मौसम में बढ़ने वाली शुष्कता गले में खराश, खांसी और बलगम (phlegm) बनने का कारण साबित होने लगती है। सर्दी की चपेट में आने से लोग खांसी, जुकाम और गले में दर्द का शिकार होने लगते हैं। इससे कई समस्याओं का खतरा बढ़ने लगता है। दरअसल, सांस लेने से गले में वायरस इकट्ठा होने लगते हैं, जो गले की बलगम (phlegm) से चिपककर उस समस्या को बढ़ाने लगते हैं। इससे म्यूक्स बढ़ता है, जो खांसी की समस्या को बढ़ा देता है। जानते हैं किन कारणों से बढ़ने लगती है बलगम की समस्या (Why am I getting constant phlegm in my throat)।
अधिकारी लाइफलाइन मल्टी स्पैशेलिटी हॉस्पिटल, डॉ दीपक पताडे बताते हैं कि बदलते मौसम में गले में कफ की समस्या सामान्य है। एलर्जी, इंफैक्शन, धूम्रपान या एनवायरमेंटल इरिटेंटस इस समस्या का कारण साबित होते हैं। एलर्जी के चलते गले में बलगम (phlegm) की समस्या बढ़ने लगती है। खासतौर से सर्दी या साइनसाइटिस जैसे संक्रमण भी इसे ट्रिगर करने लगते हैं।
स्मोकिंग से रेस्पिरेटरी सिस्टम में सूजन बढ़ती है, जिससे बलगम की समस्या बढ़ती है। एक्सपर्ट के अनुसार निचले वायुमार्ग में सूजन के चलते बलगम (phlegm) तेज़ी से बनने लगती है। वहीं प्रदूषण, एसिड रिफ्लक्स और पोस्टनासल ड्रिप जैसी स्थितियां भी लगातार कफ का कारण बनने लगती हैं।
आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन के अनुसार संक्रमण, स्मोकिंग, निर्जलीकरण और एलर्जी समेत कई कारणों से कफ की समस्या बढ़ने लगती है। इससे गलले में म्यूकस बनने लगता है और खांसी का कारण साबित होती है।
रेसपीरेटरी इंफे्क्शन जैसे सर्दी, खांसी, फ्लू या साइनसिटिस, संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में प्राकृतिक प्रतिक्रिया के रूप में बलगम और कफ के उत्पादन में वृद्धि होने लगती है। इससे गल में बलगम (phlegm) बढ़ जाती है।
एलर्जी पोलेन, डस्ट, पालतू जानवरों की रूसी या कुछ खाद्य पदार्थ गले की एलर्जी का कारण साबित होते हैं। एनवायरमेंटल ट्रिगर्स से एलर्जी की प्रतिक्रिया बढ़ती है। इससे गले में जलन और अतिरिक्त बलगम (phlegm) का उत्पादन बढ़ने लगता है।
नेज़ल पैसेज में जमा म्यूकस गले में धीरे धीरे टपकने लगता है। राइनाइटिस या साइनसाइटिस जैसी स्थितियों से बलगम (phlegm) की समस्या बढ़ने लगती है और गले में खराश भी महसूस होती है। गले में बढ़ने वाला दर्द इस समस्या को बढ़ा देता है।
स्मोक करने या तंबाकू का सेवन करने से श्वसन तंत्र में इरिटेशन की समस्या बढ़ने लगती है। इससे गले में अतिरिक्त म्यूक्स का उत्पादन होने लगता है। साथ ही खांसी की समस्या भी दिनों दिन बढ़ने लगती है।
इस समस्या का ताल्लुक पेट में बनने वाले एसिड से है, जिसके चलते एसिडिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है। गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज से ग्रस्त होने पर पेट में एसिड का स्तर बढ़ने से जब वो फूड पाइप से उपर की ओर आने लगता है, तो उससे जलन की समस्या पैदा होती है। इसके चलते गले में बलगम का उत्पादन बढ़ सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार शरीर में पानी की कमी के चलते साइनस का प्रेशर बढ़ता है, जिससे सिरदर्द गंभीर होने लगता है। इसके अलावा बलगम थिक और हार्ड होने लगती है। ऐसे में शरीर में पानी की नियमित मात्रा बनाए रखने से म्यूक्स थिन होता है और गले के दर्द व जलन से राहत मिल जाती है।
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कस्टमाइज़ करेंपर्यावरण में बढ़ने वाली शुष्कता और धूल मिट्टी गले में बलगम को बढ़ाने लगता है। गले की ड्राइनेस से सूखी खांसी की समस्या बढ़ने लगती है। इससे गले में इरिटेशन और म्यूक्स का खतरा बना रहता है। इससे गले में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ता है, जो इंफ्लामेशन का कारण बनता है। इससे बलगम बढ़ने लगती है।
गर्म पानी से गार्गल करने से गले की खराश और बढ़ने वाली बलगम की समस्या से बचा जा सकता है।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है। इससे गले में बनने वाली बलगम के जमाव को कम करमे में मदद मिलती है।
प्रदूषण से बलगम की समस्या बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए बाहर निकलने से पहले मास्क पहनें।
सिर को उंचा उठाकर रखने से गले के पीछे बनने वाली बलगम से बचा जा सकता है। इससे सांस लेने संबधी समस्याएं भी हल हो जाती है।
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