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Parent Guilt : डियर मॉम्स, इन 6 चीजों के लिए आपको नहीं है गिल्ट फील करने की जरूरत

बच्चों की परवरिश करना आसान नहीं हैं। माता पिता के लिए इस बात को समझना बेहद ज़रूरी है। जानते हैं वो कौन से 6 कारण है, जिसके चलते पेरेंटस गिल्ट का अनुभव करते हैं (Things you need not to feel guilt as parent)।
जानते हैं वो कौन से 6 कारण है, जिसके चलते पेरेंटस गिल्ट का अनुभव करते हैं (Things you need not to feel guilt as parent)। चित्र: अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 17 Feb 2024, 15:30 pm IST
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बच्चों के जन्म के साथ पेरेंटस की ड्यूटी आरंभ हो जाती है। उसके आचरण से लेकर खान पान की आदतों तक सभी चीजों का ख्याल रखना माता पिता की जिम्मेदारी होती है। बच्चे की एक गलती और बैड हैबिट पेरेंटस के गिल्ट का कारण बन जाती है। दरअसल, दिनों दिन परिवारों के स्वरूप में बदलाव आ रहा हैं, जिसका असर बच्चों की आदतों पर भी नज़र आने लगता है। ऐसे में बच्चों की परवरिश करना आसान काम नहीं हैं। हांलाकि माता पिता के लिए इस बात को समझना बेहद ज़रूरी है कि कोई भी पेरेंट पूरी तरह से परफे्क्ट नहीं हो सकता है। जानते हैं वो कौन से 6 कारण है, जिसके चलते पेरेंटस गिल्ट का अनुभव करते हैं (Things you need not to feel guilt as parent)।

क्यों बढ़ने लगती है पेरेंट गिल्ट की भावना

इस बारे में बातचीत करते हुए मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि आधुनिकता के इस दौर में महिलाएं कामकाजी हैं, जो बच्चों को पूरा वक्त देने की कोशिश करती है। मगर बावजूद इसके बच्चों के साथ होने वाली हर समस्या के लिए खुद को दोषी मानने लगती है। उनका ये आचरण पेरेंट गिल्ट का कारण साबित होता है। हांलाकि वे बच्चों को ग्रूम करने के लिए हर प्रयास करती है। मगर फिर भी रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी कई ऐसी चीजें हैं, जो उनके गिल्ट का कारण साबित होती हैं।

बच्चे की एक गलती और बैड हैबिट पेरेंटस के गिल्ट का कारण बन जाती है।चित्र: अडोबी स्टॉक

ये 6 कारण बनते हैं पेरेंटस के गिल्ट का कारण (Reasons of parent guilt)

1. पेरेंटस का वर्किंग होना

आधुनिकता के इस दौर में जहां माता पिता दोनों ही वर्किंग हैं, वहां बच्चे की परवरिश को लेकर खासतौर से मॉम्स के मन में गिल्ट की भावना हमेशा बनी रहती हैं। अगर आप बच्चे की स्किल डेवलपमेंट को लेकर परेशान हैं, तो ऐसे डे केयर का चुनाव करें, जहां बच्चे की भाषा, सोशल और कॉग्नीटिव स्किल्स में बढ़ोतरी हो। इसके अलावा बच्चों के लिए फुल टाइम केयर टेकर को अपॉइट करके आप अपनी मीटिंग्स और हसबैंड को भी पूरा वक्त दे सकते हैं। ऐसे में कामकाजी होना गलत नहीं है।

2. खान पान की गलत आदतें

बचपन से ही बच्चों की खान पान की उचित आदतें उन्हें मसल्स बिल्डिंग में मददगार साबित होती है। अधिकतर वर्किंग मॉम्स इस बात से अपसेट रहती हैं कि उनके बच्चे जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में बच्चों की हेल्दी ग्रोथ के लिए शरीर में विटामिन, मिनरल और प्रोटीन व कैल्शियम की प्रापित होना ज़रूरी है। बच्चों की डाइट इस प्रकार से प्लान करें कि उन्हें मॉडरेट तरीके से सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो सके।

स्ट्रिक्ट पैरेंटिंग बच्चों की मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे बच्चों में विरोध की भावना जन्म लेने लगती है। चित्र- अडोबी स्टॉक

3. स्क्रीन टाइम का बढ़ना

गैजेट्स की इस दुनिया में पेरेंटस के कामकाजी होने पर बच्चों का स्क्रीन टाइम दोगुनी तेज़ी से बढ़ने लगता है। कभी टीवी, कभी टैब तो कभी मोबाइल, इस सभी गैजेट्स को बच्चे दिनभर में बार बार देखने से नहीं हिचकते हैं। इसका असर बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर दिखने लगता है। बच्चों को हेल्दी लाइफस्टाइल देने के लिए कुछ वक्त रनिंग, एक्सरसाइज, पेंटिंग और बिल्डिंग ब्लॉक बनाने समेत अन्य एक्अीविटीज़ में बिताना चाहिए।

4. बच्चों का मिसबिहेव

घर से बाहर निकलते ही बच्चों का बदला हुआ व्यवहार माता पिता के सिरदर्द का कारण साबित होने लगता है। अगर आपके बच्चे का सोने का वक्त करीब हैं, तो उसे आउटिंग पर ले जाना अवॉइड करें।

बच्चे को व्यस्त रखने के लिए अपने साथ कुछ खिलौने लें। साथ ही मंचिग के लिए फ्रूटस, जूस और अन्य हेल्दी फूडस ले सकते हैं। इसके अलावा बच्चों के 1 से 2 जोड़ी कपड़े हमेशा साथ लेकर चलें। इससे बच्चों के गंदे कपड़ों को आसानी से बदला जा सकता है।

माता पिता को आगे बढ़कर बच्चे का समझना और सही गलत का फर्क समझाना ज़रूरी है। चित्र अडोबी स्टॉक्

5. बच्चों को बार बार डांटना

बच्चों की उछलकूद और इधर से उधर भागना माता पिता का चिंताओं को बढ़ा देता है। इससे परेंटस बेहद परेशान होकर बच्चों से डांट डपट करने लगते हैं। जो तनाव के स्तर को बढ़ा देता है। ऐसा व्यवहार पेरेंटस और बच्चों के मध्य रिश्तों को धीरे धीरे डैमेज करने लगता है।

बच्चों में अनुशासन लाने के लिए डांट की जगह उन्हें उदाहरण के साथ चीजों को समझाएं, ताकि वे आसानी से बात को समझ सकें।

6. सुपर हीरो न बन पाना

वे पेरेंटस जो खासतौर से कामकाजी हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उन्हें बच्चों के सामने ख्ुद को सुपर पेरेंट बनकर दिखाना है। वे बच्चों की सभी ख्वाहिशों को पूरा करने और घर व बाहर के सभी कामों की जिम्मेदारी खुद पर ले लेते हैं। इससे उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ हैंपर होने लगती है।

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खुद को सुपर हीरो मानने की जगह वर्क लाइफ बैलेंस मेंटेन करने के लिए सर्विसिज़ को हायर करें। इससे लाइफ को संतुलित बनाए रखना आसान हो जाता है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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