बारे में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ प्रतीक टिबदेवाल कहते हैं म्यूक्स की बढ़ी हुई मात्रा के चलते पेट दर्द, दस्त और रेक्टल ब्लीडिंग समेत अन्य लक्षण नज़र आने लगते हैं।

2. इंफेक्शन (Infection)

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानि जीआई टरैक में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस या पैरासिटिक संक्रमण शरीर के डिफेंस मकेनिज़्म के रूप में म्यूक्स के प्रोडक्शन को ट्रिगर कर सकता हैं। गैस्ट्रोएंटेराइटिस संक्रमण का खतरा नोरोवायरस, साल्मोनेला या कैम्पिलोबैक्टर जैसे संक्रमणों से फैलता है। इसके चलते दस्त और उल्टी जैसे लक्षणों के साथ मल में बलगम बढ़ने लगती है।

म्यूकस का बार-बार रिपीट होना या लगातार दिखना नॉर्मल नहीं है। चित्र: शटरस्टॉक

3. गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Gastroenteritis)

एक्सपर्ट के अनुसार एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस को स्टमक फ्लू के तौर पर जाना जाता है। इससे शरीर में म्यूक्स की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके चलते बार बार मल त्यागना, पेट में ऐंठन और उल्टी जैसे लक्षणों से होकर गुज़रना पड़ता है।

4. फूड इनटॉलरेंस (Food intolerance)

आमतौर पर लोगों को होने वाली लैक्टोज इनटॉलरेंस और ग्लूटन सेंसिटीविटी से आंतों में सूजन की समस्या बढ़ने लगती है, जिससे म्यूकस का प्रोडक्शन बढ़ने लगता है। दरअसल, जब शरीर को कुछ खाद्य पदार्थों को पचाने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है, तो उस वक्त प्रोटेक्टिव बैरीयर के रूप में म्यूकस का उत्पादन बढ़ने लगता है। वे फूड्स जो इस समस्या को ट्रिगर करते हैं। उनके सेवन को कम करके इस समस्या से बचा जा सकता है।

5. पॉलिप्स या ट्यूमर (Polyps or tumors)

मल में बढ़ने वाली म्यूकस की मात्रा कई समस्याओं का सेकेत देती हैं और उन्हीं में से एक है पॉलीप्स या ट्यूमर। जीआई टरैक में पॉलीप्स या ट्यूमर बढ़ने से भी बलगम उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। वे लोग जो रोज़ाना स्टूल पास करने के दौरान बलगम का अनुभव करते हैं, उन्हें इस बारे में डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए।

6. बॉवल मूवमेंट में रुकावट

बॉवल मूवमेंट में रुकावट से जहां मल त्यागने में बाधा का सामना करना पड़ता है, तो वहीं आंतों में बलगम जमा होने लगती है। ट्यूमर समेत कई कारणों से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे पेट संबधी कई समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है।

बॉवल मूवमेंट में रुकावट से जहां मल त्यागने में बाधा का सामना करना पड़ता है, तो वहीं आंतों में बलगम जमा होने लगती है। चित्र- अडोबी स्टॉक

7. प्रोक्टाइटिस

रेक्टल लाइनिंग में सूजन के चलते प्रोक्टाइटिस की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। ये समस्या अस्थायी और पुरानी क्रानिक होती है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों में मल त्याग के लिए लगातार और अरजेंट अर्ज रहती है। इसके अतिरिक्त प्रोक्टाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति मलाशय से बलगम या मवाद के प्रोडक्शन को नोटिस करते हैं।

8. बवासीर

रेक्टम और एनल की नसों में बढ़ने वाली सूजन बवासीर का कारण साबित होती है। इसके चलते शौच के दौरान असुविधा और ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। बवासीर में मल त्यागने के दौरान बलगम का भी सामना करना पड़ता है, जो एनल में सूजन को दर्शाता है।

9. मेडिकेशंस

वे दवाएं जो खासतौर से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टरैक को प्रभावित करती हैं, उनके सेवन से बलगम का उत्पादन बढ़ने लगता है। ऐसे में कोई भी दवा लेने से पहले जांच करवाएं और डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें। बिना जानकारी दवाएं लेने से कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

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टीम हेल्‍थ शॉट्स

ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं। ...और पढ़ें

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