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HIIT : इन 4 स्थितियों में खतरनाक हो सकता है हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज, जानिए क्यों

हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग बेली फैट कम करने के साथ-साथ पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। पर कुछ लोगों को यह एक्सरसाइज स्वास्थ्य जोखिम बढ़ा देता है। इसलिए उन्हें हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग नहीं करना चाहिए।
एरोबिक व्यायाम जिनमें हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट हैं, हृदय पर अधिक तनाव डालता है। यह व्यायाम हृदय स्थितियों के जोखिम को बढ़ा सकता है। चित्र शटरस्टॉक।
स्मिता सिंह Published: 29 Jun 2023, 08:00 am IST
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एरोबिक एक्सरसाइज खासकर हाई इंटेंसिटी  इंटरवल ट्रेनिंग ((High Intensity Interval Training) वर्कआउट का एक हिस्सा है। इससे तेजी से बेली फैट घटता है। लेकिन यह सभी लोगों के लिए बढ़िया नहीं है। कई शोध बताते हैं कि उच्च तीव्रता वाला व्यायाम हृदय संबंधी समस्याओं (Heart Problem) के जोखिम को बढ़ा सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह वर्कआउट सभी के लिए नहीं (hiit workout side effects) है। साथ ही सुरक्षित और स्वस्थ व्यायाम आहार को फ़ॉलो करना भी जरूरी है।

क्या है हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT)

हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग वर्कआउट में ज़ोरदार शारीरिक व्यायाम के अंतराल शामिल होते हैं। इनमें तेज गति के साथ दौड़ना, कूदना, कई मिनटों तक चलने वाली अन्य छोटी गतिविधियां भी शामिल होती हैं। बीच में आराम के लिए रुकना भी पड़ता है।

इन 4 स्थितियों में नहीं करनी चाहिए हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग

1 हार्ट प्रॉब्लम वाले मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है (HIIT for Heart Patient)

प्रोजेक्ट हीरो के फाउंडर सीईओ और फिटनेस एक्सपर्ट सत्या व्यास कहते हैं, ‘कार्डियोवस्कुलर व्यायाम हृदय के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि यह हृदय की मांसपेशियों की ब्लड से ऑक्सीजन लेने की क्षमता में सुधार करता है। यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद कर सकता है। लेकिन एरोबिक व्यायाम जिनमें हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट हैं, हृदय पर अधिक तनाव डालता है। यह व्यायाम हृदय स्थितियों के जोखिम को बढ़ा सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें पहले से ही हृदय संबंधी समस्याएं हैं।’ यदि आप हृदय रोग से जूझ रही हैं, तो तैराकी, पैदल चलने या बाइक चलाने जैसी गतिविधियों से धीमी शुरुआत करें। स्ट्रेचिंग करें। बीच में आराम भी करें, खासकर जब आप थका हुआ महसूस करती हैं।

2 व्यायाम की शुरुआत करने वाले रहें सावधान (HIIT for Beginners)

सत्या व्यास के अनुसार, यदि आपने एक्सरसाइज करने की शुरुआत की है, तो आपके लिए हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज सही नहीं होगा। इस वर्कआउट में कई जटिल एक्टिविटी होती हैं। यदि आप इन्हें गलत तरीके से करती हैं, तो खुद को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। पहले शारीरिक गतिविधि के कम तीव्र रूपों को आज़माएं और फिर इन वर्कआउट को करें।

बिगिनर्स  के लिए हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज सही नहीं होगा। चित्र : अडोबी स्टॉक

बिगिनर प्रत्येक व्यायाम के लिए 45 और 75 सेकंड के बीच के अंतराल से शुरुआत करें। आराम करें और फिर उसी सर्किट को दो बार दोहराएं। दो अभ्यासों के दो और सर्किट तय करें और उसी प्रोटोकॉल का पालन करें। यदि आप ऊबने लगें, तो दूसरे या तीसरे दौर में हल्के डम्बल जोड़ सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात कि अपने शरीर को ठीक होने के लिए समय देना चाहिए।

3 इंजरी होने पर नहीं करें वर्कआउट (HIIT for Injured Person)

यदि चोट लगी है, तो हाई इंटेंसिटी वर्कआउट में संलग्न होना सही नहीं है। व्यायाम और गति जॉइंट्स और मसल्स पर अधिक तनाव और दबाव डालती है। यदि चोट लगी है, तो ऐसे व्यायामों का चयन करना चाहिए, जो चोट वाले शरीर के लिए अनुकूल हो। हाई इंटेंसिटी वर्कआउट या अन्य प्रकार के व्यायाम प्रभावित क्षेत्रों पर तनाव डाल कर चोट बढ़ा सकते हैं।

4 प्रेगनेंसी के दौरान (HIIT for Pregnancy)

व्यायाम करने से गर्भावस्था के दौरान कोई जोखिम नहीं बढ़ता है। गर्भवती महिलाओं को सप्ताह में 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि करनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान हाई इंटेंसिटी वर्कआउट से बचना जरूरी है। यदि कोई प्रेगनेंट महिला पहले से इसे कर रही है, तो थोड़े बहुत बदलाव के साथ कर सकती है। इससे बच्चे को लाभ मिल सकता है। दर्द और थकान कम हो सकती है। लेकिन कोई प्रेगनेंट महिला इसकी शुरुआत कर रही है, तो यह जच्चे और बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है। कूदने और झटके के साथ किये जाने वाले एक्सरसाइज का प्रभाव सही नहीं हो सकता है

गर्भावस्था के दौरान हाई इंटेंसिटी वर्कआउट से बचना जरूरी है। चित्र अडोबी स्टॉक

अंत में

हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने वाले के लिए हाइड्रेशन जरूरी है। ब्रेक लेकर पानी भी लेते रहना चाहिए। साथ ही इसकी शुरुआत इंस्ट्रक्टर कि देखरेख में ही करना चाहिए।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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