बदलते मौसम में बढ़ सकता है स्किन सोरायसिस का जोखिम, आयुर्वेद में है इसका उपचार
सर्दी ने दस्तक दे दी है। इस मौसम में स्किन से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इस समय चलने वाली ठंडी हवाएं न सिर्फ स्किन की नमी को सोख लेती है, बल्कि कई तरह की समस्याएं भी बढ़ा देती हैं। इसके अलावा ठंड के मौसम में बाहरी तापमान न्यूनतम होती है। और अंदर हीटर और वार्मर चलने के कारण इनडोर हीटिंग अलग होती है। इसके कारण भी स्किन प्रॉब्लम होते हैं। इनमें से एक है सोरायसिस। सोरायसिस की समस्या क्या होती है और आयुर्वेद इसके उपचार में (Ayurvedic treatment for Psoriasis) किस तरह कारगर है, इसके लिए हमने बात की आयुर्वेद विशेषज्ञ और वेदास क्योर के फाउंडर और डायरेक्टर विकास चावला से।
ऑटोइम्यून स्किन डिसऑर्डर
विकास चावला बताते हैं, ‘सोरायसिस ऑटोइम्यून स्किन डिसऑर्डर (Autoimmune skin disorder) है। इसमें स्किन सेल्स असामान्य दर से मल्टीप्लाई करने लगती है। इससे चेहरे, कोहनी और खोपड़ी पर खुजली, लाल चकत्ते और सफेद धब्बे बन जाते हैं। यह आम तौर पर पूरे शरीर को लंबे समय तक प्रभावित करता है। सर्दियों के मौसम में बाहरी तापमान और घर के अंदर के तापमान में अंतर होने के कारण सोरायसिस की समस्या बढ़ जाती है।‘
पंचकर्म थेरेपी है सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज
विकास चावला कहते हैं, ‘किसी भी आयुर्वेदिक इलाज के लिए हर्बल दवाओं के साथ-साथ हेल्दी लाइफस्टाइल भी बेहद जरूरी है। जैसा कि हम जानते हैं कि वात दोष, जो शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है। पित्त दोष, जो चयापचय गतिविधियों को नियंत्रित करता है। कफ दोष, जो शरीर में वृद्धि को नियंत्रित करता है।
सोरायसिस के लिए शरीर की ऊर्जा या इन तीनों दोषों को संतुलित रखना बेहद जरूरी है। सोरायसिस के इलाज के लिए सबसे कारगर आयुर्वेदिक (Ayurvedic treatment for Psoriasis) विधि पंचकर्म थेरेपी है। यह शरीर, त्वचा कोशिकाओं और दिमाग को शुद्ध करने के लिए शाकाहारी भोजन की सलाह देता है।
पंचकर्म चिकित्सा सोरायसिस के इलाज के लिए सरल आहार परिवर्तन के महत्व को दर्शाती है। सोरायसिस अक्सर बासी या दूषित भोजन खाने के प्रतिक्रिया स्वरुप होता है । हम अक्सर बाहरी भोजन ले लेते हैं, जो बासी या दूषित भी हो सकता है। मैदा या मैदा से बने आहार नहीं खाना चाहिए। शरीर शुद्धिकरण के लिए नींबू के साथ गर्म पानी और हल्दी वाला दूध लिया जा सकता है।
यहां जानिए सोरायसिस के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार
औषधीय छाछ का महत्व (Medicinal buttermilk)
आयुर्वेद में एक उपाय यह भी बताया गया है कि पीड़ित व्यक्ति के सिर पर औषधीय छाछ लगायी जाये। इससे उसे लगातार खुजली और फफोले से राहत मिल सकती है। हर्बल दवाओं और मिट्टी का पेस्ट भी सोरायसिस के इलाज के लिए निवारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। पंचकर्म थेरेपी शुद्धिकरण एजेंट के रूप में कार्य करती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों, दूषित पदार्थों और अवरुद्ध छिद्रों को साफ करती है।
सूजन और लाली सोरायसिस के दो लक्षण हैं। एक प्रकार के हर्बल पेस्ट लगाने से भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह सूजन को कम करता है और शरीर को राहत दिलाता है। लहसुन और प्याज का सेवन भी रक्त शोधन का अच्छा एजेंट हो सकता है। यह सोरायसिस के दुष्प्रभावों को कम कर सकता है।
चमेली का फूल (Jasmine) राहत देता है सोरायसिस से
चमेली का फूल भारत में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसका पेस्ट सोरायसिस के कारण होने वाले फफोले, चकत्ते और सूजन को कम कर सकता है।
यह दर्द और जलन से भी राहत प्रदान कर सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों में चमेली के फूल से सोरायसिस का इलाज काफी लोकप्रिय है।
गुग्गुल, नीम और हल्दी (Guggul, Neem and Turmeric) ठीक करती है सोरायसिस
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कस्टमाइज़ करेंगुग्गुल, नीम और हल्दी प्रकृति के उपहार हैं। सोरायसिस को ठीक करने में इनका भी इस्तेमाल किया जा सकता है। नीम को पीसकर पेस्ट बना लें। इसका प्रयोग प्रभावित स्थान पर किया जा सकता है। पेय के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
सोरायसिस के प्रभाव को कम करने और रोगियों को आराम देने के लिए ये एक प्रभावी उपाय है। छाछ के साथ हल्दी मिक्स कर लगाने से सूजन, दाने और अन्य समस्याओं से निजात मिलती है।
सोरायसिस होने पर आहार में फलों और सब्जियों की खपत भी बढ़ा दें। यह स्वस्थ जीवन शैली के लिए जरूरी है।
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