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वायु प्रदूषण भी कर सकता है माइग्रेन को ट्रिगर, जानें इसका कारण और बचाव के उपाय

अगर आपको भी धूल मिट्टी और ट्रैफिक में माइग्रेन की शिकायत होती हैं। तो इसका कारण वायु प्रदूषण हो सकता है। जानते हैं जहरीली हवा कैसे बनती है माइग्रेन का कारण और इससे कैसे बचा जा सकता है।
जानते हैं जहरीली हवा कैसे बनती है माइग्रेन का कारण और इससे कैसे बचा जा सकता है। चित्र- अडॉबीस्टॉक
ज्योति सोही Updated: 29 Oct 2023, 08:32 pm IST

पर्यावरण में लगातार वायु प्रदूषण (Air pollution) बढ़ रहा हैं। जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण साबित होता है। अधिकतर लोगों का मानना है कि बढ़ रहा पॉल्यूशन लंग्स के लिए नुकसान दायक साबित होता है। जो पूरी तरह से सही है। मगर रिसर्च में ये भी पाया गया है कि प्रदूषण हमारे फेफड़ों के अलावा सिरदर्द (headache) का भी मुख्य कारण बनने लगता है। बाहर निकलते ही अगर आपको भी धूल मिट्टी और ट्रैफिक में माइग्रेन (Migrane) की शिकायत होती हैं। तो इसका कारण वायु प्रदूषण हो सकता है। जानते हैं जहरीली हवा कैसे बनती है माइग्रेन का कारण (How air pollution cause migraine) और इससे कैसे बचा जा सकता है।

वायु प्रदूषण कैसे बनता है माइग्रेन का कारण (Does pollution cause migraine attacks)

एनसीबीआई के अनुसार वायु प्रदूषण (Air pollution) दुनिया भर में पाया जाने वाले प्रदूषण का एक ऐसा प्रकार है। जो मानव के शरीर में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण साबित होता है। जो स्ट्रोक (stroke), ऑटिज़्म (autism), तनाव (stress) और विकास में होने वाली देरी का कारण साबित होता है। ऐसे में वायु प्रदूषण (air pollution) के चलते सिरदर्द का होना स्वाभाविक है। दरअसल, पर्यावरण में मौजूद कई पदार्थ इस समस्या से जुड़े हुए है। जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (nitrogen dioxide), सल्फर डाइऑक्साइड (Sulphur dioxide) , ओज़ोन (ozone) और कार्बन मोनोक्साइड carbon monoxide) शामिल हैं।

प्रदूषण हमारे फेफड़ों के अलावा सिरदर्द (headache) का भी मुख्य कारण बनने लगता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

क्या कहते हैं आकड़ें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार वायु प्रदूषण (air pollution) से हर साल सात मिलियन लोग मौत का शिकार हो रहे हैं। पर्यावरण में बढ़ रहा वायु प्रदूषण रेसपिरेटरी, न्यूरोबिहेवियरल, कार्डियोवैस्कुलर और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है। इससे लोगों में कई प्रकार की डिएबीलिटीज़ का जोखिम बढ़ने लगता है। केमिकल एक्सपोज़र और एनवायरमेंटल इरिटेंटस से लोगों में सिरदर्द की समस्या बढ़ने लगती है। इससे न केवल सिरदर्द गंभीर हो जाता है बल्कि समय सीमा भी बढ़ने लगती है।

सांइस डायरेक्ट के अनुसार नेशनल इमरजेंसी डेटा बेस की मानें, तो वायु प्रदूषण (air pollution) का बढ़ा हुआ स्तर माइग्रेन की ओर इशारा करता है। एक रिसर्च के के तहत साल 2008 से लेकर 2014 तक 18,921 पेशेंटस जो माइग्रेन के कारण इमरजेंसी डिपार्टमेंट में गए। उस दौरान पर्यावरण में नाइटरोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फरडाइऑक्साइड का लेवल ज्यादा था। वहीं इसकी तुलना में जब ये तत्व पर्यावरण में कम पाए जाते हैं, तो लोगों में सिरदर्द की समस्या कम पाई गई।

वायु प्रदूषण के कारण होने वाली माइग्रेन की समस्या के लक्षण

सिर दर्द होना
उल्टी आना
लाइट और तेज़ आवाज़ से झुंझलाहट महसूस होना
तनाव की समस्या

जानें वायु प्रदूषण से कैसे करें खुद को बचाव

1. आउटडोर्स को अवॉइड करें

ज्यादातर वक्त घर से बाहर न बिताएं। इससे आपकी समस्या गंभीर रूप ले सकती है। बार बार होने वाले सिरदर्द से बचने के लिए पीक आवर्स में बाहर निकलना अवॉइड करें। अगर आप किसी काम से बाहर निकलना चाहते हैं, तो ऐसे समय पर बाहर निकलें। जब पॉल्यूशन का लेवल हवा में कम हो, जिसे आप एक्यूआई की मदद से जान सकते हैं। 0 से 500 की संख्या दिखाने वाला ये मीटर अगर 150 से ज्यादा संख्या शो करता है, तो ऐसे में बाहर निकलने से बचें।

बार बार होने वाले सिरदर्द से बचने के लिए पीक आवर्स में बाहर निकलना अवॉइड करें। चित्र : शटरस्टॉक

2. एयर प्यूरीफ़ायर का करें प्रयोग

वे लोग जो वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त हैं। उन्हें घर में एयर प्यूरीफ़ायर का प्रयोग करना चाहिए। दरअसल, पॉल्यूटेंटस घर और बाहर हर जगह मौजूद होते हैं। ऐसे में आत्म बचाव के लिए घर में हाइजीन मेंटेन रखें और खुद को प्रदूषण से बचाएं।

3. मास्क लगाकर बाहर जाएं

जहरीली हवा को इनहेल करने से बचने के लिए अपने पास सदैव मास्क रखें। इससे आप वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम कर सकते हैं। साथ ही वे लोग जो अस्थमा के मरीज है। उन्हें भी मास्क और पंप अपने साथ अवश्य कैरी करना चाहिए। इसके अलावा किसी भी प्राइवेट ट्रांसपोर्ट या सड़क पर चलते वक्त मास्क लगाना न भूलें।

4. खुद को हाइड्रेट रखें

घर से बाहर निकलने पर खुद को हाइड्रेट रखना बहुत ज़रूरी है। इससे शरीर में निर्जलीकरण की समस्या पैदा नहीं होती है। इसके अलावा शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थ भी डिटॉक्स होते हैं। इससे वायु प्रदूषण के प्रभाव से भी बचा जा सकता है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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